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केरल के त्रिशूर में बनेगा एशिया का सबसा बड़ा जूलॉजिकल पार्क - वन और वन्यजीव राज्य मंत्री के राजू

वन और वन्यजीव राज्य मंत्री के राजू ने कहा कि तेजी से जूलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य किया जा रहा है. दिसंबर के अंत तक तीनों चरणों के कार्यों के पूरा होने की उम्मीद है और फिर जानवरों को उनके नए घर पुथूर प्राणी उद्यान में स्थानांतरित किया जा सकता है.

थ्रिशूर में एशिया का सबसा बड़ा जूलॉजिकल पार्क
थ्रिशूर में एशिया का सबसा बड़ा जूलॉजिकल पार्क
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Published : Jul 5, 2020, 6:06 AM IST

त्रिशूर : केरल के त्रिशूर के लोगों के लिए बड़े ही गौरव की बात होने जा रही है क्योंकि यहां एशिया का सबसे बड़ा जूलॉजिकल पार्क बनाने की तैयारी है. बता दें, पुथूर में यह पार्क बनाया जाना है. इस पार्क को 338 एकड़ (1.36 किलोमीटर) के प्राकृतिक वन क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, ताकि पशु स्वतंत्र रूप से अपने प्राकृतिक आवास में घूम सकें. जानवरों को घर देने के लिए वन भूमि के अंदर 23 अलग-अलग जगहों में जानवरों के रहने के लिए निवास स्थान बनाए गए हैं.

वर्तमान में, त्रिशूर चिड़ियाघर चारदीवारी से घिरे एक छोट से क्षेत्र में है. इस चिड़ियाघर में शेर, बाघ और कई किस्म के पक्षी हैं लेकिन वे इससे बड़ा और प्राकृतिक वातावरण अपने लिए चाहते हैं. ताकि वे स्वतंत्र रूप से क्षेत्र में घूम सकें.

इस छोटे से चिड़ियाघर से निकलकर यहां के सभी जानवर एक बड़े क्षेत्र में जाएंगे. वहां उनको अनुकूल वातावरण मिलेगा और स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे. यहां बाहर से पर्यटक भी आकर सैर कर सकें इसके लिए भी पूरी व्यवस्था की जा रही है.

वन और वन्यजीव राज्य मंत्री के राजू ने कहा कि तेजी से जूलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य किया जा रहा है. दिसंबर के अंत तक तीनों चरणों के कार्यों के पूरा होने की उम्मीद है और फिर जानवरों को उनके नए घर पुथूर प्राणी उद्यान में स्थानांतरित किया जा सकता है.

पहले चरण में 4 बड़े बाड़ों का निर्माण पूरा हो चुका है. यहां पर शेर, नीलगिरि लंगूर, बाइसन और कई पक्षी प्रजातियों के लिए हैं. विकास का दूसरा चरण, जो वर्तमान में प्राणी उद्यान स्थल पर है, इसमें 8 बाड़ों का निर्माण शामिल है. जलापूर्ति और विद्युतीकरण के कार्य भी प्रगति पर हैं.

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के अध्ययन के बाद ही यहां काम शुरू हुआ है. प्राणी उद्यान, जो अपनी पर्यटन संभावनाओं के अलावा एक अनुसंधान और अध्ययन केंद्र के रूप में काम करता है को नौ क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पुथूर जूलॉजिकल पार्क साइट के सभी 9 जोन में लगभग 10 लाख पेड़ पौधे लगाए गए हैं.

त्रिशूर : केरल के त्रिशूर के लोगों के लिए बड़े ही गौरव की बात होने जा रही है क्योंकि यहां एशिया का सबसे बड़ा जूलॉजिकल पार्क बनाने की तैयारी है. बता दें, पुथूर में यह पार्क बनाया जाना है. इस पार्क को 338 एकड़ (1.36 किलोमीटर) के प्राकृतिक वन क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, ताकि पशु स्वतंत्र रूप से अपने प्राकृतिक आवास में घूम सकें. जानवरों को घर देने के लिए वन भूमि के अंदर 23 अलग-अलग जगहों में जानवरों के रहने के लिए निवास स्थान बनाए गए हैं.

वर्तमान में, त्रिशूर चिड़ियाघर चारदीवारी से घिरे एक छोट से क्षेत्र में है. इस चिड़ियाघर में शेर, बाघ और कई किस्म के पक्षी हैं लेकिन वे इससे बड़ा और प्राकृतिक वातावरण अपने लिए चाहते हैं. ताकि वे स्वतंत्र रूप से क्षेत्र में घूम सकें.

इस छोटे से चिड़ियाघर से निकलकर यहां के सभी जानवर एक बड़े क्षेत्र में जाएंगे. वहां उनको अनुकूल वातावरण मिलेगा और स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे. यहां बाहर से पर्यटक भी आकर सैर कर सकें इसके लिए भी पूरी व्यवस्था की जा रही है.

वन और वन्यजीव राज्य मंत्री के राजू ने कहा कि तेजी से जूलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य किया जा रहा है. दिसंबर के अंत तक तीनों चरणों के कार्यों के पूरा होने की उम्मीद है और फिर जानवरों को उनके नए घर पुथूर प्राणी उद्यान में स्थानांतरित किया जा सकता है.

पहले चरण में 4 बड़े बाड़ों का निर्माण पूरा हो चुका है. यहां पर शेर, नीलगिरि लंगूर, बाइसन और कई पक्षी प्रजातियों के लिए हैं. विकास का दूसरा चरण, जो वर्तमान में प्राणी उद्यान स्थल पर है, इसमें 8 बाड़ों का निर्माण शामिल है. जलापूर्ति और विद्युतीकरण के कार्य भी प्रगति पर हैं.

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के अध्ययन के बाद ही यहां काम शुरू हुआ है. प्राणी उद्यान, जो अपनी पर्यटन संभावनाओं के अलावा एक अनुसंधान और अध्ययन केंद्र के रूप में काम करता है को नौ क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पुथूर जूलॉजिकल पार्क साइट के सभी 9 जोन में लगभग 10 लाख पेड़ पौधे लगाए गए हैं.

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