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धार्मिक बाधाओं को तोड़ डॉ शबनम ने कैंसर पीड़ित स्मिता की बचाई जान

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की डॉ शबनम ने एक कैंसर पीड़िता का न केवल इलाज किया बल्कि उनकी इस तरह सेवा की कि कैंसर पीड़ित डॉ स्मिता ने उन्हें अपनी मुहं बोली बेटी बना लिया.

स्मिता
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Published : Feb 5, 2021, 8:56 AM IST

Updated : Feb 5, 2021, 9:29 AM IST

वाराणसी : कहा जाता है कि जिंदगी में कुछ ऐसी जंग होती हैं, जो हथियारों से नहीं बल्कि प्यार से जीती जाती हैं. इस कथन को वाराणसी की रहने वाले डॉ शबनम ने एक कैंसर पीड़िता डॉ स्मिता भटनागर की सेवा कर के सच कर दिखाया है. डॉ शबनम न केवल कैंसर डॉ अस्मिता को बचाया बल्कि अब वो उनकी मुंह बोली बेटी बन गई हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ स्मिता भटनागर ने कहा कि उन्होंने और उनकी बहन को कुछ साल पहले स्तन कैंसर हुआ था, जिसमें उनकी बहन की मृत्यु हो गई थी जबकि वे बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीत चुकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि इस बीमारी से लड़ना आसान नहीं था, जिसमें मेरी बहन की मृत्यु हो गई थी.मैंने अपनी बहन का अंतिम संस्कार किया. उस समय डॉ शबनम ने धार्मिक बंदिशों को तोड़कर मेरी बहन की अंतिम संस्कार करवाया. वह बीमारी के दौरान हर समय हमारे साथ रहतीं.

अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं में स्तन कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है और उन्हें बचाया जा सकता है.

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश कैंसर रोगी मानसिक तनाव से पीड़ित हैं, जो उनकी बीमारी को और खतरनाक बना देता है, हम भाग्यशाली हैं कि हमें डॉ शबनम ने मेरी देखभाल की और किसी भी तरह के मानसिक तनाव में नहीं आने दिया.

उन्होंने कहा कि इस बीमारों को दवा से कम प्रेम से ज्यादा हराया जा सकता है.

डॉ शबनम ने ईटीवी इंडिया को बताया कि उन्हें वह समय याद है जब डॉ स्मिता भटनागर को यह बीमारी हुई थी और हम दिन-रात उनका इलाज करते थे. वह हर तरह से तैयार थीं. आखिरकार वह दिन आ गया जब उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी से छुटकारा मिला.

पढ़ें - सामाजिक न्याय मंत्रालय ने योजनाओं पर चलाई कैंची, 31 से की 19

उन्होंने कहा कि धर्म हम दोनों के बीच कभी नहीं आया. यह गंगा-जमनी सभ्यता है कि डॉ स्मिता भटनागर ने उन्हें प्यार दिया और उन्होंने अपनी मुंह बोली बेटी बनाया.

डॉ स्मिता भटनागर ने सभी कैंसर रोगियों को इस बीमारी का इलाज करने और मानसिक तनाव में न रहने का संदेश दिया.

उन्होंने उन महिलाओं से भी अपील की, जिनको कैंसर का खतरा है वह समय पर अपने परिवार को इस बारे में बताएं, ताकि इलाज संभव हो सके.

वाराणसी : कहा जाता है कि जिंदगी में कुछ ऐसी जंग होती हैं, जो हथियारों से नहीं बल्कि प्यार से जीती जाती हैं. इस कथन को वाराणसी की रहने वाले डॉ शबनम ने एक कैंसर पीड़िता डॉ स्मिता भटनागर की सेवा कर के सच कर दिखाया है. डॉ शबनम न केवल कैंसर डॉ अस्मिता को बचाया बल्कि अब वो उनकी मुंह बोली बेटी बन गई हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ स्मिता भटनागर ने कहा कि उन्होंने और उनकी बहन को कुछ साल पहले स्तन कैंसर हुआ था, जिसमें उनकी बहन की मृत्यु हो गई थी जबकि वे बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीत चुकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि इस बीमारी से लड़ना आसान नहीं था, जिसमें मेरी बहन की मृत्यु हो गई थी.मैंने अपनी बहन का अंतिम संस्कार किया. उस समय डॉ शबनम ने धार्मिक बंदिशों को तोड़कर मेरी बहन की अंतिम संस्कार करवाया. वह बीमारी के दौरान हर समय हमारे साथ रहतीं.

अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं में स्तन कैंसर का समय पर पता चल जाए, तो इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है और उन्हें बचाया जा सकता है.

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश कैंसर रोगी मानसिक तनाव से पीड़ित हैं, जो उनकी बीमारी को और खतरनाक बना देता है, हम भाग्यशाली हैं कि हमें डॉ शबनम ने मेरी देखभाल की और किसी भी तरह के मानसिक तनाव में नहीं आने दिया.

उन्होंने कहा कि इस बीमारों को दवा से कम प्रेम से ज्यादा हराया जा सकता है.

डॉ शबनम ने ईटीवी इंडिया को बताया कि उन्हें वह समय याद है जब डॉ स्मिता भटनागर को यह बीमारी हुई थी और हम दिन-रात उनका इलाज करते थे. वह हर तरह से तैयार थीं. आखिरकार वह दिन आ गया जब उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी से छुटकारा मिला.

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उन्होंने कहा कि धर्म हम दोनों के बीच कभी नहीं आया. यह गंगा-जमनी सभ्यता है कि डॉ स्मिता भटनागर ने उन्हें प्यार दिया और उन्होंने अपनी मुंह बोली बेटी बनाया.

डॉ स्मिता भटनागर ने सभी कैंसर रोगियों को इस बीमारी का इलाज करने और मानसिक तनाव में न रहने का संदेश दिया.

उन्होंने उन महिलाओं से भी अपील की, जिनको कैंसर का खतरा है वह समय पर अपने परिवार को इस बारे में बताएं, ताकि इलाज संभव हो सके.

Last Updated : Feb 5, 2021, 9:29 AM IST
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