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निजीकरण के विरोध में भारतीय मजदूर संघ का 'सरकार जगाओ सप्ताह' - bharatiya mazdoor sangh protest

केंद्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कई इकाइयों में निजीकरण के निर्णय के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की श्रमिक इकाई भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मुहिम चलाने की घोषणा की है. इसके तहत 'सरकार जगाओ सप्ताह' का आयोजन किया जा रहा है. इसमें बीएमएस 24 से 30 जुलाई के बीच अलग-अलग सेक्टरों के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा. पढ़ें पूरी खबर...

BMS new movement
सरकार बचाओ सप्ताह
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Published : Jul 8, 2020, 7:43 PM IST

नई दिल्ली : मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कई इकाइयों में निजीकरण के निर्णय के विरोध में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मजदूर इकाई भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भी मुहिम चलाने की घोषणा की है. निजीकरण के अलावा मजदूरों के मुद्दे, बढ़ती बेरोजगारी और श्रम कानूनों के निलंबन के विरोध में भारतीय मजदूर संघ 'सरकार जगाओ सप्ताह' का आयोजन करेगा. इसमें मजदूर संघ 24 से 30 जुलाई के बीच अलग-अलग सेक्टरों के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा.

भारतीय मजदूर संघ की ओर से बुधवार को आयोजित वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी गई. इससे पहले मंगलवार को भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों की वर्चुअल मीटिंग हुई थी, जिसमें अध्यक्ष सीके सजिनारायणन और महामंत्री विरजेश उपाध्याय मौजूद थे. बैठक में कोयला क्षेत्र के कर्मचारी और फेडरेशन द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल पर चर्चा हुई और इसे सफल बताया गया. बतौर बीएमएस इस हड़ताल के कारण क्षेत्र की 95 प्रतिशत गतिविधियां प्रभावित हुईं.

सरकार जगाओ सप्ताह के पांच प्रमुख मुद्दे
सजिनारायणन ने मीडिया को बताया कि 'सरकार बचाओ सप्ताह' मुख्यतः पांच मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आयोजित किया जाएगा. ये पांच प्रमुख मुद्दे प्रवासी मजदूरों की समस्याएं, लंबित मजदूरी और पारिश्रमिक, बढ़ती बेरोजगारी और रोजगार का छिनना, श्रम कानून का निलंबन, कई राज्यों में काम के घंटे का बढ़ाया जाना और आक्रामक निजीकरण के लिए लगातार सामाजिक उपक्रमों की बिक्री के साथ रक्षा और रेलवे का निगमीकरण हैं.

'सरकार जगाओ सप्ताह' का आयोजन

  • 'सरकार जगाओ सप्ताह' के दौरान सभी उद्योगों से जुड़े फेडरेशन और राज्य इकाइयां सिलसिलेवार तरीके से अपने मुद्दों को उठाएंगी.
  • भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर कर्मचारियों से संपर्क और बात करके उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों की मौजूदा श्रम नीतियों और उसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करेंगे.
  • चार राज्यों की सरकारों द्वारा लाए गए श्रम विरोधी अध्यादेशों के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाएगा.
  • 12 राज्य सरकारों द्वारा काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 किए जाने के निर्णय के विरुद्ध भी लोगों को एकजुट किया जाएगा.
  • अभियान के हर दिन सारे सेक्टर के कर्मचारी और कार्यकर्ता जुलूस निकालकर नुक्कड़ सभाएं, जन सभाएं, संगोष्ठी सभाओं का आयोजन करेंगे. इस दौरान कोविड-19 को लेकर जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा.

पढ़ें- केंद्र के निजीकरण अभियान के खिलाफ बीएमएस ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया

गौरतलब है कि देश की लगभग सभी प्रमुख ट्रेड यूनियन कोयला, रेलवे और रक्षा क्षेत्र में निजीकरण का विरोध कर रही हैं. अब आरएसएस की मजदूर इकाई भी इस मुहिम में सरकार के विरोध में खड़ी हो गई है. श्रम कानून में बदलाव को लेकर पहले भी मजदूर संघ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुका है.

नई दिल्ली : मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कई इकाइयों में निजीकरण के निर्णय के विरोध में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मजदूर इकाई भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भी मुहिम चलाने की घोषणा की है. निजीकरण के अलावा मजदूरों के मुद्दे, बढ़ती बेरोजगारी और श्रम कानूनों के निलंबन के विरोध में भारतीय मजदूर संघ 'सरकार जगाओ सप्ताह' का आयोजन करेगा. इसमें मजदूर संघ 24 से 30 जुलाई के बीच अलग-अलग सेक्टरों के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा.

भारतीय मजदूर संघ की ओर से बुधवार को आयोजित वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी गई. इससे पहले मंगलवार को भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों की वर्चुअल मीटिंग हुई थी, जिसमें अध्यक्ष सीके सजिनारायणन और महामंत्री विरजेश उपाध्याय मौजूद थे. बैठक में कोयला क्षेत्र के कर्मचारी और फेडरेशन द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल पर चर्चा हुई और इसे सफल बताया गया. बतौर बीएमएस इस हड़ताल के कारण क्षेत्र की 95 प्रतिशत गतिविधियां प्रभावित हुईं.

सरकार जगाओ सप्ताह के पांच प्रमुख मुद्दे
सजिनारायणन ने मीडिया को बताया कि 'सरकार बचाओ सप्ताह' मुख्यतः पांच मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आयोजित किया जाएगा. ये पांच प्रमुख मुद्दे प्रवासी मजदूरों की समस्याएं, लंबित मजदूरी और पारिश्रमिक, बढ़ती बेरोजगारी और रोजगार का छिनना, श्रम कानून का निलंबन, कई राज्यों में काम के घंटे का बढ़ाया जाना और आक्रामक निजीकरण के लिए लगातार सामाजिक उपक्रमों की बिक्री के साथ रक्षा और रेलवे का निगमीकरण हैं.

'सरकार जगाओ सप्ताह' का आयोजन

  • 'सरकार जगाओ सप्ताह' के दौरान सभी उद्योगों से जुड़े फेडरेशन और राज्य इकाइयां सिलसिलेवार तरीके से अपने मुद्दों को उठाएंगी.
  • भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर कर्मचारियों से संपर्क और बात करके उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों की मौजूदा श्रम नीतियों और उसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करेंगे.
  • चार राज्यों की सरकारों द्वारा लाए गए श्रम विरोधी अध्यादेशों के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाएगा.
  • 12 राज्य सरकारों द्वारा काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 किए जाने के निर्णय के विरुद्ध भी लोगों को एकजुट किया जाएगा.
  • अभियान के हर दिन सारे सेक्टर के कर्मचारी और कार्यकर्ता जुलूस निकालकर नुक्कड़ सभाएं, जन सभाएं, संगोष्ठी सभाओं का आयोजन करेंगे. इस दौरान कोविड-19 को लेकर जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा.

पढ़ें- केंद्र के निजीकरण अभियान के खिलाफ बीएमएस ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया

गौरतलब है कि देश की लगभग सभी प्रमुख ट्रेड यूनियन कोयला, रेलवे और रक्षा क्षेत्र में निजीकरण का विरोध कर रही हैं. अब आरएसएस की मजदूर इकाई भी इस मुहिम में सरकार के विरोध में खड़ी हो गई है. श्रम कानून में बदलाव को लेकर पहले भी मजदूर संघ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुका है.

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