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पीएमसी बैंक घोटाला: एचडीआईएल की संपत्तियां बेचने के लिए अदालत ने समिति बनाई

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Published : Jan 15, 2020, 10:22 PM IST

एचडीआईएल से बैंक का धन तेजी से वसूल करने के लिए कदम उठाया गया है. दरअसल बंबई उच्च न्यायालय ने पीएमसीघोटाले में संलिप्त एचडीआईएल की संपत्तियों की बिक्री के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई है.

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एचडीआईएल की संपत्तियां बेचने के लिए अदालत ने समिति बनाई

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाले में संलिप्त हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एचडीआईएल) की संपत्तियों की बिक्री के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई है.

एचडीआईएल से बैंक का धन तेजी से वसूल करने के लिए यह कदम उठाया गया है.

न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ ने तय किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस राधाकृष्णन इस समिति के प्रमुख होंगे. समिति के दो अन्य सदस्यों का चयन समिति के अध्यक्ष करेंगे.

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल रखी है और तब तक इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी है.

अदालत ने आर्थर रोड जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि एचडीआईएल प्रवर्तकों राकेश वधावन और उनके पुत्र सारंग वधावन को उपनगर बांद्रा में उनके निवास पर स्थानांतरित किया जाए और दो जेल गार्ड उनकी निगरानी के लिए रखे जाएं. खंडपीठ ने कहा कि इससे समिति दोनों का सहयोग ले सकेगी.

अदालत ने कहा कि वधावन एचडीआईएल की ऋण के बदले बंधक रखी संपत्तियों के मूल्यांकन में समिति की मदद करेंगे.

पढ़ें : पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमें लाखों ऐसे जमाकर्ताओं की चिंता है जिन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई पीएमसी बैंक खाते में रखी है. राकेश और सारंग वधावन बैंक में एचडीआईएल और अन्य कंपनियों के जरिये बड़े घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं.'

अदालत ने कहा कि समिति पहले एचडीआईएल की बंधक संपत्तियों का मूल्यांकन करे और उन्हें बेचे. उसके बाद भी यदि कुछ कमी पड़ती है तो वधावन के स्वामित्व वाली संपत्तियों को बेचा जाए. यहां तक कि उसके बाद भी कुछ कमी रहने पर एचडीआईएल की ऐसी संपत्तियों को बेचा जाए, जो बंधक नहीं हैं.

खंडपीठ सरोश दमानिया द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया तेज करने और पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं को जल्द भुगतान करने की अपील की गई है.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाले में संलिप्त हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एचडीआईएल) की संपत्तियों की बिक्री के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई है.

एचडीआईएल से बैंक का धन तेजी से वसूल करने के लिए यह कदम उठाया गया है.

न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ ने तय किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस राधाकृष्णन इस समिति के प्रमुख होंगे. समिति के दो अन्य सदस्यों का चयन समिति के अध्यक्ष करेंगे.

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल रखी है और तब तक इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी है.

अदालत ने आर्थर रोड जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि एचडीआईएल प्रवर्तकों राकेश वधावन और उनके पुत्र सारंग वधावन को उपनगर बांद्रा में उनके निवास पर स्थानांतरित किया जाए और दो जेल गार्ड उनकी निगरानी के लिए रखे जाएं. खंडपीठ ने कहा कि इससे समिति दोनों का सहयोग ले सकेगी.

अदालत ने कहा कि वधावन एचडीआईएल की ऋण के बदले बंधक रखी संपत्तियों के मूल्यांकन में समिति की मदद करेंगे.

पढ़ें : पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमें लाखों ऐसे जमाकर्ताओं की चिंता है जिन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई पीएमसी बैंक खाते में रखी है. राकेश और सारंग वधावन बैंक में एचडीआईएल और अन्य कंपनियों के जरिये बड़े घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं.'

अदालत ने कहा कि समिति पहले एचडीआईएल की बंधक संपत्तियों का मूल्यांकन करे और उन्हें बेचे. उसके बाद भी यदि कुछ कमी पड़ती है तो वधावन के स्वामित्व वाली संपत्तियों को बेचा जाए. यहां तक कि उसके बाद भी कुछ कमी रहने पर एचडीआईएल की ऐसी संपत्तियों को बेचा जाए, जो बंधक नहीं हैं.

खंडपीठ सरोश दमानिया द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया तेज करने और पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं को जल्द भुगतान करने की अपील की गई है.

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पीएमसी बैंक घोटाला: एचडीआईएल की संपत्तियां बेचने के लिए अदालत ने समिति बनाई



मुंबई, 15 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाले में संलिप्त हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एचडीआईएल) की संपत्तियों की बिक्री के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई है.



एचडीआईएल से बैंक का धन तेजी से वसूल करने के लिए यह कदम उठाया गया है.



न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ ने तय किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस राधाकृष्णन इस समिति के प्रमुख होंगे. समिति के दो अन्य सदस्यों का चयन समिति के अध्यक्ष करेंगे.



अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल रखी है और तब तक इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी है.



अदालत ने आर्थर रोड जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि एचडीआईएल प्रवर्तकों राकेश वधावन और उनके पुत्र सारंग वधावन को उपनगर बांद्रा में उनके निवास पर स्थानांतरित किया जाए और दो जेल गार्ड उनकी निगरानी के लिए रखे जाएं. खंडपीठ ने कहा कि इससे समिति दोनों का सहयोग ले सकेगी.



अदालत ने कहा कि वधावन एचडीआईएल की ऋण के बदले बंधक रखी संपत्तियों के मूल्यांकन में समिति की मदद करेंगे.



खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमें लाखों ऐसे जमाकर्ताओं की चिंता है जिन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई पीएमसी बैंक खाते में रखी है. राकेश और सारंग वधावन बैंक में एचडीआईएल और अन्य कंपनियों के जरिये बड़े घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं.'



अदालत ने कहा कि समिति पहले एचडीआईएल की बंधक संपत्तियों का मूल्यांकन करे और उन्हें बेचे. उसके बाद भी यदि कुछ कमी पड़ती है तो वधावन के स्वामित्व वाली संपत्तियों को बेचा जाए. यहां तक कि उसके बाद भी कुछ कमी रहने पर एचडीआईएल की ऐसी संपत्तियों को बेचा जाए, जो बंधक नहीं हैं.



खंडपीठ सरोश दमानिया द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया तेज करने और पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं को जल्द भुगतान करने की अपील की गई है.


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