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झूठ को बार-बार कहकर सच साबित करने की है चीन की नीति : रिपोर्ट

चीन अपनी विस्तारवादी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कई कूटनीतिक नीतियों का सहारा लेता रहता है. कभी वो दो कदम आगे तो कभी वह एक कदम पीछे की राह पर चल पड़ता है. कभी बार-बार झूठ बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास करता है. अपनी ताकत के बल पर वह संचार माध्यमों के जरिए झूठ को बेहतर तरीके से प्रसारित करने का प्रयास भी करता है जिससे लोगों को लगता है कि वह सच बोल रहा है. कुछ ऐसा ही दक्षिण चीन सागर में नाइन-डैश लाइन को लेकर भी चीन ने किया. पढ़िये ये खास रिपोर्ट...

झूठ को बार-बार कहकर सच साबित करने की है चीन की नीति
झूठ को बार-बार कहकर सच साबित करने की है चीन की नीति
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Published : Jul 22, 2020, 11:51 AM IST

वाशिंगटन: अमेरिका स्थित वॉशिंगटन के एक विचारक ने कहा की दक्षिण चीन सागर में बीजिंग ने न केवल तथ्यों को बदलने का प्रयास किया है बल्कि धीरे-धीरे दुनिया की सोच को भी बदलने की कोशिश कर रहा है. चीन ने अपने दावों को सच साबित करने के लिए नए तथ्य गढ़ लिए और धीरे-धीरे दुनिया को भी यही सच बताने की कोशिश में जुटा है.

वियतनाम के ईस्ट सी इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैटिक एकेडमी में रिसर्च फेलो रहे गुयेन थ्यू एनह ने एशिया मैरिटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि नाइन-डैश लाइन दक्षिण चीन सागर में चीन के गलत दावों का प्रतिनिधित्व करता है. लाइन स्वयं विशिष्ट निर्देशांक के बिना मनमाना डैश या डॉट्स का एक संग्रह है. चीन ने इसके सटीक परिसीमन या कानूनी उत्पत्ति के बारे में कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है और कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी इसकी आलोचना की है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जुलाई 2016 में दक्षिण चीन सागर न्यायाधिकरण ने भी उनके दावे को खारिज कर दिया था लेकिन चीन ने इसकी अवहेलना की और नाइन-डैश लाइन के दावे पर जोर दिया.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन मानव चेतना में एक लोकप्रिय कहानी गढ़ने का प्रयास कर रहा है की नाइन-डैश लाइन चीन के प्रशासनिक क्षेत्र का हिस्सा है. नाइन-डैश लाइन को बढ़ावा देने के लिए वह किसी भी माध्यम का उपयोग कर सकता है. जैसे की पासपोर्ट, नक्शे, निर्यात किए गए ग्लोब, फिल्में, किताबें, ऑनलाइन गेम, कपड़े, पर्यटक पत्रक, बुकलेट, टेलीविज़न शो, और भी कई माध्यम हो सकते हैं.

अक्टूबर 2019 में नाइन-डैश लाइन का नक्शा एक एनिमेटेड पारिवारिक फिल्म "एबोमिनेबल" में दिखाई दिया जो संयुक्त रूप से चीन स्थित पर्ल स्टूडियो और अमेरिका के ड्रीमवर्क्स एनिमेशन ने बनाया है. 2018 में चीनी पर्यटकों का एक समूह नाइन-डैश लाइन की फोटो वाला टीशर्ट पहने वियतनाम पहुंचा. इससे पहले 2015 में चीन के लोगों ने नाइन-डैश लाइन को रेखांकित करने वाली गूगल मैप के फोटो का अनावरण किया.

2009 से पहले नाइन-डैश लाइन केवल शायद ही कभी वैज्ञानिक लेखों में दिखाई देती थी। लाइन के साथ चित्रित किए गए लेखों की संख्या में 2010 के बाद से लगातार वृद्धि देखी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, हाइड्रोग्राफी, पुरातत्व, कृषि, जैव-ऊर्जा, पर्यावरण, अपशिष्ट प्रबंधन, और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित कठिन विज्ञान विषयों की एक लंबी श्रृंखला को कवर करते हुए 2020 में भी इसी तरह की प्रवृत्ति जारी है. इन वैज्ञानिक प्रिंटों में नाइन-डैश लाइन का इस्तेमाल अपने आप नहीं होने लगा है. उन्हीं लेखों में इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा है जिन्हें चीनी लेखकों या सह लेखकों ने लिखा है.

अधिकांश लेख और शोध परिणाम जिन्हें चीनी सरकारी एजेंसियों ने प्रकाशित किया वो चीन सरकार के दिए गए फंड पर काम कर रही थी. यहां तक कि खुद चीनी एक्सपर्ट भी नाइन-डैश लाइन के चित्र और लेखों के बीच पैदा हुए तर्क को समझाने में असमर्थ हैं.

चीन के लिए इस तरह के अप्रासंगिक आंकड़े इतने काम के कैसे साबित हुए इसका एक कारण यह हो सकता है चीन ने अपनी बाजार की शक्ति का लाभ उठाकर प्रकाशकों,शिक्षण संस्थानों और थिंक-टैंकों को आत्म-सेंसर के लिए मजबूर किया हो और प्रकाशन पर बीजिंग के नियमों को समायोजित करने का दबाव बनाया हो. वे प्रकाशन कंपनियों को ऐसी सामग्री को हटाने के लिए मजबूर करने में सक्षम हो गए हैं जो चीनी हितों के खिलाफ हैं.

