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अनुच्छेद 370 के बाद 371 पर बहस, पूर्वोत्तर के कई राज्यों को मिला है विशेष दर्जा - constitution news

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 में केंद्र सरकार ने एतिहासिक बदलाव किए हैं. इससे वह खबरों में रहा है. इसके अलावा अनुच्छेद 371 भी है जो अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देता है. जाने अनुच्छेद 371 के बारे में....

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Published : Aug 6, 2019, 6:16 AM IST

Updated : Aug 6, 2019, 6:31 AM IST

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के साथ अनुच्छेद 371 ने भी कुछ ध्यान आकृष्ट किया है. यह अन्य राज्यों, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करता है.

जिन राज्यों के लिए अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं, उनमें से अधिकतर राज्य पूर्वोत्तर के हैं. विशेष दर्जा उनकी जनजातीय संस्कृति को संरक्षण प्रदान करने पर केंद्रित है.

अनुच्छेद 371ए कहता है कि नगालैण्ड के मामले में नगाओं की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, इसके पारंपरिक कानून और प्रक्रिया, नगा परंपरा कानून के अनुसार फैसलों से जुड़े दीवानी और फौजदारी न्याय प्रशासन और भूमि तथा संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संदर्भ में संसद की कोई भी कार्यवाही

लागू नहीं होगी. यह तभी लागू होगी जब राज्य विधानसभा इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित करेगा.

गत जून महीने में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेइकीसली निकी काइरे ने कहा था कि अनुच्छेद 371 ए राज्य के विकास को बाधित करता है.

अनुच्छेद 371 ए कहता है कि राज्य में भूमि और संसाधन सरकार के नहीं, बल्कि लोगों के हैं.

पढ़ें-जम्मू कश्मीर : अनुच्छेद 370 हटने के बाद होंगे ये बदलाव, देखें पूरी सूची

विधायक ने कहा था कि अनुच्छेद 371 ए के प्रावधानों की वजह से भूस्वामी अपनी जमीन पर सरकार को कोई भी विकास कार्य करने की अनुमति नहीं देते.

अनुच्छेद 371-जी भी इसी तरह का है जो मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है.

यह प्रावधान कहता है कि मिजो लोगों की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, इसके पारंपरिक कानून और प्रक्रिया, मिजो परंपरा कानून के अनुसार फैसलों से जुड़े दीवानी और फौजदारी न्याय प्रशासन और भूमि तथा संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संदर्भ में संसद की कोई भी कार्यवाही तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि राज्य विधानसभा इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित न करे.

वहीं, अनुच्छेद 371 बी असम के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है. 371 बी लाने का मुख्य उद्देश्य उप-राज्य मेघालय का गठन करने का था.

इसी तरह अनुच्छेद 371 सी 1972 में अस्तित्व में आए मणिपुर को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है.

अनुच्छेद 371 एफ, 371 एच क्रमश: सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराते हैं.

पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : विशेष शक्तियां देने वाले अनुच्छेद 370 के बारे में जानें सबकुछ

अनुच्छेद 371 राष्ट्रपति को महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों और शेष राज्य तथा गुजरात के सौराष्ट्र, कच्छ और शेष राज्य के लिए अलग विकास बोर्डों के गठन की शक्ति प्रदान करता है.

अनुच्छेद 371 डी, अनुच्छेद 371 ई, अनुच्छेद 371 जे, अनुच्छेद 371 आई क्रमश: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गोवा को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराते हैं.

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के साथ अनुच्छेद 371 ने भी कुछ ध्यान आकृष्ट किया है. यह अन्य राज्यों, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करता है.

जिन राज्यों के लिए अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं, उनमें से अधिकतर राज्य पूर्वोत्तर के हैं. विशेष दर्जा उनकी जनजातीय संस्कृति को संरक्षण प्रदान करने पर केंद्रित है.

अनुच्छेद 371ए कहता है कि नगालैण्ड के मामले में नगाओं की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, इसके पारंपरिक कानून और प्रक्रिया, नगा परंपरा कानून के अनुसार फैसलों से जुड़े दीवानी और फौजदारी न्याय प्रशासन और भूमि तथा संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संदर्भ में संसद की कोई भी कार्यवाही

लागू नहीं होगी. यह तभी लागू होगी जब राज्य विधानसभा इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित करेगा.

गत जून महीने में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेइकीसली निकी काइरे ने कहा था कि अनुच्छेद 371 ए राज्य के विकास को बाधित करता है.

अनुच्छेद 371 ए कहता है कि राज्य में भूमि और संसाधन सरकार के नहीं, बल्कि लोगों के हैं.

पढ़ें-जम्मू कश्मीर : अनुच्छेद 370 हटने के बाद होंगे ये बदलाव, देखें पूरी सूची

विधायक ने कहा था कि अनुच्छेद 371 ए के प्रावधानों की वजह से भूस्वामी अपनी जमीन पर सरकार को कोई भी विकास कार्य करने की अनुमति नहीं देते.

अनुच्छेद 371-जी भी इसी तरह का है जो मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है.

यह प्रावधान कहता है कि मिजो लोगों की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, इसके पारंपरिक कानून और प्रक्रिया, मिजो परंपरा कानून के अनुसार फैसलों से जुड़े दीवानी और फौजदारी न्याय प्रशासन और भूमि तथा संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण के संदर्भ में संसद की कोई भी कार्यवाही तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि राज्य विधानसभा इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित न करे.

वहीं, अनुच्छेद 371 बी असम के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है. 371 बी लाने का मुख्य उद्देश्य उप-राज्य मेघालय का गठन करने का था.

इसी तरह अनुच्छेद 371 सी 1972 में अस्तित्व में आए मणिपुर को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराता है.

अनुच्छेद 371 एफ, 371 एच क्रमश: सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराते हैं.

पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : विशेष शक्तियां देने वाले अनुच्छेद 370 के बारे में जानें सबकुछ

अनुच्छेद 371 राष्ट्रपति को महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों और शेष राज्य तथा गुजरात के सौराष्ट्र, कच्छ और शेष राज्य के लिए अलग विकास बोर्डों के गठन की शक्ति प्रदान करता है.

अनुच्छेद 371 डी, अनुच्छेद 371 ई, अनुच्छेद 371 जे, अनुच्छेद 371 आई क्रमश: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गोवा को विशेष प्रावधान उपलब्ध कराते हैं.

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Last Updated : Aug 6, 2019, 6:31 AM IST
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