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जानें क्यों सरकार को दिलीप कुमार का पैतृक मकान नहीं खरीदने की सलाह दे रहे हैं वकील - खैबर पख्तूनख्वा सरकार

पेशावर में बॉलीवुड के मशहूर एक्टर दिलीप कुमार की पैतृक हवेली है. इस महीने के शुरू में खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने कुमार के पैतृक मकान के लिए 80.56 लाख रुपये जारी करने की मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य फिल्म अभिनेता के सम्मान में उसे संग्रहालय में बदलना था.

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दिलीप कुमार (फाइल फोटो)
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Published : Feb 10, 2021, 7:01 AM IST

पेशावर/नई दिल्ली : भारतीय फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के पेशावर स्थित पैतृक मकान के मालिक के वकील ने प्रांतीय खैबर पख्तूनख्वा सरकार को 100 साल से अधिक पुरानी यह हवेली नहीं खरीदने की सलाह दी है, क्योंकि वह जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और उसकी खरीद में काफी राशि खर्च होगी.

भवन के वर्तमान स्वामियों के वकील गुल रहमान मोहमंद ने मंगलवार को एक निजी समाचार चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हवेली वर्षों की उपेक्षा के कारण बेहद जर्जर हालत में है.

मोहमंद ने कहा कि भवन के पुनर्निर्माण की लागत उसे प्राप्त करने की लागत से दोगुनी होगी.

अधिवक्ता ने कहा कि अगर केपीके सरकार इसके बावजूद भी इसे खरीदने में दिलचस्पी रखती है, तो उसे बाजार दर पर ऐसा करना चाहिए, जो कि लगभग 35 करोड़ रुपये है.

मोहमंद ने अपने अनुमान का बचाव करते हुए कहा कि हवेली एक प्रमुख इलाके में स्थित है, जहां संपत्ति की दर लगभग सात करोड़ रुपये प्रति मरला है.

मरला भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उपयोग की जाने वाली जमीन की पारंपरिक इकाई है. माना जाता है कि एक मरला में 272.25 वर्ग फुट या 25.2929 वर्ग मीटर होता है.

संपर्क किये जाने पर पुरातत्व निर्देशक अब्दुस समद खान ने कहा कि प्रांतीय सरकार ने भारतीय फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के जन्मस्थान को एक संग्रहालय में बदलने का सिद्धांतिक तौर पर फैसला किया है.

अभिनेता का 100 साल से अधिक पुराना पैतृक मकान प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाज़ार में स्थित है. मकान को 2014 में तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था.

पेशावर/नई दिल्ली : भारतीय फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के पेशावर स्थित पैतृक मकान के मालिक के वकील ने प्रांतीय खैबर पख्तूनख्वा सरकार को 100 साल से अधिक पुरानी यह हवेली नहीं खरीदने की सलाह दी है, क्योंकि वह जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और उसकी खरीद में काफी राशि खर्च होगी.

भवन के वर्तमान स्वामियों के वकील गुल रहमान मोहमंद ने मंगलवार को एक निजी समाचार चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हवेली वर्षों की उपेक्षा के कारण बेहद जर्जर हालत में है.

मोहमंद ने कहा कि भवन के पुनर्निर्माण की लागत उसे प्राप्त करने की लागत से दोगुनी होगी.

अधिवक्ता ने कहा कि अगर केपीके सरकार इसके बावजूद भी इसे खरीदने में दिलचस्पी रखती है, तो उसे बाजार दर पर ऐसा करना चाहिए, जो कि लगभग 35 करोड़ रुपये है.

मोहमंद ने अपने अनुमान का बचाव करते हुए कहा कि हवेली एक प्रमुख इलाके में स्थित है, जहां संपत्ति की दर लगभग सात करोड़ रुपये प्रति मरला है.

मरला भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उपयोग की जाने वाली जमीन की पारंपरिक इकाई है. माना जाता है कि एक मरला में 272.25 वर्ग फुट या 25.2929 वर्ग मीटर होता है.

संपर्क किये जाने पर पुरातत्व निर्देशक अब्दुस समद खान ने कहा कि प्रांतीय सरकार ने भारतीय फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के जन्मस्थान को एक संग्रहालय में बदलने का सिद्धांतिक तौर पर फैसला किया है.

अभिनेता का 100 साल से अधिक पुराना पैतृक मकान प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाज़ार में स्थित है. मकान को 2014 में तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था.

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