अटारी : भारत आज अपनी आजादी के 73वें साल में प्रवेश कर रहा है. इस मौके पर देश भर में जश्न का माहौल है. पंजाब के अटारी-वाघा सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान बीटिंग द रिट्रीट समारोह में शिरकत की. इस दौरान वहां मौजूद आम लोगों के बीच काफी जोश देखा गया. लोगों ने जमकर भारत माता की जय, वंदे मातरम और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए.
हर साल बीटिंग द रीट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है. इस समारोह के दौरान सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज को पूरे प्रोटोकॉल के साथ उतार लिया जाता है. बीटिंग रिट्रीट के दौरान वहां मौजूद लोगों ने जोश के साथ भारत माता की जय का उद्घोष किया.
अटारी वाघा सीमा पर मौजूद लोगों में खूब उत्साह देखा गया. युवाओं के अलावा उनके अभिभावकों को भी नाचते-गाते देखा गया.
अटारी वाघा सीमा पर जवानों की हौसला अफजाई करने के दौरान लोगों ने जमकर देशभक्ति नारे लगाए. ड्रम की ताल पर जवानों के कदम धरती पर ऐसे पड़ रहे थे, मानो वे नापाक इरादे रखने वालों को आगाह कर रहे हों.
इससे पहले एक विस्तृत कार्यक्रम के दौरान जवानों ने आकर्षक परेड पेश की.
15 अगस्त के खास मौके पर देश भर से अटारी-वाघा सीमा पर आए कलाकार बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान अपनी कला का प्रदर्शन किया.
पंजाब के नजदीक का इलाका होने के कारण यहां की स्थानीय संस्कृति और लोक कलाकार लोक नृत्य समेत कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए.
बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा ने भी अटारी वाघा सीमा पर समारोह में शिरकत की. उन्होंने जवानों से सलामी ली और उन्हें मिठाइयां बांटीं.
सैन्य बलों के जवानों ने बीटिंग द रिट्रीट से पहले पूर्वाभ्यास भी किया. इसमें परेड के साथ बैंड वादन का अभ्यास देखा गया.
अटारी वाघा सीमा पर आज बीटिंग द रिट्रीट समारोह देखने के लिए बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद हैं.
इससे पहले आज अटारी-वाघा सीमा पर BSF के जवानों ने आजादी के जश्न के अलावा रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया. महिलाओं ने बीएसएफ जवानों को राखियां बांधीं.
गुरुवार को बीएसएफ के जवानों को राखी बांधने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाएं अटारी-वाघा सीमा पर पहुंचीं.
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पुणे से आई एक महिला ने कहा 'मैं आज अटारी-वाघा सीमा पर आ कर रक्षाबंधन मनाने के बाद काफी खुश हूं.'
महिला ने देश के लिए इतनी कड़ी मेहनत करने वाले जवानों के प्रति आभार भी जताया. उन्होंने कहा कि वे जवानों का धन्यवाद करना चाहती हैं.
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गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में भारत-पाक के रिश्तों में तल्खी आई है. दोनों देश कश्मीर के मुद्दे पर आमने-सामने हैं. इसी कारण आजादी की पूर्व संध्या पर अटारी-वाघा सीमा पर सैनिकों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान भी नहीं किया. बीते दिनों 12 अगस्त को ईद-उल-अजहा के मौके पर भी दोनों देशों के बीच मिठाइयां नहीं बांटी गई थी.
क्या है इस समारोह की कहानी
अटारी वाघा सीमा के अलावा बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद यानी कि 29 जनवरी को होता है. ये समारोह राजपथ पर आयोजित होता है. राजपथ पर बीटिंग रीट्रीट समारोह को गणतंत्र दिवस के जश्न के समापन के रूप में मनाया जाता है. 29 जनवरी की शाम को विजय चौक पर आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में भारतीय सेना अपनी ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करती है.
शाम में ही क्यों
यह समारोह सैनिकों की एक पुरानी परंपरा की याद दिलाता है. इसमें सैनिक दिन भर के युद्ध के बाद शाम के समय आराम करते थे. सैनिक अपने कैंप में लौटते थे और ढलते सूरज के साथ शाम के समय जश्न मनाते थे. इसके बाद वे फिर से युद्ध की तैयारी में जुट जाते थे. इस परंपरा के मुताबिक बीटिंग रिट्रीट का समय भी शाम में ही होता है.
दो मौकों पर रद्द हुए हैं कार्यक्रम
भारत में बीटिंग द रिट्रिट की शुरुआत सन 1950 से हुई. 1950 से 2018 के बीच गणतंत्र भारत में बीटिंग द रिट्रिट कार्यक्रम दो बार रद्द करना पड़ा है. पहली बार 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी, 2009 को देश के 8वें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया था.