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जी-20 : भारत ने चीन का नाम लिए बिना उठाया सुरक्षा का मुद्दा, पोम्पियो ने की प्रशंसा

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Published : Jul 22, 2020, 11:11 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 2:59 PM IST

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दुनियाभर के डिजिटल मंचों को नागरिकों की सूचनाओं की गोपनीयता व सुरक्षा को लेकर संप्रभु राष्ट्रों की चिंताओं के प्रति जिम्मेदार, जवाबदेह तथा संवेदनशील होना चाहिये. वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कहा कि पूर्वी लद्दाख में हाल में भारत के खिलाफ चीन की सेना द्वारा शुरू किया गया संघर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 'अस्वीकार्य व्यवहार' का नवीनतम उदाहरण है. साथ ही उन्होंने कहा कि टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की प्रशंसा की और कहा कि ये भारत के लोगों के लिए 'सुरक्षा खतरा' हैं.

रविशंकर, पोम्पियो
रविशंकर, पोम्पियो

नई दिल्ली : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि दुनियाभर के डिजिटल मंचों को नागरिकों की सूचनाओं की गोपनीयता व सुरक्षा को लेकर संप्रभु राष्ट्रों की चिंताओं के प्रति जिम्मेदार, जवाबदेह तथा संवेदनशील होना चाहिये.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रसाद ने जी 20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्री बैठक को संबोधित करते हुए सूचनाओं से संबंधित मुद्दों तथा नागरिकों की सुरक्षा व सूचनाओं की गोपनीयता संरक्षित रखने के देशों के संप्रभु अधिकारों पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही एक मजबूत व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून लागू करेगा जो न केवल नागरिकों से जुड़ी सूचनाओं की गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करेगा बल्कि नवाचार व आर्थिक विकास के लिये डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.

मंत्री ने कहा कि कई देशों में मौजूद डिजिटल मंच विश्वसनीय, सुरक्षित और सुरक्षित होने चाहिए. उन्होंने कहा, 'जहां तक सुरक्षा, रक्षा और सूचनाओं की गोपनीयता की बात है, डिजिटल मंचों को संप्रभु राष्ट्रों की चिंताओं को लेकर जिम्मेदार, जवाबदेह और संवेदनशील होने की जरूरत है.'

प्रसाद ने जी 20 देशों के डिजिटल मंत्रियों से कहा 'यह स्वीकार करने का समय है कि दुनिया में कहीं भी डिजिटल मंचों को रक्षा, गोपनीयता और नागरिकों की सुरक्षा सहित देशों की संप्रभु चिंताओं के प्रति उत्तरदायी व जवाबदेह होना चाहिये.'

प्रसाद ने अपने संबोधन के दौरान कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद करने वाले भारत के डिजिटल नवाचारों को साझा किया. उन्होंने मरीजों की निगरानी के लिये आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप, जियो-फेंसिंग प्रणाली और कोविड-19 सावधान बल्क मैसेजिंग सिस्टम जैसी पहलों की जानकारी दी.

उन्होंने वैश्विक महामारी के मद्देनजर एक लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ करीबी एकीकरण समेत देश को निवेश के लिये एक आकर्षक गंतव्य बनाने का दृष्टिकोण साझा किया.

प्रसाद ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे डिजिटल तकनीक ने इस संकट के दौरान समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत देने में भारत सरकार की मदद की.

विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत के डिजिटल नवोन्मेष जैसे कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) और डिजिटल भुगतान का उपयोग करना, आदि से सबसे कमजोर वर्ग को भी लॉकडाउन के दौरान विभिन्न वित्तीय राहत प्रदान की गयी.

समावेशी वृद्धि और विकास के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता जताते हुए प्रसाद ने विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में ऐसी भरोसेमंद एआई प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो समाज को बदल सकते हैं.

प्रसाद ने यह भी कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को डेटा अर्थव्यवस्था के साथ-साथ चलना चाहिये. उन्होंने कहा, 'हाँ, हम डेटा इनोवेशन, डेटा क्रॉसफ्लो के मुद्दे को समझते हैं, लेकिन हमें डेटा पर संप्रभुता को स्वीकार करने की भी आवश्यकता है.'

पीएलए की पहल पर शुरू हालिया संघर्ष सीसीपी के अस्वीकार्य व्यवहार का नवीनतम उदाहरण : पोम्पियो

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कहा कि पूर्वी लद्दाख में हाल में भारत के खिलाफ चीन की सेना द्वारा शुरू किया गया संघर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 'अस्वीकार्य व्यवहार' का नवीनतम उदाहरण है.

उन्होंने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की प्रशंसा की और कहा कि ये भारत के लोगों के लिए 'सुरक्षा खतरा' हैं.

