चेन्नई : तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले के गांधी नगर में रहने वाली एक लड़की की कहानी सुनकर आपका भी दिल पिघल जाएगा. इसके परिवार में कुल आठ सदस्य हैं. इनमें से छह सदस्य विकलांग हैं. लॉकडाउन की वजह से लड़की का रोजगार खत्म हो गया है. अब उसके सामने परिवार चलाने की विकट समस्या आ गई है.
लड़की का नाम महालक्ष्मी है. उसके परिवार में उसे छोड़कर और किसी भी सदस्य की आमदनी नहीं है. उसके माता-पिता बीमार रहते हैं. छह सदस्य विकलांग हैं, जिसमें से उनकी तीन बहनें और दो भाई मूक बधिर हैं और एक बहन भी गूंगी है. उनकी माता मधुमेह और रक्तचाप से पीड़ित है. वहीं पिता रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन के बाद से बेडरेस्ट पर हैं.
2018 में आए गाजा तूफान ने उसका घर छीन लिया था. तब से महालक्ष्मी का परिवार गांधी नगर के सिक्स रोड पर एक झोपड़ी में रहता है.
महालक्ष्मी की इस लॉकडाउन में सरकार से गुजारिश है कि उन्हें कुछ काम दे दिया जाए, जिससे वह अपने घर का खर्च चला सके.
महालक्ष्मी ने कहा कि वह बिना किसी हिचकिचाहट के शौचालय भी साफ करने के लिए तैयार है. इसके लिए उन्हें 100 रुपये भी मिलेगा तो भी वह अपने परिवार का खर्च चला सकती है.
पिता की रीढ़ की हड्डी की ऑपरेशन के बाद उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ गई. उसके बाद से ही महालक्ष्मी ने अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा ली. महालक्ष्मी अपने माता पिता की सबसे छोटी संतान है.
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लॉकडाउन के दौरान उनकी बड़ी बहन को भीख तक मांगना पड़ गया.
महालक्ष्मी ने कहा कि 'कई बार मन में ख्याल आया कि परिवार को जहर देकर खुद भी खा लूं, लेकिन ऐसा नहीं कर सकती हूं. इस तरह की सोच को भी किनारे कर दिया.'
महालक्ष्मी ने कहा कि मैं अमीर बनने का सपना नहीं देखती. बस देखती भी हूं तो अपने परिवार को खाने-खिलाने का. मुझे भीख मांग कर खिलाना पड़ेगा तो भी मैं खुश रहूंगी.
उसने यह भी बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें राशन दिया जाता है, पर वह उनके परिवार के काफी नहीं होता है.