नई दिल्ली: असम में लगातार हो रहे मानव-हाथी संघर्षों को रोकने के प्रयास में ग्रामीणों ने एक नोबल मिशन अपनाया है. इसका 84 वर्षीय प्रदीप भूयान नेतृत्व कर रहे हैं. बॉरदूट के नाम से मशहूर प्रदीप भूयान ने केवल हाथियों के लिए धान की खेती करने की पहल की है.
1958 के आईआईटी-खड़गपुर स्नातक ने अपने मिशन से असम के कार्बी आंगलोंग जिले के कई गांवों में भी इस पहल की शुरूआत की है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने 2018 से मिशन की शुरुआत की है. हम हाथी बागान बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें बेहतर खाना मिल सके.'
उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी के दौरान कार्बी आंगलोंग के रोंगहांग गांव के निवासियों ने 200 बीघा जमीन दान में दी है ताकि वहां हाथियों के लिए धान की खेती की जा सके.
हाथी धान की तलाश में मानव आवास में आते हैं इसलिए हमने उनके लिए धान की खेती करने की पहल की है.
भूयान ने कहा, 'असम में मानव-हाथी संघर्ष एक प्रमुख चिंता का विषय है.'
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2018 के बीच मानव-हाथी संघर्ष में 761 लोग और 249 हाथी मारे गए हैं.
आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में कुल मिलाकर 1021 घर और 1954 बीघा फसल नष्ट हो गई, जबकि 2018-19 में इसकी संख्या 2034 और 5661 थी.
गौरतलब है कि 2010-11 और 2018-19 के बीच हाथियों द्वारा नष्ट किए गए फसली क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 40973 था.
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इस बीच भूयान ने राज्य के वन विभाग से भी संपर्क किया है, ताकि उन्हें अपने नेक मिशन में सहयोग मिल सके.
भूयान ने कहा कि असम में प्रधान वन संरक्षक (पीसीएफ) ने इस कदम में हमारी मदद करने की इच्छा व्यक्त की है. इसके अलावा असम सरकार भी मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए कई पहल कर रही है.