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पंजाब के सीएम ने विधानसभा में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ गवर्नर को प्रस्ताव सौंपा

पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित करने के साथ ही केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया. आज कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल सिंह चीमा और शिरोमणि अकाली दल के नेता शरण जीत सिंह ढिल्लों ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को राज्य विधानसभा में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव सौंपा.

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Published : Oct 20, 2020, 4:10 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 5:46 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मंगलवार शाम राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के के बाद केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयकों को लेकर राज्यपाल वी पी सिंह बदनोर से मुलाकात की.

मंगलवार को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल सिंह चीमा और शिरोमणि अकाली दल के नेता शरण जीत सिंह ढिल्लों ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को राज्य विधानसभा में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव सौंपा.

मुख्यमंत्री केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चार विधेयकों और प्रस्ताव के बारे में राज्यपाल को जानकारी दी.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और अन्य विधायक राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर से मिलने राजभवन पहुंचे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा बिल संसद में एक अधिनियम बन गया है, लेकिन विधानसभा ने सर्वसम्मति से उन अधिनियमों को अस्वीकार कर दिया. हमने एक संकल्प अपनाया है और एक साथ यहां आए हैं. हमने राज्यपाल को प्रस्ताव की प्रतियां दीं और उनसे इसे अनुमोदित करने का अनुरोध किया.

बता दें कि पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित करने के साथ ही केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया.

ये विधेयक पांच घंटे से अधिक समय की चर्चा के बाद पारित किये गए जिसमें भाजपा के विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया. भाजपा के विधानसभा में दो विधायक हैं.

विपक्षी शिरोमणि अकाली दल, आप और लोक इंसाफ के विधायकों ने विधेयकों का समर्थन किया.

राज्य सरकार के इन विधेयकों में किसी कृषि समझौते के तहत गेहूं या धान की बिक्री या खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर करने सजा और जुर्माने का प्रावधान करता है. इसमें कम से तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है.

इन प्रावधानों के तहत किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की कुर्की से छूट दी गयी है और कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी की रोकथाम के उपाय किए गये हैं.

इससे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी दलों से आग्रह किया था कि वे विधानसभा में उनकी सरकार के 'ऐतिहासिक विधेयकों' को सर्वसम्मति से पारित करें.

इससे पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि पंजाब के किसानों के प्रति किये जा रहे 'अन्याय' के आगे झुकने के बजाए वह इस्तीफा देने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने आगाह किया कि केंद्र द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के कारण राज्य की शांति बाधित हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हालात से परेशान और निराश हैं. वह कोविड-19 संकट के दौरान लिए गए केंद्र के फैसले को समझना चाहते हैं जो किसानों की परेशानी का सबब बना हुआ है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिख लोकाचार पर हुए हमलों का समर्थन करने या उन्हें स्वीकार करने के बजाए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया था. उन्होंने कहा, मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता. सरकार के बर्खास्त होने से भी नहीं घबराता. लेकिन मैं किसानों को बरबाद होता या परेशान होता नहीं देख सकता.

मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को अस्वीकार करने के लिए उनकी सरकार द्वारा सदन में लाए गए विधेयकों को पेश करते समय यह कहा.

सिंह ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि परिस्थितियां हाथ से निकल सकती हैं. उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो नाराज युवा किसानों के पक्ष में सड़कों पर उतर आएंगे.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ तीन विधेयक भी पेश किए.

सिंह ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद सुबह साढ़े नौ बजे 'किसान विरोधी कानूनों' के खिलाफ एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए.

उन्होंने कहा, मुझे काफी ताज्जुब है कि आखिर भारत सरकार करना क्या चाहती है.

प्रस्ताव में तीन कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग की गई है.

इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्नों की खरीद को किसानों का वैधानिक अधिकार बनाने के लिए एक नए अध्यादेश की घोषणा करने' और 'एफसीआई और अन्य ऐसी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार द्वारा खरीद' जारी रखने की मांग की गई है.

प्रस्ताव में राज्य सरकार के 'उनके द्वारा लागू किए गए हाल ही के कृषि कानून पर किसान समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के 'कठोर और असंगत रवैये' पर गहरा दुख व्यक्त किया गया.

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तीरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 विधेयक हाल ही में संसद में पारित हुए थे.

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के इन्हें मंजूरी देने के बाद अब ये कानून बन चुके हैं.

सिंह द्वारा इनके खिलाफ पेश किए तीन विधेयक, किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 हैं.

