ETV Bharat / bharat

त्रिपुरा : संकट में भाजपा, मुख्यमंत्री बिप्लब देव के खिलाफ उठ रही आवाजें - मुख्यमंत्री बिप्लब देव

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सरकार के समर्थन में एक रैली निकालने वाले थे, लेकिन पार्टी हाई कमान ने उनको इसकी अनुमति नहीं दी. जब से पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा की सरकार बनी है तब से मुख्यमंत्री बिप्लब देव किसी न किसी विवाद में घिरे हैं.

Biplab Kumar Deb
Biplab Kumar Deb
author img

By

Published : Dec 10, 2020, 11:01 PM IST

नई दिल्ली : त्रिपुरा में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, मुख्यमंत्री बिप्लब देव लगातार किसी न किसी विवाद से घिरे रहे हैं. पार्टी और सरकार के बीच तालमेल की कमी साफ तौर पर दिख रही है और अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने त्रिपुरा सरकार के समर्थन में 13 दिसंबर को रैली की घोषणा की थी, जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने रद्द करने को कहा है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव की तरफ से 13 दिसंबर को सरकार के सहयोग में एक रैली का आह्वान किया गया था. सूत्रों की मानें तो इस रैली को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के प्रभारी की अनुशंसा पर रद्द करने की सलाह दी है.

पार्टी इस बात से भी इंकार कर रही है कि त्रिपुरा में मुख्यमंत्री के पद पर फिलहाल पार्टी कोई बदलाव करना चाहती है. यह कहीं ना कहीं पार्टी के लिए मजबूरी भी है.

पूर्वोत्तर राज्य में पार्टी विस्तार कार्यक्रम चला रही है और त्रिपुरा जैसे राज्य में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बनने में कहीं न कहीं एक बड़ा योगदान वहां के मुख्यमंत्री का भी है. पार्टी फिलहाल किसी भी तरह का अंतर्विरोध नहीं चाहती.

बावजूद इसके विधायकों और सरकार के मंत्रियों के बीच मुख्यमंत्री को लेकर अंतर्विरोध बढ़ता जा रहा है. यह बातें और भी खुलकर तब सामने आ गईं जब पार्टी ने राज्य के नए प्रभारी और भाजपा सांसद विनोद सोनकर को अंतर्विरोधों को सुलझाने के लिए भेजा.

त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी विनोद सोनकर ने अलग-अलग विधायकों से एक एक करके बात की, जिसमें ज्यादातर विधायकों ने अपने मुख्यमंत्री को लेकर नाराजगी जताई. यही नहीं यह नाराजगी और भी खुलकर तब सामने आ गई जब राज्य के प्रभारी पहली बार वहां पर पहुंचे और अगरतला के भारतीय जनता पार्टी दफ्तर में पहुंचते ही कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत बिप्लब हटाओ के नारे से किया.य

इसके बाद यह संदेश पार्टी आलाकमान तक पहुंचाया गया और पार्टी आलाकमान ने राज्य के प्रभारी को सभी विधायकों के साथ वन टू वन करने के निर्देश दिए.

इससे पहले भी विधायक सुदीप रॉय बर्मन के नेतृत्व में छह विधायक दिल्ली पहुंचे थे और केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर बिप्लब देव की शिकायत की थी. इन तमाम अंतर्विरोधों को देखते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को रैली करने की घोषणा की थी.

उन्होंने बुधवार को अगरतला में एक बैठक भी बुलाई थी, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं को बुलाया गया था. केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल इस तरह की रैली करने से मुख्यमंत्री को साफ तौर पर मना कर दिया है. पार्टी को डर है कि कहीं रैली में खुलकर विरोध सामने न आ जाए और वहां की सरकार चलाना मुश्किल हो जाए.

