ETV Bharat / bharat

केंद्र का किसान संगठनों को फिर निमंत्रण, बैठक को लेकर चल रही चर्चा

कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं सरकार के बैठक का निमंत्रण मिलने पर संगठनों ने साफ कर दिया है कि उनकी पहली और आखिरी शर्त यह है कि सरकार उनकी मांग मान ले.

central government's third offer for talks with farmers
केंद्र सरकार चाहती है जल्द सुलझे मामला
author img

By

Published : Nov 12, 2020, 5:47 PM IST

नई दिल्ली : कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन चला रहे पंजाब के 29 किसान संगठनों को सरकार ने एक बार फिर बातचीत के लिये दिल्ली आमंत्रित किया है. शुक्रवार को पंजाब के किसान संगठनों से बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहेंगे.

बैठक में शामिल होने पर देर शाम तक होगा फैसला

केंद्र सरकार के बातचीत के इस निमंत्रण को स्वीकार करने या नहीं करने पर सभी किसान संगठन पंजाब में एक बैठक कर रहे हैं और देर शाम इस पर फैसला भी ले सकते हैं. इससे पहले अक्टूबर माह में सरकार के पहले निमंत्रण को पंजाब के किसान संगठनों ने अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद कृषि सचिव ने दोबारा पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिये आमंत्रित किया है. बता दें, 14 अक्टूबर को किसान संगठनों के नेता बातचीत के लिये दिल्ली जरूर पहुंचे थे, लेकिन बैठक में कृषि मंत्री के मौजूद न होने के चलते किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था.

किसान संघर्ष समिति ने बताई पहली और आखिरी शर्त

हालांकि, इस बार कृषि सचिव सुधांशु पांडेय ने किसानों को भेजे गए पत्र में यह स्पष्ट लिखा है कि शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रायोजित बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ रेल मंत्री भी मौजूद रहेंगे. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने यह स्पष्ट कहा है कि उनकी पहली और आखिरी शर्त यही है कि सरकार उनकी मांगें मान ले और ऐसा जब तक नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

केंद्र सरकार पर लगाया बदले की भावना से काम करने का आरोप

5 नवंबर को देशव्यापी चक्का जाम के बाद अब अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया है. जिसके तहत देशभर से किसान दिल्ली पहुंचने वाले हैं, लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस ने इसके लिये अनुमति नहीं दी है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्र सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब के किसानों को बहला-फुसलाकर सरकार आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगे.

राज्य को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान

गौरतलब है कि पंजाब के रास्ते जाने वाली सभी रेलगाड़ियों का संचालन एक अक्टूबर से ठप्प है. पहले किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम कर केंद्र के बनाये गए कृषि कानूनों का विरोध किया. 22 अक्टूबर को किसानों ने मालगाड़ियों को चलने देने की बात कही, लेकिन रेल मंत्रालय का कहना है कि सवारी और मालगाड़ियों का संचालन एक साथ ही शुरू होगा. इस कारण एक माह से ज्यादा से पंजाब की सभी रेल सेवाएं ठप्प हैं और राज्य के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान संघर्ष समन्वय समिति का आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें: भारत और आसियान की रणनीतिक साझेदारी सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित

किसान एकजुटता दिवस मनाने की अपील

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति आज के दिन को 'किसान एकजुटता दिवस' के रूप में मना रही है. इस अवसर पर किसानों द्वारा देश के राष्ट्रपति को एक लाख ईमेल भेजने की बात भी कही गई है. जिसके माध्यम से किसान केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में अपनी बात कहेंगे और राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे.

नई दिल्ली : कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन चला रहे पंजाब के 29 किसान संगठनों को सरकार ने एक बार फिर बातचीत के लिये दिल्ली आमंत्रित किया है. शुक्रवार को पंजाब के किसान संगठनों से बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहेंगे.

बैठक में शामिल होने पर देर शाम तक होगा फैसला

केंद्र सरकार के बातचीत के इस निमंत्रण को स्वीकार करने या नहीं करने पर सभी किसान संगठन पंजाब में एक बैठक कर रहे हैं और देर शाम इस पर फैसला भी ले सकते हैं. इससे पहले अक्टूबर माह में सरकार के पहले निमंत्रण को पंजाब के किसान संगठनों ने अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद कृषि सचिव ने दोबारा पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिये आमंत्रित किया है. बता दें, 14 अक्टूबर को किसान संगठनों के नेता बातचीत के लिये दिल्ली जरूर पहुंचे थे, लेकिन बैठक में कृषि मंत्री के मौजूद न होने के चलते किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था.

किसान संघर्ष समिति ने बताई पहली और आखिरी शर्त

हालांकि, इस बार कृषि सचिव सुधांशु पांडेय ने किसानों को भेजे गए पत्र में यह स्पष्ट लिखा है कि शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रायोजित बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ रेल मंत्री भी मौजूद रहेंगे. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने यह स्पष्ट कहा है कि उनकी पहली और आखिरी शर्त यही है कि सरकार उनकी मांगें मान ले और ऐसा जब तक नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

केंद्र सरकार पर लगाया बदले की भावना से काम करने का आरोप

5 नवंबर को देशव्यापी चक्का जाम के बाद अब अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया है. जिसके तहत देशभर से किसान दिल्ली पहुंचने वाले हैं, लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस ने इसके लिये अनुमति नहीं दी है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्र सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब के किसानों को बहला-फुसलाकर सरकार आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगे.

राज्य को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान

गौरतलब है कि पंजाब के रास्ते जाने वाली सभी रेलगाड़ियों का संचालन एक अक्टूबर से ठप्प है. पहले किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम कर केंद्र के बनाये गए कृषि कानूनों का विरोध किया. 22 अक्टूबर को किसानों ने मालगाड़ियों को चलने देने की बात कही, लेकिन रेल मंत्रालय का कहना है कि सवारी और मालगाड़ियों का संचालन एक साथ ही शुरू होगा. इस कारण एक माह से ज्यादा से पंजाब की सभी रेल सेवाएं ठप्प हैं और राज्य के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान संघर्ष समन्वय समिति का आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें: भारत और आसियान की रणनीतिक साझेदारी सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित

किसान एकजुटता दिवस मनाने की अपील

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति आज के दिन को 'किसान एकजुटता दिवस' के रूप में मना रही है. इस अवसर पर किसानों द्वारा देश के राष्ट्रपति को एक लाख ईमेल भेजने की बात भी कही गई है. जिसके माध्यम से किसान केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में अपनी बात कहेंगे और राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.