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भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' का 375 स्वयंसेवकों पर क्लीनिकल परीक्षण शुरू

कोरोना वायरस के प्रसार पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत की पहली देसी कोविड-19 वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के लिए मानव क्लीनिकल परीक्षण 375 स्वयंसेवकों पर देशभर में शुरू किया गया है. 'कोवैक्सीन' हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोरोनारोधी वैक्सीन है. पढ़ें पूरी खबर...

Clinical trial of covaxine
कोवैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण.
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Published : Jul 18, 2020, 5:26 PM IST

हैदराबाद : भारत बायोटेक इंटनेशनल लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' का मानव क्लीनिकल परीक्षण 375 स्वयंसेवकों पर देशभर में शुरू किया गया है. कंपनी के सूत्रों ने यह जानकारी दी.

भारत की पहली देसी कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' ने 15 जुलाई 2020 को देशभर में पहले चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया है. यह भारत में 375 स्वयंसेवकों पर एक अनियमित, डबल-ब्लाइंड, प्लेसबो-नियंत्रित क्लीनिकल परीक्षण है.

जहां तक क्लीनिकल परीक्षणों का सवाल है, 'डबल-ब्लाइंड' का अर्थ है रोगी और न ही शोधकर्ता जानता है कि किसे प्लेसबो मिल रहा है और किसे उपचार मिल रहा है.

गौरतलब है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने दो वैक्सीन के मानव क्लीनिकल परीक्षणों के पहले और दूसरे चरण की अनुमति दी थी. इनमें एक वैक्सीन भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से विकसित की जबकि जिडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने दूसरी वैक्सीन विकसित की है.

पढ़ें- यहां समझें 'कोवैक्सीन' के मानव परीक्षण की पूरी प्रक्रिया

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बीते दिनों कहा था कि दो भारतीय कंपनियों ने एंटी कोरोना वैक्सीन विकसित की है, जिसका उन्होंने चूहों और खरगोशों पर सफल विषाक्तता अध्ययन किया. दोनों कंपनियों ने अपने अध्ययन का डेटा डीसीजीआई को प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद दोनों को इस महीने की शुरुआत में प्रारंभिक चरण के मानव परीक्षण शुरू करने की मंजूरी दी गई थी.

हैदराबाद : भारत बायोटेक इंटनेशनल लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' का मानव क्लीनिकल परीक्षण 375 स्वयंसेवकों पर देशभर में शुरू किया गया है. कंपनी के सूत्रों ने यह जानकारी दी.

भारत की पहली देसी कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' ने 15 जुलाई 2020 को देशभर में पहले चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया है. यह भारत में 375 स्वयंसेवकों पर एक अनियमित, डबल-ब्लाइंड, प्लेसबो-नियंत्रित क्लीनिकल परीक्षण है.

जहां तक क्लीनिकल परीक्षणों का सवाल है, 'डबल-ब्लाइंड' का अर्थ है रोगी और न ही शोधकर्ता जानता है कि किसे प्लेसबो मिल रहा है और किसे उपचार मिल रहा है.

गौरतलब है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने दो वैक्सीन के मानव क्लीनिकल परीक्षणों के पहले और दूसरे चरण की अनुमति दी थी. इनमें एक वैक्सीन भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से विकसित की जबकि जिडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने दूसरी वैक्सीन विकसित की है.

पढ़ें- यहां समझें 'कोवैक्सीन' के मानव परीक्षण की पूरी प्रक्रिया

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बीते दिनों कहा था कि दो भारतीय कंपनियों ने एंटी कोरोना वैक्सीन विकसित की है, जिसका उन्होंने चूहों और खरगोशों पर सफल विषाक्तता अध्ययन किया. दोनों कंपनियों ने अपने अध्ययन का डेटा डीसीजीआई को प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद दोनों को इस महीने की शुरुआत में प्रारंभिक चरण के मानव परीक्षण शुरू करने की मंजूरी दी गई थी.

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