पढ़ें-लोकतंत्र के लिए घातक है ममता सरकार, बंगाल में खिलेगा कमल : नड्डा

इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी विनोद सोनकर से बात की तो उन्होंने दावा किया कि 'किसी भी तरह का अंतर्विरोध नहीं है हमारी पार्टी बड़ी है और यह एक तरह से बड़ा परिवार है, बड़े परिवार में कुछ बातें होती हैं तो वह सुनी भी जाएंगी' उन्होंने कहा कि जिस तरह परिवार में भी सबकी बातें सुनी जाती है उसी तरह पार्टी में भी सब की बातें सुनी जाएंगी.

नई दिल्ली : त्रिपुरा में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, मुख्यमंत्री बिप्लब देव लगातार किसी न किसी विवाद से घिरे रहे हैं. पार्टी और सरकार के बीच तालमेल की कमी साफ तौर पर दिख रही है और अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने त्रिपुरा सरकार के समर्थन में 13 दिसंबर को रैली की घोषणा की थी, जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने रद्द करने को कहा है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव की तरफ से 13 दिसंबर को सरकार के सहयोग में एक रैली का आह्वान किया गया था. सूत्रों की मानें तो इस रैली को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के प्रभारी की अनुशंसा पर रद्द करने की सलाह दी है.

पार्टी इस बात से भी इंकार कर रही है कि त्रिपुरा में मुख्यमंत्री के पद पर फिलहाल पार्टी कोई बदलाव करना चाहती है. यह कहीं ना कहीं पार्टी के लिए मजबूरी भी है.

पूर्वोत्तर राज्य में पार्टी विस्तार कार्यक्रम चला रही है और त्रिपुरा जैसे राज्य में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बनने में कहीं न कहीं एक बड़ा योगदान वहां के मुख्यमंत्री का भी है. पार्टी फिलहाल किसी भी तरह का अंतर्विरोध नहीं चाहती.

बावजूद इसके विधायकों और सरकार के मंत्रियों के बीच मुख्यमंत्री को लेकर अंतर्विरोध बढ़ता जा रहा है. यह बातें और भी खुलकर तब सामने आ गईं जब पार्टी ने राज्य के नए प्रभारी और भाजपा सांसद विनोद सोनकर को अंतर्विरोधों को सुलझाने के लिए भेजा.

त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी विनोद सोनकर ने अलग-अलग विधायकों से एक एक करके बात की, जिसमें ज्यादातर विधायकों ने अपने मुख्यमंत्री को लेकर नाराजगी जताई. यही नहीं यह नाराजगी और भी खुलकर तब सामने आ गई जब राज्य के प्रभारी पहली बार वहां पर पहुंचे और अगरतला के भारतीय जनता पार्टी दफ्तर में पहुंचते ही कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत बिप्लब हटाओ के नारे से किया.य

इसके बाद यह संदेश पार्टी आलाकमान तक पहुंचाया गया और पार्टी आलाकमान ने राज्य के प्रभारी को सभी विधायकों के साथ वन टू वन करने के निर्देश दिए.

इससे पहले भी विधायक सुदीप रॉय बर्मन के नेतृत्व में छह विधायक दिल्ली पहुंचे थे और केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर बिप्लब देव की शिकायत की थी. इन तमाम अंतर्विरोधों को देखते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को रैली करने की घोषणा की थी.

उन्होंने बुधवार को अगरतला में एक बैठक भी बुलाई थी, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं को बुलाया गया था. केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल इस तरह की रैली करने से मुख्यमंत्री को साफ तौर पर मना कर दिया है. पार्टी को डर है कि कहीं रैली में खुलकर विरोध सामने न आ जाए और वहां की सरकार चलाना मुश्किल हो जाए.

पढ़ें-लोकतंत्र के लिए घातक है ममता सरकार, बंगाल में खिलेगा कमल : नड्डा

इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी विनोद सोनकर से बात की तो उन्होंने दावा किया कि 'किसी भी तरह का अंतर्विरोध नहीं है हमारी पार्टी बड़ी है और यह एक तरह से बड़ा परिवार है, बड़े परिवार में कुछ बातें होती हैं तो वह सुनी भी जाएंगी' उन्होंने कहा कि जिस तरह परिवार में भी सबकी बातें सुनी जाती है उसी तरह पार्टी में भी सब की बातें सुनी जाएंगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.