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नागरिकता संशोधन विधेयक पुनः लाया जाएगाः अमित शाह

गुवाहाटी में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक फिर से लाया जाएगा. जानें और क्या क्या कहा शाह नें....

अमित शाह
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Published : Sep 10, 2019, 12:03 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 2:06 AM IST

गुवाहाटीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को भुलाया नहीं गया है, इसे फिर से लाया जाएगा.

शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रों को प्राप्त विशेष कानून को नहीं छूआ जाएगा.

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार केवल असम से ही नहीं, बल्कि पूरे देश से सभी घुसपैठियों को बाहर निकालेगी.

अमित शाह का बयान

राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित हुई है. इसके बाद पहली बार गृह मंत्री शाह असम है. इस दौरान शाह ने अनुच्छेद 371 को खत्म किए जानें से जुड़ी शंकाओं का भी निराकरण किया.

बता दें, अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के लिए लागू होता है और इसके जरिए धार्मिक और सामाजिक प्रथा के संबंध में उन्हें विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं.

इस यात्रा के दौरान गृह मंत्री ने भाजपा समर्थित पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के घटक दलों की बैठक को संबोधित किया और कहा कि नागरिक संशोधन लागू के हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी राज्यों में मौजूदा कानून बरकरार रहेंगे.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले कानून में बदलाव करने का हमरा इरादा नहीं है.

गौरतलब है कि शाह नेडा कि चौथी बैठक को संबोधित कर रहे थे. नेडा केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तर्ज पर पूर्वोत्तर में यह गठबंधन है.

शाह, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर जवाब दे रहे थे.

पढ़ेंः अनुच्छेद 371 के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी सरकार : अमित शाह

गृह मंत्री बैठको को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को फिर से लाने पर आशंका जाहिर किए ,क्योंकि इससे उनके संबंधित राज्यों की जनसांख्यिकी परिवर्तित हो सकती है.

पूर्वोत्तर राज्य चाहते है कि उनके राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाए.

बता दें, नागरिकता संसोधन विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा ने पारित हुआ था लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया गया.

यह बिल देश में से रह रहे सभी नागरिकों को बारह साल के बजाय सात सालों में भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, चाहे वे किसी भी धर्म के हो या किसी अन्य देश से आए हुए शरणार्थी हों.

पढ़ेंः RSS ने असम NRC पर उठाए सवाल, कहा- सूची से बाहर अधिकांश लोग हिंदू

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संसोधन विधेयक की कट आफ डेट पहले की तरह 31 दिसंबर 2014 ही रहेगी.

उन्होंने कहा कि हमारी ओर से यह स्पष्ट है कि कोई अन्य तारीख नहीं होगी साथ ही कहा कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के साथ अनुच्छेद 371 को नहीं छुआ जाएगा.

बता दें कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) केन्द्र सरकार द्वारा जारी एक अधिकारिक यात्रा दस्तावेज है, जो एक सीमित अवधि के लिए एक संरक्षित क्षेत्र में भारतीय नागरिकता को यात्रा की अनुमति देता है. संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट लेना ऐसे राज्यों के बाहर के भारतीय नागरिकों के लिए अनिवार्य है.

शाह ने यह आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग कर दिया था.

उन्होंने कहा कि हमारी मंशा असम में ही नहीं बल्कि पूरे देश से घुसपैठियों को बाहर करने की है.

शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों में संघर्ष का बीज बो दिया था और कहा कि कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर ध्यान नहीं दिया था, इस वजह से इन राज्यों में उग्रवाद पनपा है.

पढ़ेंः असम NRC की अंतिम सूची से बाहर के लोग विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करें : गृह मंत्रालय

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से फूट डालो और शासन करो की नीति में विश्वास करती है.

शाह जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 के बीच के फर्क को समझाने का प्रयास कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 371 स्थायी प्रावधान है जबकि अनुच्छेद 370 अस्थायी था.

शाह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इन आश्वासनों के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक और विशेष प्रावधान के संबंध में पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों की सभी आशंकाएं दूर हो गई होंगी.
इस यात्रा के दौरान शाह ने पूर्वोत्तर राज्य के आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की.

