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किसानों का मुद्दा हल नहीं होने पर भूख हड़ताल करेंगे अन्ना हजारे - agitation in support of farmers

कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच हल नहीं निकलने पर समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मांगों पर अभी से अमल करे अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा.

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे
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Published : Jan 3, 2021, 5:05 PM IST

अहमदाबाद : तीन साल बाद भी केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन को लागू नहीं कर रही है. इसपर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि अगर केंद्र ने मांगें नहीं मानीं, तो वह जनवरी में दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे.

हजारे ने एक बार फिर अपनी मांगों को समझाते हुए कहा कि सरकार तीन साल से उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है. उनकी इस घोषणा के बाद विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे, सांसद भगवत कर्दम और पूर्व मंत्री गिरीश महाजन रालेगण सिद्धि में उनसे मुलाकात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मांगों पर अभी से अमल करे अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा.

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था और उस अनुसार कृषि वस्तुओं की कीमतों की गारंटी देने का वादा किया था. उसी तरह अनाज और दालों के साथ-साथ फल, दूध, पत्तेदार सब्जियां, आलू और टमाटर पर भी गारंटी होनी चाहिए. केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग की तरह स्वायत्त संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए.

पढ़ें- किसान बोले- मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 26 जनवरी को निकालेंगे ट्रैक्टर परेड

अन्ना हजारे की मांग है कि राज्य कृषि आयोग द्वारा राज्य में स्थिति के अनुसार घोषित कीमतों को केंद्रीय आयोग द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए. अन्ना हजारे ने कहा कि इस कृषि प्रधान देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है, लेकिन आज सरकार यह भूल रही है और किसानों को इस देश में न्याय नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि हम पिछले चार साल से सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और एक बार फिर हमें आंदोलन करना पड़ेगा.

अहमदाबाद : तीन साल बाद भी केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन को लागू नहीं कर रही है. इसपर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि अगर केंद्र ने मांगें नहीं मानीं, तो वह जनवरी में दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे.

हजारे ने एक बार फिर अपनी मांगों को समझाते हुए कहा कि सरकार तीन साल से उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है. उनकी इस घोषणा के बाद विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे, सांसद भगवत कर्दम और पूर्व मंत्री गिरीश महाजन रालेगण सिद्धि में उनसे मुलाकात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मांगों पर अभी से अमल करे अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा.

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था और उस अनुसार कृषि वस्तुओं की कीमतों की गारंटी देने का वादा किया था. उसी तरह अनाज और दालों के साथ-साथ फल, दूध, पत्तेदार सब्जियां, आलू और टमाटर पर भी गारंटी होनी चाहिए. केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग की तरह स्वायत्त संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए.

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अन्ना हजारे की मांग है कि राज्य कृषि आयोग द्वारा राज्य में स्थिति के अनुसार घोषित कीमतों को केंद्रीय आयोग द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए. अन्ना हजारे ने कहा कि इस कृषि प्रधान देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है, लेकिन आज सरकार यह भूल रही है और किसानों को इस देश में न्याय नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि हम पिछले चार साल से सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और एक बार फिर हमें आंदोलन करना पड़ेगा.

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