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गौ हत्या : कर्नाटक में यूपी-गुजरात की तर्ज पर कड़ा कानून बनाने की तैयारी

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Published : Dec 4, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 5:56 PM IST

विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद, कर्नाटक सरकार कड़े गौ हत्या विरोधी बिल को लागू करने की तैयारी कर रही है. इसी को लेकर पशुपालन मंत्री ने उत्तर प्रदेश और गुजरात का दौरा किया. इन दोनों प्रदेशों में इस तरह का कानून पहले से लागू है. पढ़ें विस्तार से...

कड़ा कानून
कड़ा कानून

बेंगलुरु : गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकारों की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी कर्नाटक में गौ हत्या विरोधी बिल लाने का फैसला किया है. पढ़ें गौ हत्या विरोधी कानून की प्रकृति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट-

अभी सिर्फ छह महीने सजा काट बच जाते हैं अपराधी
कर्नाटक में गौ हत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 पहले से लागू है, लेकिन इनमें कड़े नियमों की कमी है. यही वजह है कि भाजपा सरकार ने तय किया है कि इस संबंध में नया कानून लाएगी.

मौजूदा अधिनियम के तहत अपराधी को केवल छह महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा होती है, अधिनियम में बछड़े के वध पर भी प्रतिबंध है जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है और वधशालाओं में लाए जाने वाली गायों के परिवहन के लिए अनुमति जरूरी है. अधिनियम में कमियां होने की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलते हैं. यही वजह है कि सरकार ने नया अधिनियम लाने की तैयारी की है.

सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल की थी सजा
भाजपा सरकार ने 2010 में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 और कर्नाटक गौ हत्या और संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया था. पशुओं का वध रोकने के अलावा इस बिल में गौवंश में भैंस, बैल और बछड़ों को भी शामिल किया गया. इनकी हत्या पर सजा को छह महीने से बढ़ाकर सात साल किया. साथ ही जुर्माना राशि एक लाख रुपए कर दी. साथ ही पुलिस को ज्यादा अधिकार दिए गए. एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा यह बिल दोनों सदनों में लाए थे. राज्य विधायिका और सदन ने बिना किसी संशोधन के इसे मंजूरी दे दी लेकिन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंजूरी देने से मना कर दिया. केंद्र की यूपीए सरकार ने भी बिल रोके रखा.

केंद्रीय गृहमंत्री ने कुछ सवाल उठाए और सुझाव भी दिए. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2014 के विवादास्पद बिल को वापस ले लिया और कर्नाटक में गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम -1964 को बहाल कर दिया.

गुजरात में 14 साल तक की है सजा
राज्य सरकार ऐसा गौ हत्या विरोधी बिल लाएगी जैसा गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रभावी रूप से लागू किया है. गुजरात में गौ वध करने पर 7 से 14 साल तक की सजा है जबकि जुर्माना एक लाख से लेकर पांच लाख तक है. पशु तस्करी पर 7 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपए जुर्माना होता है. साथ ही तस्करी के लिए प्रयोग होने वाला वाहन भी पुलिस जब्त कर सकती है. साथ ही अपराधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है.

उत्तर प्रदेश में 10 साल की सजा
यूपी में पहली बार गौ हत्या का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात साल सजा और एक से तीन लाख रुपए जुर्माना या दोनों सजा. 10 साल सजा और पांच लाख रुपए जुर्माना.

पढ़ें- हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गौ हत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता

गुजरात और यूपी दोनों की तर्ज पर होगा नया कानून
कर्नाटक में जो बिल लाया जाएगा वह गुजरात और यूपी दोनों की तर्ज पर होगा और ज्यादा कड़ा होगा. सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार सात साल से दस साल तक के कारावास की धारा को शामिल करेगी और अपराध के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया जाएगा. साथ ही पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान होगा.

प्रस्तावित विधेयक में यह भी शामिल है कि मवेशियों को इसकी मृत्यु तक संरक्षण दिया जाना चाहिए. मवेशियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए पुलिस की इजाजत जरूरी होगी.