हालांकि अभी तक उनके दावे को विशेषज्ञों ने सच नहीं मान लिया है लेकिन इस तरह के नक्शों का व्यापक प्रकाशन वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, या छात्रों के बीच गलतफहमी पैदा कर सकता है, और बाद में बड़ा विवाद भी खड़ा कर सकता है.

वाशिंगटन: अमेरिका स्थित वॉशिंगटन के एक विचारक ने कहा की दक्षिण चीन सागर में बीजिंग ने न केवल तथ्यों को बदलने का प्रयास किया है बल्कि धीरे-धीरे दुनिया की सोच को भी बदलने की कोशिश कर रहा है. चीन ने अपने दावों को सच साबित करने के लिए नए तथ्य गढ़ लिए और धीरे-धीरे दुनिया को भी यही सच बताने की कोशिश में जुटा है.

वियतनाम के ईस्ट सी इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैटिक एकेडमी में रिसर्च फेलो रहे गुयेन थ्यू एनह ने एशिया मैरिटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि नाइन-डैश लाइन दक्षिण चीन सागर में चीन के गलत दावों का प्रतिनिधित्व करता है. लाइन स्वयं विशिष्ट निर्देशांक के बिना मनमाना डैश या डॉट्स का एक संग्रह है. चीन ने इसके सटीक परिसीमन या कानूनी उत्पत्ति के बारे में कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है और कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी इसकी आलोचना की है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जुलाई 2016 में दक्षिण चीन सागर न्यायाधिकरण ने भी उनके दावे को खारिज कर दिया था लेकिन चीन ने इसकी अवहेलना की और नाइन-डैश लाइन के दावे पर जोर दिया.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन मानव चेतना में एक लोकप्रिय कहानी गढ़ने का प्रयास कर रहा है की नाइन-डैश लाइन चीन के प्रशासनिक क्षेत्र का हिस्सा है. नाइन-डैश लाइन को बढ़ावा देने के लिए वह किसी भी माध्यम का उपयोग कर सकता है. जैसे की पासपोर्ट, नक्शे, निर्यात किए गए ग्लोब, फिल्में, किताबें, ऑनलाइन गेम, कपड़े, पर्यटक पत्रक, बुकलेट, टेलीविज़न शो, और भी कई माध्यम हो सकते हैं.

अक्टूबर 2019 में नाइन-डैश लाइन का नक्शा एक एनिमेटेड पारिवारिक फिल्म "एबोमिनेबल" में दिखाई दिया जो संयुक्त रूप से चीन स्थित पर्ल स्टूडियो और अमेरिका के ड्रीमवर्क्स एनिमेशन ने बनाया है. 2018 में चीनी पर्यटकों का एक समूह नाइन-डैश लाइन की फोटो वाला टीशर्ट पहने वियतनाम पहुंचा. इससे पहले 2015 में चीन के लोगों ने नाइन-डैश लाइन को रेखांकित करने वाली गूगल मैप के फोटो का अनावरण किया.

2009 से पहले नाइन-डैश लाइन केवल शायद ही कभी वैज्ञानिक लेखों में दिखाई देती थी। लाइन के साथ चित्रित किए गए लेखों की संख्या में 2010 के बाद से लगातार वृद्धि देखी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, हाइड्रोग्राफी, पुरातत्व, कृषि, जैव-ऊर्जा, पर्यावरण, अपशिष्ट प्रबंधन, और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित कठिन विज्ञान विषयों की एक लंबी श्रृंखला को कवर करते हुए 2020 में भी इसी तरह की प्रवृत्ति जारी है. इन वैज्ञानिक प्रिंटों में नाइन-डैश लाइन का इस्तेमाल अपने आप नहीं होने लगा है. उन्हीं लेखों में इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा है जिन्हें चीनी लेखकों या सह लेखकों ने लिखा है.

अधिकांश लेख और शोध परिणाम जिन्हें चीनी सरकारी एजेंसियों ने प्रकाशित किया वो चीन सरकार के दिए गए फंड पर काम कर रही थी. यहां तक कि खुद चीनी एक्सपर्ट भी नाइन-डैश लाइन के चित्र और लेखों के बीच पैदा हुए तर्क को समझाने में असमर्थ हैं.

चीन के लिए इस तरह के अप्रासंगिक आंकड़े इतने काम के कैसे साबित हुए इसका एक कारण यह हो सकता है चीन ने अपनी बाजार की शक्ति का लाभ उठाकर प्रकाशकों,शिक्षण संस्थानों और थिंक-टैंकों को आत्म-सेंसर के लिए मजबूर किया हो और प्रकाशन पर बीजिंग के नियमों को समायोजित करने का दबाव बनाया हो. वे प्रकाशन कंपनियों को ऐसी सामग्री को हटाने के लिए मजबूर करने में सक्षम हो गए हैं जो चीनी हितों के खिलाफ हैं.

हालांकि अभी तक उनके दावे को विशेषज्ञों ने सच नहीं मान लिया है लेकिन इस तरह के नक्शों का व्यापक प्रकाशन वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, या छात्रों के बीच गलतफहमी पैदा कर सकता है, और बाद में बड़ा विवाद भी खड़ा कर सकता है.

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