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अयोध्या फैसले पर बोले मदनी - 'हमारे साथ नाइंसाफी हुई, लेकिन ICJ नहीं जाएंगे'

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Published : Nov 14, 2019, 6:34 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बीते नौ नवम्बर को अयोध्या में विवादित जमीन पर फैसला सुनाते हुए राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया है और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. इस फैसले पर जमीअत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने प्रतिक्रिया दी है. जानें विस्तार से...

जमीअत- उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर गत नौ नवम्बर को फैसला सुनाया था. इस फैसले पर देशभर से लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही है. इसी क्रम में जमीअत- उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने भी प्रतिक्रिया दी है.

मौलाना मदनी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी और हम यह मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गये फैसले का स्वागत करते हैं.'

अरशद मदनी का बयान.

उन्होंने कहा, 'अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी यही माना है. कोर्ट ने अयोध्या पर जो फैसला दिया है, वह अजीबोगरीब है, फिर भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं.'

अरशद मदनी ने कहा , 'इस मामले को लेकर हम बाहर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में नहीं जाएंगे क्योंकि यह देश हमारा है, हम मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस मामले को लेकर अमेरिका या किसी और देश चले जाएंगे.'

ज्ञातव्य है कि बाबरी-राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मदनी ने कहा, 'हमें किसी दूसरी जगह पर मस्जिद नहीं बनानी है.'

अरशद मदनी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में कहा कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनायी गयी है, इसका सुबूत कहीं नहीं पेश किया है, फिर भी हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि यह हमारे देश की सर्वोच्च अदालत है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा मजहब कहता है कि किसी दूसरे की जमीन पर जबरन मस्जिद नहीं बनायी जा सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वहां पर मस्जिद थी और जब कहीं भी मस्जिद बन जाती है तो वहां पर लोग चाहे नमाज पढ़ें या न पढ़ें, उस जगह मस्जिद ही रहेगी.'

अयोध्या में भगवान राम की 251 मीटर ऊंची मूर्ति का मॉडल फाइनल

मौलाना अरशद मदनी से जब यह पूछा गया कि क्या वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे तो उन्होंने कहा, 'जमीअत-उलेमा ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की दो दिन से बैठक चल रही है, जिसमें हम अदालत के आदेश को पढ़ रहे हैं, पर हमारी वर्किंग कमेटी का फैसला नहीं आ पाया है और हमें उम्मीद है कि आज रात तक इस पर हम निर्णय कर लेंगे.'

उन्होंने कहा, 'बाबरी मस्जिद पर हम जो भी बयान देंगे, वह पूरी तरीके से सोच समझ कर देंगे और यह हमारे लिए पूरी तरह से मजहबी मामला है.'

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर गत नौ नवम्बर को फैसला सुनाया था. इस फैसले पर देशभर से लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही है. इसी क्रम में जमीअत- उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने भी प्रतिक्रिया दी है.

मौलाना मदनी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी और हम यह मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गये फैसले का स्वागत करते हैं.'

अरशद मदनी का बयान.

उन्होंने कहा, 'अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी यही माना है. कोर्ट ने अयोध्या पर जो फैसला दिया है, वह अजीबोगरीब है, फिर भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं.'

अरशद मदनी ने कहा , 'इस मामले को लेकर हम बाहर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में नहीं जाएंगे क्योंकि यह देश हमारा है, हम मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस मामले को लेकर अमेरिका या किसी और देश चले जाएंगे.'

ज्ञातव्य है कि बाबरी-राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मदनी ने कहा, 'हमें किसी दूसरी जगह पर मस्जिद नहीं बनानी है.'

अरशद मदनी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में कहा कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनायी गयी है, इसका सुबूत कहीं नहीं पेश किया है, फिर भी हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि यह हमारे देश की सर्वोच्च अदालत है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा मजहब कहता है कि किसी दूसरे की जमीन पर जबरन मस्जिद नहीं बनायी जा सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वहां पर मस्जिद थी और जब कहीं भी मस्जिद बन जाती है तो वहां पर लोग चाहे नमाज पढ़ें या न पढ़ें, उस जगह मस्जिद ही रहेगी.'

अयोध्या में भगवान राम की 251 मीटर ऊंची मूर्ति का मॉडल फाइनल

मौलाना अरशद मदनी से जब यह पूछा गया कि क्या वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे तो उन्होंने कहा, 'जमीअत-उलेमा ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की दो दिन से बैठक चल रही है, जिसमें हम अदालत के आदेश को पढ़ रहे हैं, पर हमारी वर्किंग कमेटी का फैसला नहीं आ पाया है और हमें उम्मीद है कि आज रात तक इस पर हम निर्णय कर लेंगे.'

उन्होंने कहा, 'बाबरी मस्जिद पर हम जो भी बयान देंगे, वह पूरी तरीके से सोच समझ कर देंगे और यह हमारे लिए पूरी तरह से मजहबी मामला है.'

Intro:नई दिल्ली। जमीअत-उलेमा ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी और हम यह मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत करते हैं।

अरशद मदनी ने कहा, "अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी यही माना है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या पर जो फैसला दिया गया है वह अजीबोगरीब है, लेकिन फिर भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। इस मामले को लेकर हम बाहर इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं जाएंगे क्योंकि यह देश हमारा है, हम मानते हैं कि हमारे साथ इंसाफ नहीं हुआ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस मामले को लेकर अमेरिका या किसी और देश चले जाएंगे।"

बाबरी-राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होंने कहा है कि हमें किसी दूसरी जगह पर मस्जिद नहीं चाहिए।




Body:अरशद मदनी ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनाई गई है इसका सुबूत कहीं नहीं पेश किया है। लेकिन, हम फिर भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि यह हमारे देश की सर्वोच्च अदालत है।

उन्होंने कहा कि मजहब या कहता है कि किसी दूसरे की जमीन पर जबरन मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वहां पर मस्जिद थी और जब कहीं भी मस्जिद बन जाती है तो वहां पर लोग चाहे नमाज पढ़े या न पढ़े, उस जगह मस्जिद ही रहेगी।





Conclusion:मौलाना अरशद मदनी से जब यह पूछा गया कि क्या वाह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करेगी तो उन्होंने कहा कि जमीअत-उलेमा ए-हिंद की वर्किंग कमेटी कि 2 दिन से बैठक चल रही है जिसमें हम अदालत के आदेश को पढ़ रहे हैं, पर हमारी वर्किंग कमेटी का फैसला नहीं आ पाया है और हमें उम्मीद है कि आज रात तक इस पर हम निर्णय कर लेंगे।

उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद पर हम जो भी बयान देंगे वह पूरी तरीके से सोच समझ कर देंगे और यह हमारे लिए पूरी तरह से मजहबी मामला है।
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