नई दिल्ली : केंद्रीय स्तर की दस ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वह कुछ राज्यों में प्रमुख श्रम कानूनों को निलंबित करने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) से संपर्क करने पर विचार कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार ने कंपनियों को कई प्रमुख श्रम कानूनों से छूट दे दी है. खबरों के अनुसार, गुजरात समेत कई अन्य राज्य भी ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह कारखानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों को तीन श्रम कानूनों तथा एक अन्य कानून के एक प्रावधान को छोड़कर शेष सभी के दायरे से छूट देने के लिए ' उत्तर प्रदेश चुनिंदा श्रम कानूनों से छूट अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दी. यह छूट तीन साल के लिए दिए गए हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने भी कुछ श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने जारी एक संयुक्त बयान में राज्य सरकारों के इन कदमों के विरोध में देशव्यापी आंदोलन का आह्वान करने की भी धमकी दी. ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त गयान में कहा, 'केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का मानना है कि यह कदम साथ जुड़ने की स्वतंत्रता के अधिकार (आईएलओ कन्वेंशन 87), सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार (आईएलओ कन्वेंशन 98) और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत आठ घंटे के कार्य दिवस के मानदंड का उल्लंघन हैं.'
बयान में कहा गया, 'केंद्रीय ट्रेड यूनियन श्रम मानकों के घोर उल्लंघन के लिए सरकार के इन कुकृत्यों पर आईएलओ के पास शिकायत दर्ज करने पर गंभीरता से विचार करने के साथ ही कामगारों से इन कदमों का विरोध करने का आह्वान करते हैं. जल्दी ही राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया जाएगा.'
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, परिसंघों तथा संघों के संयुक्त मंच ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों के द्वारा तीन साल की अवधि के लिए सभी श्रम कानूनों से नियोक्ताओं के दायित्व से प्रतिष्ठानों को दी गई छूट की निंदा की.
बयान में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में इस संबंध में अध्यादेश लाया गया है और मध्य प्रदेश में भी ऐसा करने पर विचार किया जा रहा है. गुजरात सरकार भी कंपनियों को इन कानूनों से 1,200 दिनों की छूट देने पर विचार कर रही है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बयान में कहा कि 45 दिनों के लॉकडाउन के कारण मजदूर वर्ग पहले ही कई तरह की दिक्कतों से जूझ रहा है. इसके बाद राज्य सरकारों के द्वारा श्रम कानूनों से कंपनियों को छूट देने का प्रतिगामी कदम अमानवीय है.
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यह संयुक्त बयान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, हिंदुस्तान मजदूर संघ, सीटू, एआईयूटीयू, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और उटुक ने जारी किए हैं. देश में कुल 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन हैं.