नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि दुनिया की सारी समस्याओं का समाधान केवल रामायण में मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रामायण भारतीय संस्कृति का राजदूत बनकर अनेकों देशों में भाषाओं की मर्यादा और धर्म की मर्यादा को परास्त कर पहुंचा है.
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के द्वारा आयोजित पांचवे अंतरराष्ट्रीय रामायण उत्सव में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रामायण मंचन से अच्छा कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता और रामायण महाकाव्य बहुत शक्तिशाली है.
अमित शाह ने कहा, रामायण केवल एक चरित्र की घटना नहीं है. मानवीय जीवन के सारी ऊंचाइयों को भूले बगैर जीवन को रेखांकित करने का काम महर्षि वाल्मीकि ने किया है. साथ ही महर्षि वाल्मीकि के आने वाले समय में पतन के कारणों को भी इंगित किया है. उन्होंने कहा कि राजा के द्वारा धैर्य के साथ अपने पिता की बात मानने के लिए कितना बलिदान, कितना त्याग किया जा सकता है यह भी रामायण में दर्शाया गया है.
पढ़ें-PM मोदी का एक जन्मदिन ऐसा भी, दिल्ली में प्लास्टिक के बदले बंटे लड्डू
अमित शाह ने बताया कि राजा राम ने पूरा जीवन मर्यादा में रहकर जिया. राम के जीवन को काव्य स्वरूप में देने का काम महर्षि वाल्मीकि ने किया है और दुनिया की सभी भाषाओं में रामायण का भावा अनुवाद हुआ है.
शाह ने यह भी कहा कि रामायण केवल संस्कृति की उद्घोषणा करने वाला, आदर्श जीवन को समझाने वाला काव्य नहीं है बल्कि इसके अंदर कई ऐसे संवाद हैं जो नीतिशास्त्र, प्रशासन, युद्ध शास्त्र तथा ज्ञान-विज्ञान का भी परिचय देते हैं.
शाह ने कहा कि रामायण से ज्ञात होता है कि जब स्त्री की मर्यादा का लोप होता है तब राज्य का भी लोप होता है और संस्कृति का लोप होता है. उन्होंने गांधीजी का जिक्र करते हुए कहा कि जब काकासाहेब कालेलकर के कहने पर कौटिल्य के नीतिशास्त्र की प्रस्तावना एक वाक्य में लिखना था, तब गांधी जी ने लिखा था यह ग्रंथ नहीं है महाग्रंथ है.