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बाबाधाम में दर्शन मामला : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर नहीं लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बाबा बैद्यनाथ धाम दर्शन मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा कि क्या भक्तों के लिए सीमित संख्या में और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की इजाजत दी जा सकती है.

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Published : Jul 31, 2020, 6:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के दौरान कई मंदिरों ने भक्तों को दर्शन के लिए ई-दर्शन की व्यवस्था की है. इसी कड़ी में बाबा बैद्यनाथ धाम में भी भक्तों को सिर्फ ई-दर्शन की इजाजत है. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने श्रावणी मेले पर रोक लगाने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा है कि क्या भक्तों के लिए सीमित संख्या में और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की इजाजत दी जा सकती है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुआई वाली पीठ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. निशिकांत दुबे ने तीन जुलाई को झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें इस साल कोरोना महामारी के मद्देनजर बैद्यनाथ मंदिर में वार्षिक श्रावणी मेला आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है.

मंदिर में 30,000 पुजारियों की अनुमति पर पीठ ने सवाल किया कि जब इतनी बड़ी संख्या में पंडित मंदिर में पूजा कर सकते हैं तो फिर इससे भक्तों को बाहर क्यों रखा गया है. इसके अलावा कोर्ट यह देखा कि अब अनलॉक के दौरान तालेबंदी में ढील दी जा रही है तो मंदिर, चर्च, मस्जिद भी खोले जाएंगे.

मामले में झारखंड सरकार ने कहा है कि त्योहार से दो दिन पहले ही आदेश रद्द करने से माहौल अराजकता पूर्ण हो जाएगा. हालांकि, शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई यानी वार्षिक उत्सव आयोजित करने का कोई निर्देश नहीं दिया.

सर्वोच्च अदालत ने यह जरूर कहा कि राज्य को ढील के साथ पूजा स्थलों को खोलने पर विचार करना चाहिए.

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के दौरान कई मंदिरों ने भक्तों को दर्शन के लिए ई-दर्शन की व्यवस्था की है. इसी कड़ी में बाबा बैद्यनाथ धाम में भी भक्तों को सिर्फ ई-दर्शन की इजाजत है. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने श्रावणी मेले पर रोक लगाने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा है कि क्या भक्तों के लिए सीमित संख्या में और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की इजाजत दी जा सकती है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुआई वाली पीठ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. निशिकांत दुबे ने तीन जुलाई को झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें इस साल कोरोना महामारी के मद्देनजर बैद्यनाथ मंदिर में वार्षिक श्रावणी मेला आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है.

मंदिर में 30,000 पुजारियों की अनुमति पर पीठ ने सवाल किया कि जब इतनी बड़ी संख्या में पंडित मंदिर में पूजा कर सकते हैं तो फिर इससे भक्तों को बाहर क्यों रखा गया है. इसके अलावा कोर्ट यह देखा कि अब अनलॉक के दौरान तालेबंदी में ढील दी जा रही है तो मंदिर, चर्च, मस्जिद भी खोले जाएंगे.

मामले में झारखंड सरकार ने कहा है कि त्योहार से दो दिन पहले ही आदेश रद्द करने से माहौल अराजकता पूर्ण हो जाएगा. हालांकि, शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई यानी वार्षिक उत्सव आयोजित करने का कोई निर्देश नहीं दिया.

सर्वोच्च अदालत ने यह जरूर कहा कि राज्य को ढील के साथ पूजा स्थलों को खोलने पर विचार करना चाहिए.

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