मुंबई : रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने सोमवार को सरकार के प्रोत्साहन पैकेज की क्षमता को लेकर शंका जताई है. उनका मानना है कि पैकेज के तहत छोटे व्यवसायियों, कृषि और बिजली वितरण कंपनियों को कुल मिलाकर 7.9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरण 'व्यवहार्य' नहीं दिखाता है.
उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक को कर्ज के एकबारगी पुनर्गठन पैकेज को एक बार फिर से पेश करना चाहिए कोविड- 19 जैसे महामारी के समय में केवल कर्ज किस्त की वापसी पर रोक लगाने से ही काम नहीं चलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के प्रभाव से दबी अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इस घोषणा में छोटे, कुटीर और मध्यम दर्जे के उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये तक का गारंटी रहित कर्ज देने की घोषणा की गई है. इसके साथ ही किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए दो लाख करोड़ रुपये बैंकों से उपलब्ध कराने की बात कही गई है. नकदी की तंगी से जूझ रही बिजली वितरण कंपनियों को उबारने के लिये 90,000 करोड़ रुपये की नकदी देने का भी इसमें वादा किया गया है.
गांधी रिजर्व बैंक में रहते हुए बैंकिंग नियमन कारोबार को देखते रहे हैं. उनका कहना कि पूरे वित्त वर्ष 2019- 20 में जब आर्थिक वृद्धि में गिरावट नहीं आई थी तब सभी बैंकों ने मिलकर वर्ष के दौरान छह लाख करोड़ रुपये का अधिक ऋृण दिया था. अब इस स्तर पर कर्ज वितरण होगा यह कैसे माना जा सकता है.
गांधी ने कहा कि अर्थव्यवसथा में अन्य क्षेत्र भी हैं, जिन्हें कर्ज की जरूरत होगी. यदि अन्य क्षेत्र कर्ज लेते हैं तो यह आंकड़ा 7.9 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त होगा.
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रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर यहां एक आनलाइन वेबिनार में बोल रहे थे. इसका आयोजन भुगतान प्रणाली कंपनी ‘इलेक्ट्रानिक पेमेंट्स एण्ड सविर्सिज’ द्वारा किया गया था. उन्होंने कहा, 'पैकेज की व्यवहार्यता .... यह वास्तव में संभव नहीं दिखाई देता है क्योंकि इसमें सरकार ने जो गणना की है. वह वास्तव में सरकार के खुद के आकलन के आधार पर ही आधारित दिखाई देती है.'