नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान 'अली' और 'बजरंगबली' को लेकर सियासत गरम है. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने कहा है कि योगी का ये बयान ठीक नहीं है. उन्होंने 'बजरंगबली' की जगह 'बजरंग-अली' के नारे लगवाए. आजम यूपी के रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
आजम खान के खिलाफ भाजपा ने जयाप्रदा को उम्मीदवार बनाया है. बता दें, चुनाव आयोग ने मेरठ में एक रैली के दौरान 'अली' और 'बजरंग अली' वाली टिप्पणी करने को लेकर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा था कि प्रथम दृष्टया योगी ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. साथ ही उनसे शुक्रवार की शाम तक जवाब देने को कहा.
दरअसल, योगी ने लोकसभा चुनावों की तुलना इस्लाम में अहम शख्सियत 'अली' और हिंदू देवता 'बजरंगबली' के बीच मुकाबले से की थी.
इसके जवाब में रामपुर में गुरुवार को एक आमसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने कहा कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने बयान दिया है कि अगर मोदी फिर सत्ता में आते हैं, तो दोनों देशों के बीच विवाद सुलझ जाएगा. आजम खान ने कहा कि मोदी-इमरान की ये कैसी मिलीभगत है ?
सपा उम्मीदवार ने आगे पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, 'आप कल नवाज शरीफ के दोस्त थे और आज इमरान खान आपके दोबारा प्रधानमंत्री बनने का इंतजार कर रहा है. बताओ लोगों पाकिस्तान का एजेंट मैं हूं या कोई और?'
अली और बजरंग मामले पर लोगों से अपील करते हुए कहा, 'आपस के रिश्ते को अच्छा करो, अली और बजरंग में झगड़ा मत कराओ, मैं तो एक नाम दिए देता हूं बजरंग अली.'
सीएम योगी को घेरते हुए आजम खान ने कहा, 'मेरा तो दिल कमजोर नहीं हुआ. योगी जी. आपने कहा था कि हनुमान जी दलित थे. फिर किसी ने कहा हनुमान जी ठाकुर थे. फिर पता चला कि वे ठाकुर नहीं थे, वे जाट थे. फिर किसी ने कहा कि वे हिंदुस्तान के थे ही नहीं, वे तो श्रीलंका के थे. एक मुसलमान एमएलसी ने कहा कि हनुमान जी मुसलमान थे. तब जाकर झगड़ा ही खत्म हो गया. अब हम अली और बजरंग एक हैं.'
इसके बाद उन्होंने कहा- 'बजरंग अली तोड़ दो दुश्मन की नली, बजरंग अली ले लो जालिमों की बलि.'
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने आजम खान के बजरंगबी पर दिए बयान की कड़ी आलोचना की है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने कहा कि आजम खान ने हिन्दू आस्था पर चोट करने का बड़ा दुष्कर्म किया है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए. चुनाव आयोग को चाहिए की वह इस पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दे.