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जादवपुर विश्वविद्यालय जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था : धनखड़

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की मदद के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय जानें के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं था. जानें क्या कुछ कहा धनखड़ ने...

जगदीप धनखड़ ( फाइल फोटो)
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Published : Sep 23, 2019, 8:11 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 4:04 PM IST

कोलकाताः पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की मदद के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय पहुंचने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था. वहां छात्रों के एक वर्ग ने गुरुवार को भाजपा नेता का घेराव कर उनके साथ धक्का-मुक्की की थी.

वामपंथी छात्र संघों के प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में करीब पांच घंटे तक सुप्रियो को बंधक बनाकर रखा गया, जिसके बाद गुरुवार शाम राज्यपाल ने वहां पहुंचकर उन्हें वहां से निकाला.

बता दें कि धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं.

उन्होंने कहा कि उस वक्त की मौजूदा स्थिति को समझने के लिये विश्वविद्यालय परिसर जाने के उनके फैसले में कुछ भी गलत नहीं था.

उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि मेरे वहां जाने पर मुझे छात्रों और प्राध्यापकों का सहयोग और समर्थन मिला.'

राज्यपाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, 'अगर मैं प्रदर्शनकारी छात्रों से मिलकर स्थिति नहीं समझूंगा तो उनके संपर्क में कौन रहेगा? मुझे उनसे जुड़ना है, उनके साथ बातचीत करनी है, सिर्फ तभी हम आगे जा सकते हैं.'

ये भी पढ़ेंः जादवपुर यूनिवर्सिटी जाने का फैसला संवैधानिक दायरे में : राज्यपाल

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने राज्य सरकार को सूचित किये बिना धनखड़ के विश्वविद्यालय पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की थी.

तृणमूल कांग्रेस नेता और शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने रविवार शाम को बंगाली भाषा में एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उनका मानना है कि राज्यपाल को उन्हें मिली संवैधानिक शक्तियों के दायरे में ही बोलना चाहिए.

आपको बता दें कि मंत्री ने इस बारे में ज्यादा विवरण नहीं दिया.

कोलकाताः पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की मदद के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय पहुंचने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था. वहां छात्रों के एक वर्ग ने गुरुवार को भाजपा नेता का घेराव कर उनके साथ धक्का-मुक्की की थी.

वामपंथी छात्र संघों के प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में करीब पांच घंटे तक सुप्रियो को बंधक बनाकर रखा गया, जिसके बाद गुरुवार शाम राज्यपाल ने वहां पहुंचकर उन्हें वहां से निकाला.

बता दें कि धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं.

उन्होंने कहा कि उस वक्त की मौजूदा स्थिति को समझने के लिये विश्वविद्यालय परिसर जाने के उनके फैसले में कुछ भी गलत नहीं था.

उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि मेरे वहां जाने पर मुझे छात्रों और प्राध्यापकों का सहयोग और समर्थन मिला.'

राज्यपाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, 'अगर मैं प्रदर्शनकारी छात्रों से मिलकर स्थिति नहीं समझूंगा तो उनके संपर्क में कौन रहेगा? मुझे उनसे जुड़ना है, उनके साथ बातचीत करनी है, सिर्फ तभी हम आगे जा सकते हैं.'

ये भी पढ़ेंः जादवपुर यूनिवर्सिटी जाने का फैसला संवैधानिक दायरे में : राज्यपाल

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने राज्य सरकार को सूचित किये बिना धनखड़ के विश्वविद्यालय पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की थी.

तृणमूल कांग्रेस नेता और शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने रविवार शाम को बंगाली भाषा में एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उनका मानना है कि राज्यपाल को उन्हें मिली संवैधानिक शक्तियों के दायरे में ही बोलना चाहिए.

आपको बता दें कि मंत्री ने इस बारे में ज्यादा विवरण नहीं दिया.

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Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 1:5 HRS IST

यादवपुर विश्वविद्यालय जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था : धनखड़

कोलकाता, 22 सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की मदद के लिये यादवपुर विश्वविद्यालय पहुंचने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था। वहां छात्रों के एक वर्ग ने बृहस्पतिवार को भाजपा नेता का घेराव कर उनके साथ धक्का-मुक्की की थी।



वामपंथी छात्र संघों के प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में करीब पांच घंटे तक सुप्रियो को बंधक बनाकर रखा गया, जिसके बाद बृहस्पतिवार शाम राज्यपाल ने वहां पहुंचकर उन्हें वहां से निकाला।



धनखड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं।



उन्होंने कहा कि उस वक्त की मौजूदा स्थिति को समझने के लिये विश्वविद्यालय परिसर जाने के उनके फैसले में कुछ भी गलत नहीं था।



उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि मेरे वहां जाने पर मुझे छात्रों और प्राध्यापकों का सहयोग और समर्थन मिला।”



राज्यपाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “अगर मैं प्रदर्शनकारी छात्रों से मिलकर स्थिति नहीं समझूंगा तो उनके संपर्क में कौन रहेगा? मुझे उनसे जुड़ना है, उनके साथ बातचीत करनी है...सिर्फ तभी हम आगे जा सकते हैं।”



इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने राज्य सरकार को सूचित किये बिना धनखड़ के विश्वविद्यालय पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की थी।



तृणमूल कांग्रेस नेता और शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने रविवार शाम को बंगाली भाषा में एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उनका मानना है कि राज्यपाल को ‘‘उन्हें मिली संवैधानिक शक्तियों के दायरे में ही बोलना चाहिए।’’



मंत्री ने इस बारे में ज्यादा विवरण नहीं दिया।


Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 4:04 PM IST
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