पोम्पियो ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि हमारे जैसा लोकतंत्र मिलकर काम करे, खासकर तब जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी स्पष्ट रूप से चुनौतियां पेश कर रही है.'

पोम्पियो ने कहा, 'हमारी आधारभूत परियोजनाएं, हमारी आपूर्ति श्रृंखला, हमारी संप्रभुता और हमारे लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सभी कुछ खतरे में हैं. काश हम इसे झुठला सकते.'

वह अमेरिका भारत व्यावसायिक परिषद् की वार्षिक ‘इंडिया आइडियाज समिट’ के मुख्य सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा, 'पीएलए द्वारा हाल में शुरू किए गए संघर्ष सीसीपी के अस्वीकार्य व्यवहार के नवीनतम उदाहरण हैं. भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत पर हमें गहरा दुख है. मुझे विश्वास है कि अपने लगातार प्रयास से हम अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं.'

पूर्वी लद्दाख में पांच मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन की सेना के बीच कई इलाकों में गतिरोध जारी है. स्थिति पिछले महीने और खराब हो गई जब गलवान घाटी में संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए.

पोम्पियो ने हाल में 59 चीनी मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की सराहना की जिसमें टिकटॉक भी शामिल है. उन्होंने कहा कि ये भारत के लोगों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 'हिंद-प्रशांत और पूरी दुनिया में भारत, अमेरिका का उभरता रक्षा सहयोगी है.'

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की सुरक्षा के लिए अमेरिका ज्यादा सहयोगात्मक नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली एक महत्वपूर्ण साझीदार है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का मुख्य स्तंभ है.

भारत, अमेरिका बृहद् वैश्विक एजेंडा को आकार देने में सक्षम : जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका को वाणिज्य संबंधों में लंबित समस्याओं का समाधान करने और बड़े परिदृश्य की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है.

इंडियाज आइडियाज शिखर बैठक में ऑनलाइन संवाद सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि दोनों देशों में बृहद् वैश्विक एजेंडा को आकार देने की क्षमता है.

उन्होंने कहा कि मैं आर्थिक संबंधों की प्रमुखता को समझता हूं. ये अति आवश्यक मुद्दे हैं. ये वास्तव में देशों को एक-दूसरे से समझौते के प्रमुख आधार हैं, लेकिन मेरा मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच हम जहां वाणिज्य मुद्दों के माध्यम से काम करते हैं, हमें बड़ा सोचने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि वाणिज्य के इतर भारत और अमेरिका के बीच ज्यादा बड़ा संबंध है और इसे उन्होंने ज्ञान नवोन्मेष बताया.

उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि बड़े परिदृश्य में हम मजबूती से साथ हों.

भूराजनीतिक परिदृश्य के बारे में जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को वास्तव में एक ज्यादा बहुध्रुवीय विश्व के साथ काम करने की जरूरत है, जिसमें बहुआयामी व्यवस्था हो.

(स्मिता शर्मा)

नई दिल्ली : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि दुनियाभर के डिजिटल मंचों को नागरिकों की सूचनाओं की गोपनीयता व सुरक्षा को लेकर संप्रभु राष्ट्रों की चिंताओं के प्रति जिम्मेदार, जवाबदेह तथा संवेदनशील होना चाहिये.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रसाद ने जी 20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्री बैठक को संबोधित करते हुए सूचनाओं से संबंधित मुद्दों तथा नागरिकों की सुरक्षा व सूचनाओं की गोपनीयता संरक्षित रखने के देशों के संप्रभु अधिकारों पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही एक मजबूत व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून लागू करेगा जो न केवल नागरिकों से जुड़ी सूचनाओं की गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करेगा बल्कि नवाचार व आर्थिक विकास के लिये डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.

मंत्री ने कहा कि कई देशों में मौजूद डिजिटल मंच विश्वसनीय, सुरक्षित और सुरक्षित होने चाहिए. उन्होंने कहा, 'जहां तक सुरक्षा, रक्षा और सूचनाओं की गोपनीयता की बात है, डिजिटल मंचों को संप्रभु राष्ट्रों की चिंताओं को लेकर जिम्मेदार, जवाबदेह और संवेदनशील होने की जरूरत है.'

प्रसाद ने जी 20 देशों के डिजिटल मंत्रियों से कहा 'यह स्वीकार करने का समय है कि दुनिया में कहीं भी डिजिटल मंचों को रक्षा, गोपनीयता और नागरिकों की सुरक्षा सहित देशों की संप्रभु चिंताओं के प्रति उत्तरदायी व जवाबदेह होना चाहिये.'

प्रसाद ने अपने संबोधन के दौरान कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद करने वाले भारत के डिजिटल नवाचारों को साझा किया. उन्होंने मरीजों की निगरानी के लिये आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप, जियो-फेंसिंग प्रणाली और कोविड-19 सावधान बल्क मैसेजिंग सिस्टम जैसी पहलों की जानकारी दी.

