आइजोल : हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर भारतीय सशस्त्र सेनाओं के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती है. वहीं, उनको याद करते हुए शहीद जवानों के परिवारों के कल्याण के लिए ध्वज बेचकर धनराशि एकत्र भी की जाती है.
बता दें कि पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और पुनर्वास को देखने के लिए भारत सरकार द्वारा 28 अगस्त, 1949 को सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष का गठन किया गया था.
आइजोल में यह दिन जिला सैनिक कल्याण और पुनर्वास कार्यालय में मनाया गया, जहां द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों और 90 वर्ष की आयु से ऊपर के सैनिकों को सैनिक निदेशक लेफ्टिनेंट कमांडर लालकुंतलुंगा और डीएसडब्ल्यू एंड आरओ मेजर रेबेका छकछुआक ने सम्मानित किया.
हालांकि, कोविड-19 महामारी के चलते डोनेशन नियमित नहीं रहा. ऐसे में मिजोरम के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री जोरमथंगा, मंत्री, विधायक और विभिन्न अधिकारियों ने डोनेशन दिया.
जिला सैनिक कल्याण और पुनर्वास कार्यालय ने सभी को धन्यवाद दिया, जिन्होंने सशस्त्र सेना झंडा दिवस के प्रति योगदान दिया.
इस मौके पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर मैं भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और सेवा को सलाम करता हूं. यह दिन हमें पूर्व सैनिकों, अलग-अलग सैनिकों और विभिन्न राष्ट्रों की रक्षा करने वाले लोगों के परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के हमारे कर्तव्य को याद दिलाता है.
बता दें, सशस्त्र सेना झंडा दिवस की शुरुआत सन् 1949 में हुई थी. झंडा दिवस को शहीद और अपाहिज होने वाले व साथ ही पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के त्याग को सम्मान देने के लिए और उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है.
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ध्वज दिवस का महत्व
ध्वज दिवस मनाने के तीन महत्वपूर्ण उद्देश्य
⦁ सेवारत कर्मियों और उनके परिवारों का कल्याण
⦁ पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का पुनर्वास और कल्याण
⦁ युद्ध के हताहतों का पुनर्वास