बेंगलुरूः कर्नाटक में भाजपा की नई सरकार ने संकेत दिया कि वह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के राज्य के लिए अलग झंडे के प्रस्ताव पर केंद्र के साथ आगे बातचीत नहीं करेगी.
सरकार प्रतिष्ठित व्यक्तियों की जयंती अलग तरीके से मनाने पर भी विचार कर रही है जबकि मौजूदा व्यवस्था के अनुसार अभी तक उन्हें महज सामुदायिक आइकन ही बताया गया है.
कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री सी टी रवि ने एक सवाल के जवाब में कहा, ध्वज संहिता में पहले ही स्पष्ट है कि देश के लिए एक ध्वज है. सांस्कृतिक ध्वज अलग चीज है, संवैधानिक ध्वज अलग चीज है.
उन्होंने कहा, तिरंगा ही एकमात्र संवैधानिक ध्वज है. सांस्कृतिक ध्वज का कोई विरोध नहीं है लेकिन संवैधानिक रूप से देश के लिए केवल एक ध्वज है और वह तिरंगा है.
पढ़ेंः राहुल कश्मीर पर पार्टी में ही अलग-थलग पड़ेः भाजपा
कार्यभार संभालने पर अधिकारियों के साथ बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, हमारे पास सांस्कृतिक ध्वज के रूप में कन्नड़ ध्वज हो सकता है लेकिन संवैधानिक रूप से ध्वज संहिता के अनुसार राज्य ध्वज के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
गौरतलब है कि सिद्दरमैया सरकार ने प्रतीक एवं नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) कानून, 1950 में कर्नाटक के ध्वज को शामिल करने का केंद्र से अनुरोध किया था.