तिरुवनंतपुरम : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें सूचित किए बगैर वाम सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर उच्चतम न्यायालय का रुख करने के मामले में अपना रुख और कड़ा कर लिया. उन्होंने सरकार की ओर से इस मामले में दिए गए स्पष्टीकरण को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि यह 'गैरकानूनी' है.
राज्यपाल ने पत्रकारों से कहा, 'कोई भी स्पष्टीकरण मुझे संतुष्ट नहीं कर सकता.'
राज्य के मुख्य सचिव टॉम जोस ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें बताया कि किन आधारों पर राज्य सरकार को केन्द्र के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा.
सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल के साथ अपनी बैठक में मुख्य सचिव ने राज्यपाल को यह भी बताया कि सरकार ने जानबूझकर किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.
हालांकि इसके कुछ घंटे बाद अयोध्या जाते समय राज्यपाल ने हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि उनका (सरकार) कोई भी स्पष्टीकरण उन्हें संतुष्ट नहीं कर सकता है क्योंकि उन्होंने जो किया वह 'गैरकानूनी' और 'कानूनी रूप से सही नहीं' था.
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उन्होंने कहा, 'स्वीकृति के लिए मेरी राय की जरूरत होती है. वे मुझे बिना बताए उच्चतम न्यायालय चले गए हैं. यह एक गैरकानूनी कार्य है. कानूनी रूप से सही नहीं है.'
उन्होंने कहा कि इसलिए यह अहम और व्यक्तिगत मतभिन्नता का टकराव नहीं है.
राज्यपाल ने उन्हें सूचित किए बिना सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी जिसके एक दिन बाद मुख्य सचिव टॉम जोस ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात की.
इस बीच विपक्षी कांग्रेस ने प्रेस वार्ता करने और अपनी राय को सार्वजनिक करने के लिए राज्यपाल की निंदा की और राज्य भाजपा ने उनका पूरी तरह से समर्थन किया.
हालांकि भगवा पार्टी के नेता और राज्य विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने राज्यपाल की निंदा की और कहा कि उन्हें कुछ 'संयम' दिखाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'राज्यपाल और सरकार के लिए सार्वजनिक बयान देना उचित नहीं है.'