नई दिल्ली : भारतीय क्षेत्रों से आने वाले नगा विद्रोहियों की संख्या कम होती देख, पिछले कुछ दिनों में अलगाववादी संगठन एनएससीएन (खापलांग) के शीर्ष नेताओं और गुरिल्ला फाइटर्स ने भारत सरकार और नगा राजनीतिक समूहों (एनपीजी) के बीच चल रही शांति वार्ता में शामिल होने के लिए उत्सुकता जाहिर की है.
नतीजतन, एक स्वतंत्र नगा राष्ट्र की मांग करने वाले नगा आंदोलन के ट्रांस-नेशनल स्वरूप को बड़ा झटका लगा है.
एनएससीएन (खापलांग) के भारत और म्यांमार के विद्रोहियों में विभाजन से नगा राष्ट्रवाद खतरे में पड़ गया है. इस विभाजन से भूमिगत नगा नेताओं की गतिविधि का क्षेत्र सिर्फ म्यांमार तक सीमित हो गया है.
म्यांमार मूल के नगाओं के वर्चस्व वाली और युंग आंग की अगुवाई वाली एनएससीएन (खापलांग) भी भारतीय पक्ष में नगा समुदायों पर कोई हिस्सेदारी या प्रभाव नहीं छोड़ पाएगी.
एनएससीएन (खापलांग) एकमात्र नगा भूमिगत गुट था, जो परिचालन युद्ध विराम में नहीं था और न ही भारत सरकार के साथ चल रही वार्ता का हिस्सा था.
बता दें कि एनएससीएन (खापलांग) विभिन्न विद्रोही संगठनों और म्यांमार सरकार के बीच हस्ताक्षरित एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष विराम का हिस्सा है.
बीते 19 दिसंबर को एनएससीएन (खापलांग) के नेता निक्की सुमी अपने दो शिविर अनुयायियों के साथ भारत के लिए रवाना हुए, जबकि एक अन्य महत्वपूर्ण नेता स्टार्सोन लामकांग और उनके 52 गुरिल्ला लड़ाके 25 दिसंबर को नगालैंड में फेक (Phek) जिले में गए. वहीं, 27 सितंबर को एक और एनएससीएन (खापलांग) नेता न्येमलांग कोन्याक भी सरकार के साथ चल रही वार्ता प्रक्रिया में शामिल हुए थे.
नगालैंड और मणिपुर में सेमा, लामकांग और कोन्याक नगा जनजाति के सुमी, स्टार्सोन और न्यमलैंग, एनएससीएन (खापलांग) के तीन महत्वपूर्ण नेता हैं, जो मुख्य रूप से भारतीय पक्ष से नगाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि एनएससीएन (खापलांग) के वर्तमान सुप्रीमो युंग आंग हैं, जो एक म्यांमार के नगा हैं.
एनएससीएन (इसक-मुइवा गुट) से टूटने के बाद एनएससीएन (खापलांग) का गठन 1988 में म्यांमार के हेमी नगा शांगवांग शांगयुंग खापलांग द्वारा किया गया था. संगठन ने 2001 में भारत सरकार के साथ एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसने 2015 में यह आरोप लगाते हुए समझौते से इनकार कर दिया था कि संगठन को एनएससीएन (आईएम) के साथ सरकार की प्राथमिकता वाली वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था.
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भारत में, नगा लगभग 40 बड़ी और छोटी जनजातियों का समुदाय है, जो नगालैंड, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं और म्यांमार में ये सागिंग डिवीजन के कुछ हिस्सों में रहते हैं.
भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवाद को कमजोर करने के अलावा, यह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया (जो विभिन्न विद्रोही संगठनों को पनाह देता है और जिसने हाल के दिनों में सुरक्षा बलों के खिलाफ कई संयुक्त अभियान चलाए हैं) को प्रभावित करेगा.
इन संगठनों में से अधिकांश अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर के लगभग 60,000 वर्ग किमी के रास्ते में पश्चिमी म्यांमार में स्थापित बेस से संचालित होते हैं.
उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से दक्षिण में मणिपुर तक लगभग 1,300 किलोमीटर इनका मुख्य क्षेत्र है, जहां विद्रोही वैचारिक रूप से सिद्ध होने के अलावा युद्ध के लिए प्रशिक्षित होते हैं.