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अशोक लवासा के आरोपों पर EC का अहम फैसला, रिकॉर्ड होगी असहमति

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Published : May 21, 2019, 10:35 PM IST

Updated : May 21, 2019, 11:32 PM IST

चुनाव आयोग के बीच तनातनी उजागर होने के बाद से ही लवासा सुर्खियों में बने हुए थे. इस मसले को हल करने के लिए आज चुनाव आयोग की बैठक बुलाई गई जिसमें कुछ अहम फैसले लिए गए. क्या है पूरा मामला

अशोक लवासा और सुनील अरोड़ा

नई दिल्ली : बीते दिनों चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आचार संहिता से जुड़े कुछ सवाल खड़े किए थे. इस पर चुनाव आयोग की बैठक में अहम फैसला लिया गया है. बैठक में 2-1 के अनुपात से तय हुआ है कि अशोक लवासा ने जो आचार संहिता से जुड़े मसले को सार्वजनिक करने की मांग की थी, वह पूरी नहीं होगी. हालांकि, आयोग असहमति को रिकॉर्ड करने पर सहमत हो गया है.

मंगलवार को हुई बैठक में यह भी तय हुआ कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जायेगा. सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किया जायेगा.

निर्वाचन आयोग ने 'असहमति के मत' को फैसले का हिस्सा बनाने से भी इनकार कर दिया है. आयोग ने इस मामले में मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखते हुये कहा कि असहमति और अल्पमत के फैसले को आयोग के फैसले में शामिल कर सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के सदस्यों के 'असहमति के मत' को फैसले का हिस्सा बनाने की मांग की थी. इसे बहुमत के आधार पर अस्वीकार कर दिया.

अशोक लवासा ने आरोप लगाए थे कि आचार संहिता से जुड़े मामलो में पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चीट देने के निर्णय में उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया.

उनका कहना था कि ना तो उन्हे इन मामलो से जुड़ी किसी मिटिंग में शामिल किया गया और ना ही उनके स्टेटमेंट्स रिकॉर्ड किए गए. उन्होंने कहा था कि आचार संहिता से जुड़े सभी कागजों को सार्वजनिक किया जाए.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में असहमति का फैसला देने वाले लवासा ने 'असहमति के मत' को भी आयोग के फैसले में शामिल करने की मांग की थी.

पढ़ेंः मोदी को क्लीन चिट दिए जाने पर EC में मतभेद, CEC ने दी सफाई

लवासा के सुझाव पर विचार करने के लिये मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने 'फुल कमीशन' बैठक की. आयोग की पूर्ण बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दोनों चुनाव आयुक्त भी बतौर सदस्य मौजूद होते है.

इसमें 2-1 के बहुमत से यह फैसला किया गया. आयोग ने हालांकि कहा कि निर्वाचन नियमों के तहत इन मामलों में सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किया जायेगा.

इस मुद्दे पर लगभग दो घंटे तक चली पूर्ण बैठक के बाद आयोग द्वारा जारी संक्षिप्त बयान में कहा गया, 'आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में हुयी बैठक में यह तय किया गया है कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जायेगा. सभी सदस्यों के मत के आधार पर उक्त शिकायत को लेकर कानून सम्मत औपचारिक निर्देश पारित किया जायेगा.'

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस फैसले को स्पष्ट करते हुए बताया कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में सभी सदस्यों का मत अयोग की पूर्ण बैठक के रिकार्ड में दर्ज होगा, लेकिन प्रत्येक सदस्य के मत को आयोग के फैसले का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में निर्वाचन कानूनों के मुताबिक मौजूदा व्यवस्था के तहत बैठक में किये गये बहुमत के फैसले को ही आयोग का फैसला माना जायेगा.

सूत्रों की मानें तो यह निर्णय लिया गया कि आयोग की बैठक की कार्यवाही सभी आयोग सदस्यों के विचारों को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी. इसके बाद कानूनों और नियमों के अनुरूप औपचारिक निर्देश जारी किए जाएंगे.

बता दें कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा तब चर्चा में आए जब उन्होंने आदर्श आचार संहिता की बैठकों का बहिष्कार किया.

आदर्श आचार संहिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने पर अशोक लवासा सहमत नहीं थे. आयोग ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के छह मामलों में पीएम मोदी को क्लीन चिट दी थी.

पढ़ेंः PM मोदी ने नहीं किया आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन : चुनाव आयोग

लवासा चाहते थे कि उनकी अल्पमत की राय को रिकॉर्ड किया जाए. उनका आरोप है कि उनकी अल्पमत की राय को दर्ज नहीं किया जा रहा है, इसलिए इस महीने के शुरू से उन्होंने आचार संहिता से संबंधित बैठकों में जाना बंद कर दिया है.

