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असम : ग्रामीणों ने दान की 200 बीघा जमीन, हाथियों के लिए की जाएगी धान की खेती - आईआईटी-खड़गपुर स्नातक

असम में लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों को रोकने के लिए 84 वर्षीय प्रदीप भूयान ने सिर्फ हाथियों के लिए धान की खेती करने की पहल की है. इसके लिए रोंगहांग गांव के निवासियों ने 200 बीघा जमीन भी दान दी है. पढ़ें पूरी खबर...

ईटीवी भारत से बात करते प्रदीप भूयान
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Published : Sep 28, 2019, 10:19 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 9:45 AM IST

नई दिल्ली: असम में लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों को रोकने के प्रयास में ग्रामीणों ने एक नोबल मिशन अपनाया है. इसका 84 वर्षीय प्रदीप भूयान नेतृत्व कर रहे हैं. बॉरदूट के नाम से मशहूर प्रदीप भूयान ने केवल हाथियों के लिए धान की खेती करने की पहल की है.

1958 के आईआईटी-खड़गपुर स्नातक ने अपने मिशन से असम के कार्बी आंगलोंग जिले के कई गांवों में भी इस पहल की शुरूआत की है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने 2018 से मिशन की शुरुआत की है. हम हाथी बागान बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें बेहतर खाना मिल सके.'

ईटीवी भारत से बात करते प्रदीप भूयान

उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी के दौरान कार्बी आंगलोंग के रोंगहांग गांव के निवासियों ने 200 बीघा जमीन दान में दी है ताकि वहां हाथियों के लिए धान की खेती की जा सके.

हाथी धान की तलाश में मानव आवास में आते हैं इसलिए हमने उनके लिए धान की खेती करने की पहल की है.

भूयान ने कहा, 'असम में मानव-हाथी संघर्ष एक प्रमुख चिंता का विषय है.'

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2018 के बीच मानव-हाथी संघर्ष में 761 लोग और 249 हाथी मारे गए हैं.

आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में कुल मिलाकर 1021 घर और 1954 बीघा फसल नष्ट हो गई, जबकि 2018-19 में इसकी संख्या 2034 और 5661 थी.

गौरतलब है कि 2010-11 और 2018-19 के बीच हाथियों द्वारा नष्ट किए गए फसली क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 40973 था.

पढ़ें- पटना में लगातार बारिश, कई इलाके हुए जलमग्न

इस बीच भूयान ने राज्य के वन विभाग से भी संपर्क किया है, ताकि उन्हें अपने नेक मिशन में सहयोग मिल सके.

भूयान ने कहा कि असम में प्रधान वन संरक्षक (पीसीएफ) ने इस कदम में हमारी मदद करने की इच्छा व्यक्त की है. इसके अलावा असम सरकार भी मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए कई पहल कर रही है.

नई दिल्ली: असम में लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों को रोकने के प्रयास में ग्रामीणों ने एक नोबल मिशन अपनाया है. इसका 84 वर्षीय प्रदीप भूयान नेतृत्व कर रहे हैं. बॉरदूट के नाम से मशहूर प्रदीप भूयान ने केवल हाथियों के लिए धान की खेती करने की पहल की है.

1958 के आईआईटी-खड़गपुर स्नातक ने अपने मिशन से असम के कार्बी आंगलोंग जिले के कई गांवों में भी इस पहल की शुरूआत की है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने 2018 से मिशन की शुरुआत की है. हम हाथी बागान बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें बेहतर खाना मिल सके.'

ईटीवी भारत से बात करते प्रदीप भूयान

उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी के दौरान कार्बी आंगलोंग के रोंगहांग गांव के निवासियों ने 200 बीघा जमीन दान में दी है ताकि वहां हाथियों के लिए धान की खेती की जा सके.

हाथी धान की तलाश में मानव आवास में आते हैं इसलिए हमने उनके लिए धान की खेती करने की पहल की है.

भूयान ने कहा, 'असम में मानव-हाथी संघर्ष एक प्रमुख चिंता का विषय है.'

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2018 के बीच मानव-हाथी संघर्ष में 761 लोग और 249 हाथी मारे गए हैं.

आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में कुल मिलाकर 1021 घर और 1954 बीघा फसल नष्ट हो गई, जबकि 2018-19 में इसकी संख्या 2034 और 5661 थी.

गौरतलब है कि 2010-11 और 2018-19 के बीच हाथियों द्वारा नष्ट किए गए फसली क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 40973 था.

पढ़ें- पटना में लगातार बारिश, कई इलाके हुए जलमग्न

इस बीच भूयान ने राज्य के वन विभाग से भी संपर्क किया है, ताकि उन्हें अपने नेक मिशन में सहयोग मिल सके.

भूयान ने कहा कि असम में प्रधान वन संरक्षक (पीसीएफ) ने इस कदम में हमारी मदद करने की इच्छा व्यक्त की है. इसके अलावा असम सरकार भी मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए कई पहल कर रही है.

Intro:New Delhi: In an attempt to stop unabated man-elephant conflict in Assam, villagers in the state have adopted a nobel mission. And 84-years-old Pradip Bhuyan is leading the mission from the front.


Body:Pradip Bhuyan popularly known as Bordeuta has initiated a move of cultivating paddy "only for elephants."

The 1958 IIT-Kharagpur graduate, while perusing his mission has already influenced many villages in Assam's Karbi Anglong district.

"I have started the mission since 2018. We are trying to create elephant plantation so that the pachyderm can have food. Over the time, the jumbo habitats have been shrinking forcing the elephants to intrude into human habitat," said Bhuyan in an exclusive chat with ETV Bharat in New Delhi.

He said that residents of Ronghang village in Karbi Anglong have donated 200 bighas of land for cultivating paddy for elephants.

"During December-January. elephants wants to have paddy and they come to the human habitat. So we have taken the initiative to cultivate paddy for them," said Bhuyan adding "We further use the Ganesh Vandana shlok to push them (elephant) away."

Men-elephant conflict is a major concern in Assam. According to government statistics, as many as 761 people and 249 elephants have died in such conflict between 2010 and 2018.

According to the statistics, altogether 1021 houses, and 1954 bighas of crop were destroyed in 2017-18 while the corresponding numbers in 2018-19 were 2034 and 5661.

The total area of cropland destroyed by elephants between 2010-11 and 2018-19 was 40973.


Conclusion:Bhuyan, meanwhile, has also approached the state forest department seeking support in his noble mission.

"The principal conservator of forest (PCF) in Assam has expressed his willingness to help us in this move," said Bhuyan.

The Assam government has also been adopting several initiatives to stop men-elephant conflict.

end.
Last Updated : Oct 2, 2019, 9:45 AM IST
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