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फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को सजा मिलनी चाहिए : भाजपा

श्रीनगर पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा के जम्मू-कश्मीर के महासचिव वेबोध गुप्ता ने फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह सत्ता में होते हैं, तो कुछ और भाषा बोलते हैं और सत्ता में नहीं होते, तो दूसरी भाषा बोलते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने जनता से अपील की कि वह दोनों नेताओं को सबक सिखाएं.

पत्रकारों से बात करते वेबोध गुप्ता
पत्रकारों से बात करते वेबोध गुप्ता
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Published : Oct 27, 2020, 7:07 PM IST

श्रीनगर : भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की विवादास्पद टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब यह लोग सत्ता में होते हैं, तो एक भाषा बोलते हैं और जब सत्ता में नहीं होते हैं, तो दूसरी भाषा बोलते हैं.

मंगलवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा के जम्मू-कश्मीर के महासचिव वेबोध गुप्ता ने कहा कि कश्मीर में युवाओं को हिंसा और हत्या के लिए गुपकार समझौता करने वाले ही जिम्मेदार हैं.

उन्होंने आगे कहा कि जब महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने दावा किया था कि केवल नरेंद्र मोदी ही कश्मीर मुद्दे को हल कर सकते हैं. पीएम मोदी ने 370 और 35A रद्द करके ऐसा ही किया, लेकिन अब महबूबा सवाल उठा रही हैं.

पत्रकारों से बात करते वेबोध गुप्ता

उन्होंने कहा कि महबूबा अब कह रही हैं कि वह तब तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं लहराएंगी, जब तक कि जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा फिर से बहाल न हो जाए. क्या यह राष्ट्र-विरोधी बात नहीं है? पिछले साल पांच अगस्त के बाद से जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के लिए केवल एक ध्वज है. महबूबा के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

महबूबा मुफ्ता पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह वही हैं, जिन्होंने सत्ता में रहने के दौरान कहा था कि घाटी के युवा पत्रकार दूध लेने के लिए सेना के शिविरों में नहीं जाते हैं. वह पत्थर फेंकने जाते हैं. लेकिन अब वह सत्ता में नहीं है, तो वह कुछ और काम कर रही हैं. जनता को ऐसे लोगों को माफ नहीं करना चाहिए.

पढ़ें- महबूबा मुफ्ती को परिवार के साथ पाकिस्तान चले जाना चाहिए :नितिन पटेल

वहीं फारूक अब्दुल्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, उन्हें सजा मिलनी चाहिए. हमारी सेना चीनी सेना से लड़ रही है और वह चीन से अनुच्छेद 370 को बहाल करने में मदद करने के लिए कह रहे हैं. उनके बेटे उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. आरएसएस तब उनके लिए गलत नहीं था, लेकिन अब गलत है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्वतंत्रता के लिए एक प्रस्ताव पारित किया, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया.

श्रीनगर : भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की विवादास्पद टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब यह लोग सत्ता में होते हैं, तो एक भाषा बोलते हैं और जब सत्ता में नहीं होते हैं, तो दूसरी भाषा बोलते हैं.

मंगलवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा के जम्मू-कश्मीर के महासचिव वेबोध गुप्ता ने कहा कि कश्मीर में युवाओं को हिंसा और हत्या के लिए गुपकार समझौता करने वाले ही जिम्मेदार हैं.

उन्होंने आगे कहा कि जब महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने दावा किया था कि केवल नरेंद्र मोदी ही कश्मीर मुद्दे को हल कर सकते हैं. पीएम मोदी ने 370 और 35A रद्द करके ऐसा ही किया, लेकिन अब महबूबा सवाल उठा रही हैं.

पत्रकारों से बात करते वेबोध गुप्ता

उन्होंने कहा कि महबूबा अब कह रही हैं कि वह तब तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं लहराएंगी, जब तक कि जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा फिर से बहाल न हो जाए. क्या यह राष्ट्र-विरोधी बात नहीं है? पिछले साल पांच अगस्त के बाद से जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के लिए केवल एक ध्वज है. महबूबा के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

महबूबा मुफ्ता पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह वही हैं, जिन्होंने सत्ता में रहने के दौरान कहा था कि घाटी के युवा पत्रकार दूध लेने के लिए सेना के शिविरों में नहीं जाते हैं. वह पत्थर फेंकने जाते हैं. लेकिन अब वह सत्ता में नहीं है, तो वह कुछ और काम कर रही हैं. जनता को ऐसे लोगों को माफ नहीं करना चाहिए.

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वहीं फारूक अब्दुल्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, उन्हें सजा मिलनी चाहिए. हमारी सेना चीनी सेना से लड़ रही है और वह चीन से अनुच्छेद 370 को बहाल करने में मदद करने के लिए कह रहे हैं. उनके बेटे उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. आरएसएस तब उनके लिए गलत नहीं था, लेकिन अब गलत है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्वतंत्रता के लिए एक प्रस्ताव पारित किया, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया.

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