खुद लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर बैठकों से अलग रहने की जानकारी दी थी. CEC सुनील अरोड़ा ने इसे ग़ैरज़रूरी विवाद बताया और इसका हल निकालने के लिए यह बैठक बुलाई थी.

(भाषा इनपुट)

नई दिल्ली : बीते दिनों चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आचार संहिता से जुड़े कुछ सवाल खड़े किए थे. इस पर चुनाव आयोग की बैठक में अहम फैसला लिया गया है. बैठक में 2-1 के अनुपात से तय हुआ है कि अशोक लवासा ने जो आचार संहिता से जुड़े मसले को सार्वजनिक करने की मांग की थी, वह पूरी नहीं होगी. हालांकि, आयोग असहमति को रिकॉर्ड करने पर सहमत हो गया है.

मंगलवार को हुई बैठक में यह भी तय हुआ कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जायेगा. सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किया जायेगा.

निर्वाचन आयोग ने 'असहमति के मत' को फैसले का हिस्सा बनाने से भी इनकार कर दिया है. आयोग ने इस मामले में मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखते हुये कहा कि असहमति और अल्पमत के फैसले को आयोग के फैसले में शामिल कर सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के सदस्यों के 'असहमति के मत' को फैसले का हिस्सा बनाने की मांग की थी. इसे बहुमत के आधार पर अस्वीकार कर दिया.

अशोक लवासा ने आरोप लगाए थे कि आचार संहिता से जुड़े मामलो में पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चीट देने के निर्णय में उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया.

उनका कहना था कि ना तो उन्हे इन मामलो से जुड़ी किसी मिटिंग में शामिल किया गया और ना ही उनके स्टेटमेंट्स रिकॉर्ड किए गए. उन्होंने कहा था कि आचार संहिता से जुड़े सभी कागजों को सार्वजनिक किया जाए.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में असहमति का फैसला देने वाले लवासा ने 'असहमति के मत' को भी आयोग के फैसले में शामिल करने की मांग की थी.

पढ़ेंः मोदी को क्लीन चिट दिए जाने पर EC में मतभेद, CEC ने दी सफाई

लवासा के सुझाव पर विचार करने के लिये मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने 'फुल कमीशन' बैठक की. आयोग की पूर्ण बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दोनों चुनाव आयुक्त भी बतौर सदस्य मौजूद होते है.

इसमें 2-1 के बहुमत से यह फैसला किया गया. आयोग ने हालांकि कहा कि निर्वाचन नियमों के तहत इन मामलों में सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किया जायेगा.

इस मुद्दे पर लगभग दो घंटे तक चली पूर्ण बैठक के बाद आयोग द्वारा जारी संक्षिप्त बयान में कहा गया, 'आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में हुयी बैठक में यह तय किया गया है कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जायेगा. सभी सदस्यों के मत के आधार पर उक्त शिकायत को लेकर कानून सम्मत औपचारिक निर्देश पारित किया जायेगा.'

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस फैसले को स्पष्ट करते हुए बताया कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में सभी सदस्यों का मत अयोग की पूर्ण बैठक के रिकार्ड में दर्ज होगा, लेकिन प्रत्येक सदस्य के मत को आयोग के फैसले का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में निर्वाचन कानूनों के मुताबिक मौजूदा व्यवस्था के तहत बैठक में किये गये बहुमत के फैसले को ही आयोग का फैसला माना जायेगा.

सूत्रों की मानें तो यह निर्णय लिया गया कि आयोग की बैठक की कार्यवाही सभी आयोग सदस्यों के विचारों को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी. इसके बाद कानूनों और नियमों के अनुरूप औपचारिक निर्देश जारी किए जाएंगे.

बता दें कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा तब चर्चा में आए जब उन्होंने आदर्श आचार संहिता की बैठकों का बहिष्कार किया.

आदर्श आचार संहिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने पर अशोक लवासा सहमत नहीं थे. आयोग ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के छह मामलों में पीएम मोदी को क्लीन चिट दी थी.

पढ़ेंः PM मोदी ने नहीं किया आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन : चुनाव आयोग

लवासा चाहते थे कि उनकी अल्पमत की राय को रिकॉर्ड किया जाए. उनका आरोप है कि उनकी अल्पमत की राय को दर्ज नहीं किया जा रहा है, इसलिए इस महीने के शुरू से उन्होंने आचार संहिता से संबंधित बैठकों में जाना बंद कर दिया है.

खुद लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर बैठकों से अलग रहने की जानकारी दी थी. CEC सुनील अरोड़ा ने इसे ग़ैरज़रूरी विवाद बताया और इसका हल निकालने के लिए यह बैठक बुलाई थी.

(भाषा इनपुट)

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Last Updated : May 21, 2019, 11:32 PM IST
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