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पड़ोसी राज्यों ने इस साल 56 बार जमीन का अतिक्रमण किया : असम सरकार

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Published : Dec 28, 2020, 8:16 PM IST

असम में विधानसभा सत्र चल रहा है. इस दौरान असम सरकार ने बताया कि पड़ोसी राज्यों ने इस साल 56 बार उसकी जमीन का अतिक्रमण किया. पढ़ें क्या है मामला.

Assam Legislative Assembly
असम विधानसभा

गुवाहाटी : असम सरकार ने सोमवार को विधानसभा को सूचित किया कि वर्ष 2020 में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम जैसे पड़ोसी राज्यों द्वारा भूमि अतिक्रमण की 56 घटनाओं का उसे सामना करना पड़ा. विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में संसदीय मामलों के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने बताया कि इस साल एक जनवरी से 11 जिलों में भूमि अतिक्रमण की घटनाएं सामने आईं.

कछार से सबसे ज्यादा 17 मामले सामने आए

मुख्यमंत्री सर्वांनद सोनोवाल की ओर से पटवारी ने बताया कि कछार से सबसे ज्यादा 17 मामले सामने आए, जिसके कारण असम और मिजोरम के लोगों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. उन्होंने कहा कि कछार में झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई. कछार के बाद वेस्ट कर्बी आंगलोंग और कामरूप जिलों से भूमि अतिक्रमण की सात घटनाएं सामने आई. लखीमपुर में (छह मामले), धेमाजी और कर्बी आंगलोंग (पांच-पांच मामले), जोरहाट (चार मामले), करीमगंज (दो) और सादिया, तिनसुकिया और शिवसागर से एक-एक मामला सामने आया. अतिक्रमण वाली जमीन को वापस लेने के लिए असम सरकार ने संबंधित राज्यों और केंद्र को कई पत्र लिखे हैं.

गुवाहाटी : असम सरकार ने सोमवार को विधानसभा को सूचित किया कि वर्ष 2020 में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम जैसे पड़ोसी राज्यों द्वारा भूमि अतिक्रमण की 56 घटनाओं का उसे सामना करना पड़ा. विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में संसदीय मामलों के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने बताया कि इस साल एक जनवरी से 11 जिलों में भूमि अतिक्रमण की घटनाएं सामने आईं.

कछार से सबसे ज्यादा 17 मामले सामने आए

मुख्यमंत्री सर्वांनद सोनोवाल की ओर से पटवारी ने बताया कि कछार से सबसे ज्यादा 17 मामले सामने आए, जिसके कारण असम और मिजोरम के लोगों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. उन्होंने कहा कि कछार में झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई. कछार के बाद वेस्ट कर्बी आंगलोंग और कामरूप जिलों से भूमि अतिक्रमण की सात घटनाएं सामने आई. लखीमपुर में (छह मामले), धेमाजी और कर्बी आंगलोंग (पांच-पांच मामले), जोरहाट (चार मामले), करीमगंज (दो) और सादिया, तिनसुकिया और शिवसागर से एक-एक मामला सामने आया. अतिक्रमण वाली जमीन को वापस लेने के लिए असम सरकार ने संबंधित राज्यों और केंद्र को कई पत्र लिखे हैं.

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