सिंह ने कहा कि ये विधेयक आगे राज्य की कानूनी लड़ाई का आधार बनेंगे.

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मंगलवार शाम राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के के बाद केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयकों को लेकर राज्यपाल वी पी सिंह बदनोर से मुलाकात की.

मंगलवार को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल सिंह चीमा और शिरोमणि अकाली दल के नेता शरण जीत सिंह ढिल्लों ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को राज्य विधानसभा में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव सौंपा.

मुख्यमंत्री केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चार विधेयकों और प्रस्ताव के बारे में राज्यपाल को जानकारी दी.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और अन्य विधायक राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर से मिलने राजभवन पहुंचे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा बिल संसद में एक अधिनियम बन गया है, लेकिन विधानसभा ने सर्वसम्मति से उन अधिनियमों को अस्वीकार कर दिया. हमने एक संकल्प अपनाया है और एक साथ यहां आए हैं. हमने राज्यपाल को प्रस्ताव की प्रतियां दीं और उनसे इसे अनुमोदित करने का अनुरोध किया.

बता दें कि पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित करने के साथ ही केंद्र के कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया.

ये विधेयक पांच घंटे से अधिक समय की चर्चा के बाद पारित किये गए जिसमें भाजपा के विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया. भाजपा के विधानसभा में दो विधायक हैं.

विपक्षी शिरोमणि अकाली दल, आप और लोक इंसाफ के विधायकों ने विधेयकों का समर्थन किया.

राज्य सरकार के इन विधेयकों में किसी कृषि समझौते के तहत गेहूं या धान की बिक्री या खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर करने सजा और जुर्माने का प्रावधान करता है. इसमें कम से तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है.

इन प्रावधानों के तहत किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की कुर्की से छूट दी गयी है और कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी की रोकथाम के उपाय किए गये हैं.

इससे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी दलों से आग्रह किया था कि वे विधानसभा में उनकी सरकार के 'ऐतिहासिक विधेयकों' को सर्वसम्मति से पारित करें.

इससे पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि पंजाब के किसानों के प्रति किये जा रहे 'अन्याय' के आगे झुकने के बजाए वह इस्तीफा देने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने आगाह किया कि केंद्र द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के कारण राज्य की शांति बाधित हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हालात से परेशान और निराश हैं. वह कोविड-19 संकट के दौरान लिए गए केंद्र के फैसले को समझना चाहते हैं जो किसानों की परेशानी का सबब बना हुआ है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिख लोकाचार पर हुए हमलों का समर्थन करने या उन्हें स्वीकार करने के बजाए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया था. उन्होंने कहा, मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता. सरकार के बर्खास्त होने से भी नहीं घबराता. लेकिन मैं किसानों को बरबाद होता या परेशान होता नहीं देख सकता.

मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को अस्वीकार करने के लिए उनकी सरकार द्वारा सदन में लाए गए विधेयकों को पेश करते समय यह कहा.

सिंह ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि परिस्थितियां हाथ से निकल सकती हैं. उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो नाराज युवा किसानों के पक्ष में सड़कों पर उतर आएंगे.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ तीन विधेयक भी पेश किए.

सिंह ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद सुबह साढ़े नौ बजे 'किसान विरोधी कानूनों' के खिलाफ एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए.

उन्होंने कहा, मुझे काफी ताज्जुब है कि आखिर भारत सरकार करना क्या चाहती है.

प्रस्ताव में तीन कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग की गई है.

इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्नों की खरीद को किसानों का वैधानिक अधिकार बनाने के लिए एक नए अध्यादेश की घोषणा करने' और 'एफसीआई और अन्य ऐसी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार द्वारा खरीद' जारी रखने की मांग की गई है.

प्रस्ताव में राज्य सरकार के 'उनके द्वारा लागू किए गए हाल ही के कृषि कानून पर किसान समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के 'कठोर और असंगत रवैये' पर गहरा दुख व्यक्त किया गया.

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तीरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 विधेयक हाल ही में संसद में पारित हुए थे.

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के इन्हें मंजूरी देने के बाद अब ये कानून बन चुके हैं.

सिंह द्वारा इनके खिलाफ पेश किए तीन विधेयक, किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 हैं.

सिंह ने कहा कि ये विधेयक आगे राज्य की कानूनी लड़ाई का आधार बनेंगे.

Last Updated : Oct 20, 2020, 5:46 PM IST
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