पढ़ें- पीएम मोदी गौ हत्या पर लगाएं प्रतिबंध, गौ सेवक ने श्रीलंका का दिया हवाला

सरकार मवेशियों के संरक्षण के लिए गौशालाओं, कृषि गतिविधियों और पशुपालन के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी. नए विधेयक में सरकार को मवेशियों के संरक्षण के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने का भी अधिकार होगा.

बेंगलुरु : गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकारों की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी कर्नाटक में गौ हत्या विरोधी बिल लाने का फैसला किया है. पढ़ें गौ हत्या विरोधी कानून की प्रकृति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट-

अभी सिर्फ छह महीने सजा काट बच जाते हैं अपराधी
कर्नाटक में गौ हत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 पहले से लागू है, लेकिन इनमें कड़े नियमों की कमी है. यही वजह है कि भाजपा सरकार ने तय किया है कि इस संबंध में नया कानून लाएगी.

मौजूदा अधिनियम के तहत अपराधी को केवल छह महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा होती है, अधिनियम में बछड़े के वध पर भी प्रतिबंध है जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है और वधशालाओं में लाए जाने वाली गायों के परिवहन के लिए अनुमति जरूरी है. अधिनियम में कमियां होने की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलते हैं. यही वजह है कि सरकार ने नया अधिनियम लाने की तैयारी की है.

सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल की थी सजा
भाजपा सरकार ने 2010 में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 और कर्नाटक गौ हत्या और संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया था. पशुओं का वध रोकने के अलावा इस बिल में गौवंश में भैंस, बैल और बछड़ों को भी शामिल किया गया. इनकी हत्या पर सजा को छह महीने से बढ़ाकर सात साल किया. साथ ही जुर्माना राशि एक लाख रुपए कर दी. साथ ही पुलिस को ज्यादा अधिकार दिए गए. एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा यह बिल दोनों सदनों में लाए थे. राज्य विधायिका और सदन ने बिना किसी संशोधन के इसे मंजूरी दे दी लेकिन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंजूरी देने से मना कर दिया. केंद्र की यूपीए सरकार ने भी बिल रोके रखा.

केंद्रीय गृहमंत्री ने कुछ सवाल उठाए और सुझाव भी दिए. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2014 के विवादास्पद बिल को वापस ले लिया और कर्नाटक में गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम -1964 को बहाल कर दिया.

गुजरात में 14 साल तक की है सजा
राज्य सरकार ऐसा गौ हत्या विरोधी बिल लाएगी जैसा गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रभावी रूप से लागू किया है. गुजरात में गौ वध करने पर 7 से 14 साल तक की सजा है जबकि जुर्माना एक लाख से लेकर पांच लाख तक है. पशु तस्करी पर 7 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपए जुर्माना होता है. साथ ही तस्करी के लिए प्रयोग होने वाला वाहन भी पुलिस जब्त कर सकती है. साथ ही अपराधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है.

उत्तर प्रदेश में 10 साल की सजा
यूपी में पहली बार गौ हत्या का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात साल सजा और एक से तीन लाख रुपए जुर्माना या दोनों सजा. 10 साल सजा और पांच लाख रुपए जुर्माना.

पढ़ें- हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गौ हत्या निषेध कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता

गुजरात और यूपी दोनों की तर्ज पर होगा नया कानून
कर्नाटक में जो बिल लाया जाएगा वह गुजरात और यूपी दोनों की तर्ज पर होगा और ज्यादा कड़ा होगा. सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार सात साल से दस साल तक के कारावास की धारा को शामिल करेगी और अपराध के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया जाएगा. साथ ही पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान होगा.

प्रस्तावित विधेयक में यह भी शामिल है कि मवेशियों को इसकी मृत्यु तक संरक्षण दिया जाना चाहिए. मवेशियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए पुलिस की इजाजत जरूरी होगी.

पढ़ें- पीएम मोदी गौ हत्या पर लगाएं प्रतिबंध, गौ सेवक ने श्रीलंका का दिया हवाला

सरकार मवेशियों के संरक्षण के लिए गौशालाओं, कृषि गतिविधियों और पशुपालन के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी. नए विधेयक में सरकार को मवेशियों के संरक्षण के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने का भी अधिकार होगा.

Last Updated : Dec 9, 2020, 5:56 PM IST
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