श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में रहने वाले शब्बीर हुसैन खान 50 वर्ष की उम्र में भी साल में चार से पांच बार रक्त दान करते हैं. उन्हें ऐसा करने में खुशी मिलती है. घाटी में 'ब्लड मैन ऑफ कश्मीर' के नाम से पहचाने जाने वाले शब्बीर खान ने पिछले 39 वर्षों में लगभग 171 पिन्ट रक्त दान किया है, जो घाटी में सबसे अधिक है.
श्रीनगर के शेर-ए-ख़ास के नौहट्टा क्षेत्र के निवासी शब्बीर ने पहली बार 1980 में रक्तदान किया था, जब वह सिर्फ 13 साल के थे. एक फुटबॉल मैच के दौरान उनका एक दोस्त घायल हो गया था, उसे खून की जरुरत थी, तब से रक्तदान करना शब्बीर के जीवन का एक हिस्सा बन गया है.
शब्बीर खान ने कहा, 'मैं एक वर्ष में चार से पांच बार रक्तदान करता हूं. इससे मेरे स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता है. इससे मुझे संतुष्टि मिलती है कि मेरे रक्त ने लोगों की जान बचाई है. यह कुछ ऐसा है जो मैं कर सकता हूं. मैं 65 साल का होने तक रक्तदान करुंगा. लोगों के मुस्कुराते हुए चेहरे और उनके द्वारा की गई प्रशंसा मुझे असीम संतुष्टि और खुशी देती है.'
उन्हें लगता है कि रक्त दान करना और मानवता की सेवा करना हर स्वस्थ व्यक्ति का कर्तव्य है.
वह कहते हैं, 'रक्त दान करके लोगों की मदद करना उनका कर्तव्य है. कश्मीर की युवा पीढ़ी अपना रक्त दान करने के लिए अनिच्छुक है. उन्हें लगता है कि पैसा सब कुछ है लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए, अन्य धार्मिक कर्तव्यों की तरह, रक्त दान करना और लोगों को बचाना भी एक इबादत है.'
उन्होंने कहा कि एक रक्तदाता को किसी भी तरह की राजनीति से मुक्त होना चाहिए.
खान उन मरीजों को खोजने के लिए हर दिन कम से कम दो घंटे शहर के अस्पतालों में बिताते हैं जिन्हें खून की जरूरत होती है.
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शब्बीर ने बताया, 'यदि आप अस्पतालों का दौरा करते हैं, तो आपको कुछ ऐसे मरीज मिलते हैं जिन्हें खून की जरुरत है लेकिन उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. मैं अपनी टीम के साथ वहां जाता हूं और रक्तदान करता हूं.'
रक्त दान करने के अलावा, खान एक जागरूकता अभियान चला रहे हैं और लोगों को जीवन बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वह रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्य भी हैं.
खान के नाम की सिफारिश राज्य पुरस्कार के लिए की गई थी, लेकिन सामाजिक सेवाओं में सबसे आगे होने के बावजूद सरकार द्वारा उनका नाम हटा दिया गया था. इसको लेकर उनका कहना है कि उन्हें अफसोस है कि सरकार ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया.
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खान के मित्र और टीम के सदस्य गुलाम हसन मीर, जिन्होंने पिछले 20 सालों में 80 पिन्ट रक्त दान किया है, ने बताया कि उन्होंने शब्बीर से प्रेरित होकर पहली बार 2000 में रक्तदान किया था. उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शब्बीर को अपने नेक काम के बावजूद प्रशासन से कोई सम्मान नहीं मिला.