भोपाल : प्याज उत्पादक राज्यों में अत्यधिक वर्षा के चलते देशभर में प्याज के दाम बढ़ गए हैं. प्याज की कालाबाजारी की आशंका के चलते केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है. वहीं अन्य देशों से प्याज के आयात को भी अनुमति दी है. इंदौर के सांवेर में भाजपा प्रत्याशी तुलसीराम सिलावट के पक्ष में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी.
उन्होंने कहा भारत सरकार के पास प्याज का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद कालाबाजारी और कीमतें बढ़ने की आशंका के चलते प्याज के निर्यात पर रोक लगाई गई है. मंत्री तोमर ने बताया जिन देशों से भारत में प्याज का आयात होता है, वहां से आयात की अनुमति जारी कर दी गई है. केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कृषि सुधार बिल लोकसभा एवं राज्यसभा में पास हुआ. जो हमने किया वो कांग्रेस ने 2019 के घोषणा पत्र में कहा था, जो कहा उन्होंने था और वो काम कर रहे हैं तो उन्हें तकलीफ हो रही है. उन्होंने कहा मध्यप्रदेश के किसानों को 10 हजार रुपए हर साल सम्मान निधि मिलेगी. मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने किसानों को 29सौ करोड़ रुपए फसल बीमा दिया. जबकि कमलनाथ सरकार द्वारा ऋण माफी के नकली प्रमाण-पत्र बांटे गए.
प्याज कर रही परेशान-
त्योहारों के सीजन में एक बार फिर प्याज लोगों के आंसू निकालने लगा है. इससे किचन का बजट बिगड़ जाएगा. इस वक्त प्याज 100 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है. वहीं कई जगहों पर प्याज की कीमत इससे भी ज्यादा है.
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बारिश की वजह से आपूर्ति बाधित
दरअसल, प्याज उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश के कारण देश के अन्य राज्यों में प्याज की आपूर्ति बाधित हुई है. महाराष्ट्र में भी हालात ऐसे ही हैं और जिसका नतीजा देश के अन्य हिस्सों में दिख रहा है. लिहाजा प्याज के दाम 80 से 90 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. फुटकर दामों को लेकर स्थिति यह है कि दिवाली तक कई राज्यों में प्याज की कीमतें एक बार फिर 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती हैं. हालांकि व्यापारियों को उम्मीद है कि दशहरे के बाद तक प्याज की मांग के अनुरूप आपूर्ति सामान्य हो जाएगी.
प्याज ने बिगाड़ा किचन का बजट
प्याज के बढ़ते दामों की वजह से लोगों की किचन का बजट बिगड़ गया है. जिस वजह से लोगों ने प्याज की खपत कम कर दी है. गृहणियों का कहना है कि, प्याज की महंगाई घर का बजट बिगाड़ देती है, इसलिए जब तक प्याज सस्ती नहीं होती, तब तक वह इनका इस्तेमाल कम करेंगी.
मुनाफाखोरी भी बड़ी वजह
थोक आलू-प्याज व्यावसायी संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल का कहना है कि ऊपरी मंडी में ही प्याज की कीमतों में तेजी है. इसका असर ही कीमतों में वृद्धि के रूप में देखने को मिल रहा है और राजधानी भोपाल में इसके दाम बढ़ गए हैं. स्टाक लिमिट हटने से जमाखोरों की मौज हो रही है.
ग्राहकों तक डबल रेट में पहुंच रही प्याज
कारोबारी सूत्रों का कहना है कि प्याज की कीमत बढ़ने का एक बड़ा कारण जमाखोरी भी है. मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा अब आलू-प्याज सहित कई उत्पादों पर स्टाक लिमिट हटा दी गई है. इसकी वजह से जमाखोर कितना भी स्टाक रख सकते हैं. जबलपुर मंडी में प्याज के रेट 40 से 50 रुपये किलो तक है, लेकिन जैसे ही प्याज मंडी से निकलकर ग्राहकों तक पहुंचती है तो इसके दाम 60 से 70 रुपये किलो तक हो जाता है. प्याज में मुनाफाखोरी बहुत ज्यादा है, मंडी में तो अभी भी 40 से 50 रुपये में प्याज बिक रही है, लेकिन मंडी से आम आदमी तक पहुंचाने की जो कड़ी है वह मुनाफाखोरी के चक्कर में इसके दाम बढ़ाए हुए हैं.
नासिक से होती है प्याज की आवक
जबलपुर अकेला प्याज का उपभोक्ता नहीं है, बल्कि आसपास के जिलों में भी प्याज भेजी जाती है. जबलपुर में प्याज का उत्पादन न के बराबर है. आसपास प्याज की खेती नरसिंहपुर और सागर में होती है, लेकिन यहां पर बरसात के मौसम में प्याज का उत्पादन नहीं किया जा सकता, इसलिए थोड़ी बहुत प्याज जो स्टोर में रखी रहती है. वह पहुंच पाती है. इसके अलावा जबलपुर में खंडवा से बड़ी तादाद में प्याज आती है, इस मौसम में सबसे ज्यादा प्याज नासिक से आती है, लेकिन इस बार बारिश होने के चलते प्याज की आवक पर असर पड़ा है.
रतलाम में बंपर प्याज की आवक
रतलाम में प्याज के बढ़े दामों को देखकर मंडी में बंपर आवक शुरू हो चुकी है. आलम ये है कि यहां मंडी में प्याज के ट्रेक्टर ट्रॉली खड़े करने कि भी जगह नहीं बची है. यहां एक ही दिन में एक हजार से ज्यादा ट्रॉली प्याज कि आवक हो चुकी है.
क्यों महंगा हो रहा है प्याज?
कुछ दिनों से दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के कई इलाकों में हुई भारी बारिश से खेतों में प्याज की फसल बर्बाद हुई है, जिसकी वजह से प्याज के भाव आसमान पर पहुंच रहे हैं. महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक में फसल को नुकसान हुआ है. सामान्य तौर पर खपत वाले इलाकों में इस समय कीमतों पर दबाव होता है, लेकिन बारिश से बर्बाद हुई फसल से सप्लाई प्रभावित हुई है.