उन्होंने वैश्विक महामारी के मद्देनजर एक लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ करीबी एकीकरण समेत देश को निवेश के लिये एक आकर्षक गंतव्य बनाने का दृष्टिकोण साझा किया.

प्रसाद ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे डिजिटल तकनीक ने इस संकट के दौरान समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत देने में भारत सरकार की मदद की.

विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत के डिजिटल नवोन्मेष जैसे कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) और डिजिटल भुगतान का उपयोग करना, आदि से सबसे कमजोर वर्ग को भी लॉकडाउन के दौरान विभिन्न वित्तीय राहत प्रदान की गयी.

समावेशी वृद्धि और विकास के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता जताते हुए प्रसाद ने विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में ऐसी भरोसेमंद एआई प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो समाज को बदल सकते हैं.

प्रसाद ने यह भी कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को डेटा अर्थव्यवस्था के साथ-साथ चलना चाहिये. उन्होंने कहा, 'हाँ, हम डेटा इनोवेशन, डेटा क्रॉसफ्लो के मुद्दे को समझते हैं, लेकिन हमें डेटा पर संप्रभुता को स्वीकार करने की भी आवश्यकता है.'

पीएलए की पहल पर शुरू हालिया संघर्ष सीसीपी के अस्वीकार्य व्यवहार का नवीनतम उदाहरण : पोम्पियो

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कहा कि पूर्वी लद्दाख में हाल में भारत के खिलाफ चीन की सेना द्वारा शुरू किया गया संघर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 'अस्वीकार्य व्यवहार' का नवीनतम उदाहरण है.

उन्होंने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की प्रशंसा की और कहा कि ये भारत के लोगों के लिए 'सुरक्षा खतरा' हैं.

पोम्पियो ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि हमारे जैसा लोकतंत्र मिलकर काम करे, खासकर तब जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी स्पष्ट रूप से चुनौतियां पेश कर रही है.'

पोम्पियो ने कहा, 'हमारी आधारभूत परियोजनाएं, हमारी आपूर्ति श्रृंखला, हमारी संप्रभुता और हमारे लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सभी कुछ खतरे में हैं. काश हम इसे झुठला सकते.'

वह अमेरिका भारत व्यावसायिक परिषद् की वार्षिक ‘इंडिया आइडियाज समिट’ के मुख्य सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा, 'पीएलए द्वारा हाल में शुरू किए गए संघर्ष सीसीपी के अस्वीकार्य व्यवहार के नवीनतम उदाहरण हैं. भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत पर हमें गहरा दुख है. मुझे विश्वास है कि अपने लगातार प्रयास से हम अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं.'

पूर्वी लद्दाख में पांच मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन की सेना के बीच कई इलाकों में गतिरोध जारी है. स्थिति पिछले महीने और खराब हो गई जब गलवान घाटी में संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए.

पोम्पियो ने हाल में 59 चीनी मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की सराहना की जिसमें टिकटॉक भी शामिल है. उन्होंने कहा कि ये भारत के लोगों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 'हिंद-प्रशांत और पूरी दुनिया में भारत, अमेरिका का उभरता रक्षा सहयोगी है.'

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की सुरक्षा के लिए अमेरिका ज्यादा सहयोगात्मक नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली एक महत्वपूर्ण साझीदार है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का मुख्य स्तंभ है.

भारत, अमेरिका बृहद् वैश्विक एजेंडा को आकार देने में सक्षम : जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका को वाणिज्य संबंधों में लंबित समस्याओं का समाधान करने और बड़े परिदृश्य की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है.

इंडियाज आइडियाज शिखर बैठक में ऑनलाइन संवाद सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि दोनों देशों में बृहद् वैश्विक एजेंडा को आकार देने की क्षमता है.

उन्होंने कहा कि मैं आर्थिक संबंधों की प्रमुखता को समझता हूं. ये अति आवश्यक मुद्दे हैं. ये वास्तव में देशों को एक-दूसरे से समझौते के प्रमुख आधार हैं, लेकिन मेरा मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच हम जहां वाणिज्य मुद्दों के माध्यम से काम करते हैं, हमें बड़ा सोचने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि वाणिज्य के इतर भारत और अमेरिका के बीच ज्यादा बड़ा संबंध है और इसे उन्होंने ज्ञान नवोन्मेष बताया.

उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि बड़े परिदृश्य में हम मजबूती से साथ हों.

भूराजनीतिक परिदृश्य के बारे में जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को वास्तव में एक ज्यादा बहुध्रुवीय विश्व के साथ काम करने की जरूरत है, जिसमें बहुआयामी व्यवस्था हो.

(स्मिता शर्मा)

Last Updated : Jul 23, 2020, 2:59 PM IST
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