श्रीनगर : प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जेकेएलएफ के पूर्व नेता फारूक अहमद डार उर्फ 'बिट्टा कराटे' के खिलाफ विभिन्न आतंकी मामलों की सीबीआई जांच के अनुरोध को लेकर विकास रैना नामक एक कश्मीरी पंडित शनिवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय पहुंचा.
कराटे को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक आतंकवादी वित्तपोषण मामले में पिछले वर्ष गिरफ्तार किया था. कराटे नवंबर 1990 से 2006 के बीच करीब 16 वर्षों तक विभिन्न आरोपों को लेकर जेल में रहा है. इन मामलों में हत्या से लेकर जघन्य आतंकवादी कृत्य तक के मामले शामिल थे.
कराटे को एक टाडा अदालत ने उसके खिलाफ आरोप तय करने में अत्यधिक देरी के आधार पर 2006 में जमानत दे दी थी.
कराटे रिहाई के बाद यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से अलग हो गया था और अब जेकेएलएफ के एक अन्य धड़े का हिस्सा है.
उच्च न्यायालय में कराटे के खिलाफ अर्जी विकास रैना द्वारा दायर की गई है. विकास रैना एक कश्मीरी पंडित हैं, जिनके पिता एवं एक उच्च माध्यमिक स्कूल के प्राचार्य अशोक रैना की हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादियों ने 1997 में गूल में स्कूल के दो अन्य शिक्षकों के साथ हत्या कर दी थी.
रैना ने अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस के जरिए दायर अपनी अर्जी में प्राथमिकियों की एक सूची संलग्न की है जो कराटे के खिलाफ लंबित हत्या एवं आतंकवादी कृत्यों से संबंधित जघन्य अपराधों से संबंधित हैं.
अदालत के एक अधिकारी ने कहा कि रैना ने कराटे के खिलाफ मामलों की सीबीआई द्वारा नए सिरे से जांच का अनुरोध किया है. रैना ने अपनी अर्जी में एक वीडियो फुटेज भी संलग्न किया है, जिसमें कराटे 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या करना कैमरे पर कथित तौर पर स्वीकार करते हुए दिख रहा है.
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उन्होंने कहा कि रैना की अर्जी उच्च न्यायालय द्वारा 11 मार्च को सुनवाई के लिए आ सकती है.
रैना ने कराटे के खिलाफ मामलों को सीबीआई को सौंपने और उनकी सुनवाई जम्मू स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए टाडा अदालत द्वारा उसकी रिहाई का भी उल्लेख किया. रैना ने कहा, 'सरकार और पुलिस की उदासीनता के चलते यह हुआ कि कराटे जैसा खतरनाक आतंकवादी बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों की हत्या करने के बाद बाहर आ गया.'