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कोरोना संक्रमितों के बेहतर इलाज के लिए वकील की सुप्रीम कोर्ट से गुहार - कोरोना संक्रमितों के बेहतर इलाज

दिल्ली के एक वकील उदियन शर्मा ने कोरोना संक्रमित मरीजों के समुचित इलाज और अस्पतालों में शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है. उनका कहना है कि उन्होंने अस्पतालों की लापारवाही के कारण अपने 86 वर्षीय दादा को खोया है.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 16, 2020, 5:09 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के एक वकील उदियन शर्मा ने कोरोना संक्रमित मरीजों के समुचित इलाज और अस्पतालों में शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है.

शर्मा का, जो खुद कोरोना मरीज हैं, कहना है कि उन्होंने अस्पतालों की लापारवाही के कारण अपने 86 वर्षीय दादा को खोया है और उनके पूरे परिवार को इलाज की कमी के कारण भुगतान करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि उनके दादा की कोरोना परीक्षण के चार दिनों बाद रिपोर्ट दी गई और पूरे परिवार को सफदरगंज अस्पताल से डेड बॉडी लेने के लिए भी भीख मांगनी पड़ी थी.

अधिवक्ता ने आगे कहा कि सरकारी अस्पताल, बिना किसी कारण के रोगियों के परीक्षण से इनकार कर रहे थे. शर्मा ने कहा कि निजी प्रयोगशाला में परीक्षण उनकी देर से की गई अपीलों और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण असंभव था.

उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल ने उनके दादा की मृत्यु के बाद न तो परिवार से संपर्क किया और न ही कोरोना की जांच की, जो आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का सरासर उल्लंघन था.

शर्मा ने कोरोना महामारी की इस स्थिति से निबटने के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए निर्देश मांगे हैं और 48 घंटे के भीतर मरीजों को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है.

पढे़ं : सुप्रीम कोर्ट ने फाडा को लगाई फटकार, कहा- रियायत का गलत फायदा उठाया गया

उन्होंने रोगियों के लिए दवाओं की आपूर्ति करने और ज्यादा कीमत वाले ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमतों को कम करने का भी अनुरोध किया है.

कोर्ट बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगा.

नई दिल्ली : दिल्ली के एक वकील उदियन शर्मा ने कोरोना संक्रमित मरीजों के समुचित इलाज और अस्पतालों में शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है.

शर्मा का, जो खुद कोरोना मरीज हैं, कहना है कि उन्होंने अस्पतालों की लापारवाही के कारण अपने 86 वर्षीय दादा को खोया है और उनके पूरे परिवार को इलाज की कमी के कारण भुगतान करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि उनके दादा की कोरोना परीक्षण के चार दिनों बाद रिपोर्ट दी गई और पूरे परिवार को सफदरगंज अस्पताल से डेड बॉडी लेने के लिए भी भीख मांगनी पड़ी थी.

अधिवक्ता ने आगे कहा कि सरकारी अस्पताल, बिना किसी कारण के रोगियों के परीक्षण से इनकार कर रहे थे. शर्मा ने कहा कि निजी प्रयोगशाला में परीक्षण उनकी देर से की गई अपीलों और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण असंभव था.

उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल ने उनके दादा की मृत्यु के बाद न तो परिवार से संपर्क किया और न ही कोरोना की जांच की, जो आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का सरासर उल्लंघन था.

शर्मा ने कोरोना महामारी की इस स्थिति से निबटने के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए निर्देश मांगे हैं और 48 घंटे के भीतर मरीजों को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है.

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उन्होंने रोगियों के लिए दवाओं की आपूर्ति करने और ज्यादा कीमत वाले ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमतों को कम करने का भी अनुरोध किया है.

कोर्ट बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगा.

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