नई दिल्ली: राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी होने पर मुहर लगाई है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों के लिए जवाब है जो आधारहीन और द्वेषपूर्ण प्रचार कर रहे थे.
शाह ने कहा कि राष्ट्र हित से ऊपर अपनी निजी राजनीति करने वाले लोगों को माफी मांगनी चाहिए.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राफेल डील की हर प्रक्रिया सही पाई गई है. उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में राहुल ने झुठ बोला है. फ्रांस के राष्ट्रपति के नाम पर उन्होंने झूठ बोला राहुल ने राफेल का मुद्दा चुनाव में उठाया था.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों ने कहा कि राफेल डील से जुड़े मामले पर रिव्यू की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सच की जीत है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले पर पूरी प्रक्रिया को जांचा जिसे सही बताया, दाम की प्रक्रिया को भी जांचा और सही बताया। सुप्रीम कोर्ट ने ऑफसेट की प्रक्रिया को भी सही ठहराया है.'
रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल से कहा कि 'कोर्ट ने तो माफ़ी मांगने पर आपको छोड़ दिया, लेकिन क्या देश की जनता से आंख मिलाने के लिए माफ़ी मांगेंगे आप.' आज देश ये जानना चाहता है कि वो कौन सी ताकतें थी जो राहुल गांधी के पीछे खड़ी थी.
कांग्रेस ने झूठ बोला, हमारे ईमानदार प्रधानमंत्री के खिलाफ अभियान चलाया, भारत की विदेशों में साख को घटाने की कोशिश की. इसलिए आज राहुल गांधी को देश से माफ़ी मांगने की जरुरत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज मानहानि मामले पर माफी मांगने पर आपको छोड़ा है.
केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने आगे निशाना साधते हुए कहा कि जिनके हाथ पूरी तरह से भ्रष्टाचार में रंगे हैं, देश की सुरक्षा से जिन्होंने खिलवाड़ किया है, वो अपने प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम को कोर्ट में न्याय की गुहार से रूप में प्रस्तुत कर रहे थे.
उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी औपचारिक रूप से देश से मांफी मांगे और राहुल गांधी को भी देश से मांफी मांगनी चाहिए.
हम इतना ही कह सकते हैं कि यह अभियान पूरी तरह संशय से घिरा हुआ है.
विस्तार से पढ़ें पूरा फैसला
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की दलील निष्पक्ष नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को अपने फैसले में इन सभी मुद्दों का विस्तार से निराकरण कर दिया था. पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल थे.
कोर्ट ने कहा, 'हम इसे एक निष्पक्ष कथन इस वजह से नहीं समझते हैं कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता सहित सभी अधिवक्ताओं ने इन तीनों पहलुओं पर विस्तार से अपनी बात रखी.' पीठ ने कहा कि इसमे संदेह नहीं कि प्राथमिकी दर्ज करने और आगे जांच करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन एक बार जब हमने इन तीनों पहलुओं पर उनके गुण-दोष के आधार पर विचार करने के बाद याचिकाकर्ताओं के इस आग्रह पर कोई निर्देश देना उचित नहीं समझा था, जिसके दायरे में प्राथिमकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध स्वत: ही आ जाता है.
पीठ ने कहा, 'पुनर्विचार आवेदनों पर उस समय तक विचार नहीं किया जा सकता, जब तक उपलब्ध रिकॉर्ड में 'गलती' नहीं हो.'
न्यायालय ने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि वह विमानों के लिये करार से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है, जो काफी समय से अलग-अलग सरकारों के समक्ष लटका हुआ था और इन विमानों की जरूरत को लेकर कभी कोई विवाद नहीं था,
पीठ ने कहा, 'हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि इन तीन पहलुओं से इतर - निर्णय लेने की प्रक्रिया, कीमत और ऑफसेट - वह भी एक सीमा तक, न्यायालय ने एक रोविंग जांच कराना उचित नहीं समझा.'
कीमतों में अनियमितता पर क्या कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने उपलब्ध तथ्यों के आधार पर खुद को संतुष्ट किया. वैसे भी कीमतें निर्धारित करना और कतिपय व्यक्तियों की महज 'शंकाओं' के आधार पर कार्रवाई इस न्यायालय का काम नहीं है. कीमतों के बारे में आंतरिक तंत्र स्थिति को देखेगा. दस्तावेजों के अवलोकन पर हमने पाया कि आप सेब और संतरे के बीच तुलना नहीं कर सकते. अत: बुनियादी विमान की कीमत की तुलना करनी होगी, जो प्रतिस्पर्धात्मक रूप से मामूली कम थी.
पीठ ने कहा, 'विमान में क्या कुछ लगाया जाना चाहिए या नहीं और इसमें और क्या कीमत जोड़ी जाए जैसे मुद्दों को फैसले के लिये सक्षम प्राधिकारियों पर छोड़ देना सबसे बेहतर होगा.'
निर्णय लेने की प्रक्रिया के संबंध में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने हासिल किये गये कतिपय दस्तावेजों के आधार पर सामग्री विरोधाभासी होने की दलील दी.
पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ताओं ने इस सौदे के प्रत्येक पहलू पर निर्धारण करने के लिये खुद को ही अपीली प्राधिकार मान लिया और वही करने के लिये न्यायालय को शामिल कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति कौल ने फैसला सुनाते हुये कहा कि न्यायाधीश इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आरोपों की बेवजह जांच का आदेश देना उचित नहीं है.
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न्यायमूर्ति जोसेफ की राय अलग
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि वह न्यायमूर्ति कौल के मुख्य निर्णय से सहमत हैं, लेकिन इसके कुछ पहलुओं पर उन्होंने अपने कारण लिखे हैं.