शाह ने यह स्पष्ट किया की नई नागरिकता संशोधन अधिनियम से 6 वीं अनुसूची में संशोधन नहीं होगा. 6 वीं अनुसूची के तहत कार्य करने वाले अधिकारी इनर लाइन परमिट का अधिकार लोगों को देते है. एलआईपी प्राप्त व्यक्ति बिशेष राज्य में रह सकते है. जिनके पास यह परमिट नहीं होती है वह राज्य में नहीं रह सकते है.

मीडिया से बात करते हुए असम के मंत्री और नेडा के संयोजक हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि शाह पूर्वोत्तर राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों की विभिन्न चिंताओं का निराकरण कर दिए है और कहा कि ज्यादातर चिंता इनर लाइन परमिट को लेकर थी.

पढ़ेंः 'NRC लागू हुई, तो मनोज तिवारी-संजय सिंह को दिल्ली छोड़कर भागना पड़ेगा'

मेघालय के मुख्यमंत्री ने बैठक को बहुत ही साकारात्मक बताया है और कहा कि गृह मंत्री ने हमें आगे बढ़ने और स्थानीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के साथ संवाद करने को कहा ताकि विधेयक को लेकर किसी भी प्रकार की शंकाओं को दूर किया जा सके. इसके साथ ही यह भी कहा कि विधेयक को फिर से पेश होनें की तारीख तय नहीं हुई है.

अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि शाह ने साफ कर दिया कि मूल लोगों की हिफाजत करने वाले कानूनों को नहीं छुआ जाएगा.

गुवाहाटीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को भुलाया नहीं गया है, इसे फिर से लाया जाएगा.

शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रों को प्राप्त विशेष कानून को नहीं छूआ जाएगा.

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार केवल असम से ही नहीं, बल्कि पूरे देश से सभी घुसपैठियों को बाहर निकालेगी.

अमित शाह का बयान

राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित हुई है. इसके बाद पहली बार गृह मंत्री शाह असम है. इस दौरान शाह ने अनुच्छेद 371 को खत्म किए जानें से जुड़ी शंकाओं का भी निराकरण किया.

बता दें, अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के लिए लागू होता है और इसके जरिए धार्मिक और सामाजिक प्रथा के संबंध में उन्हें विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं.

इस यात्रा के दौरान गृह मंत्री ने भाजपा समर्थित पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के घटक दलों की बैठक को संबोधित किया और कहा कि नागरिक संशोधन लागू के हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी राज्यों में मौजूदा कानून बरकरार रहेंगे.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले कानून में बदलाव करने का हमरा इरादा नहीं है.

गौरतलब है कि शाह नेडा कि चौथी बैठक को संबोधित कर रहे थे. नेडा केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तर्ज पर पूर्वोत्तर में यह गठबंधन है.

शाह, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर जवाब दे रहे थे.

पढ़ेंः अनुच्छेद 371 के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी सरकार : अमित शाह

गृह मंत्री बैठको को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को फिर से लाने पर आशंका जाहिर किए ,क्योंकि इससे उनके संबंधित राज्यों की जनसांख्यिकी परिवर्तित हो सकती है.

पूर्वोत्तर राज्य चाहते है कि उनके राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाए.

बता दें, नागरिकता संसोधन विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा ने पारित हुआ था लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया गया.

यह बिल देश में से रह रहे सभी नागरिकों को बारह साल के बजाय सात सालों में भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, चाहे वे किसी भी धर्म के हो या किसी अन्य देश से आए हुए शरणार्थी हों.

पढ़ेंः RSS ने असम NRC पर उठाए सवाल, कहा- सूची से बाहर अधिकांश लोग हिंदू

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संसोधन विधेयक की कट आफ डेट पहले की तरह 31 दिसंबर 2014 ही रहेगी.

उन्होंने कहा कि हमारी ओर से यह स्पष्ट है कि कोई अन्य तारीख नहीं होगी साथ ही कहा कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के साथ अनुच्छेद 371 को नहीं छुआ जाएगा.

बता दें कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) केन्द्र सरकार द्वारा जारी एक अधिकारिक यात्रा दस्तावेज है, जो एक सीमित अवधि के लिए एक संरक्षित क्षेत्र में भारतीय नागरिकता को यात्रा की अनुमति देता है. संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट लेना ऐसे राज्यों के बाहर के भारतीय नागरिकों के लिए अनिवार्य है.

शाह ने यह आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग कर दिया था.

उन्होंने कहा कि हमारी मंशा असम में ही नहीं बल्कि पूरे देश से घुसपैठियों को बाहर करने की है.

शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों में संघर्ष का बीज बो दिया था और कहा कि कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर ध्यान नहीं दिया था, इस वजह से इन राज्यों में उग्रवाद पनपा है.

पढ़ेंः असम NRC की अंतिम सूची से बाहर के लोग विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करें : गृह मंत्रालय

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से फूट डालो और शासन करो की नीति में विश्वास करती है.

शाह जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 के बीच के फर्क को समझाने का प्रयास कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 371 स्थायी प्रावधान है जबकि अनुच्छेद 370 अस्थायी था.

शाह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इन आश्वासनों के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक और विशेष प्रावधान के संबंध में पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों की सभी आशंकाएं दूर हो गई होंगी.
इस यात्रा के दौरान शाह ने पूर्वोत्तर राज्य के आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की.

शाह ने यह स्पष्ट किया की नई नागरिकता संशोधन अधिनियम से 6 वीं अनुसूची में संशोधन नहीं होगा. 6 वीं अनुसूची के तहत कार्य करने वाले अधिकारी इनर लाइन परमिट का अधिकार लोगों को देते है. एलआईपी प्राप्त व्यक्ति बिशेष राज्य में रह सकते है. जिनके पास यह परमिट नहीं होती है वह राज्य में नहीं रह सकते है.

मीडिया से बात करते हुए असम के मंत्री और नेडा के संयोजक हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि शाह पूर्वोत्तर राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों की विभिन्न चिंताओं का निराकरण कर दिए है और कहा कि ज्यादातर चिंता इनर लाइन परमिट को लेकर थी.

पढ़ेंः 'NRC लागू हुई, तो मनोज तिवारी-संजय सिंह को दिल्ली छोड़कर भागना पड़ेगा'

मेघालय के मुख्यमंत्री ने बैठक को बहुत ही साकारात्मक बताया है और कहा कि गृह मंत्री ने हमें आगे बढ़ने और स्थानीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के साथ संवाद करने को कहा ताकि विधेयक को लेकर किसी भी प्रकार की शंकाओं को दूर किया जा सके. इसके साथ ही यह भी कहा कि विधेयक को फिर से पेश होनें की तारीख तय नहीं हुई है.

अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि शाह ने साफ कर दिया कि मूल लोगों की हिफाजत करने वाले कानूनों को नहीं छुआ जाएगा.

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PRI GEN NAT
.GUWAHATI CAL19
AS-NEDA-LD SHAH
CAB to be brought again, all illegal immigrants deported: Shah
         (Eds: Adds details)
         Guwahati, Sept 9 (PTI) The Citizenship (amendment)
Bill has not been consigned to oblivion and will be brought
again, Home Minister Amit Shah said on Monday, but sought to
soothe the concerns of the northeastern states, insisting
special laws specific to the region will not be touched.
         Shah also asserted that the Centre intends to expel
all illegal immigrants not just from Assam but the entire
country.
         Visiting the Assam capital for the first time since
the vexed final National Register of Citizens (NRC), which
validates Indian citizenship of the residents of Assam, was
published on August 31, the BJP chief also sought to quell
apprehensions about scrapping of Article 371 of the Indian
Constitution.
         Article 371 applies to several states in the northeast
and grants them special powers with regard to religious and
social practices, and observance of law and order.
         "We will ensure that existing laws of all states of
the region remain as they are even after the introduction of
the CAB. We have no intention to touch any of these laws
applicable to different states of the region", Shah told a
meeting of BJP's allies who are part of the North-East
Democratic Alliance (NEDA).
         He was addressing the fourth conclave of the NEDA,
which is the northeastern version of the Centre's ruling
National Democratic Alliance (NDA).
         Shah was responding to concerns voiced by chief
ministers Conrad Sangma of Meghalaya, Neiphu Rio of Nagaland
and Mizoram's Zoramthanga.
         Addressing the conclave, they had voiced fears about
the consequences of reintroducing the CAB, as it could alter
the demography of their respective states. They wanted that
their states be kept out of the purview of the CAB.
         The Citizenship (amendment) Bill was passed by the Lok
Sabha on January 8 but could not be tabled in the Rajya Sabha
following outrage in several parts of the country,
particularly the northeast, where the BJP's allies led by
Sangma were up in arms against it.
         The bill provided for according Indian citizenship to
Hindus, Jains, Christians, Sikhs, Buddhists and Parsis from
Bangladesh, Pakistan and Afghanistan after seven years of
residence in India instead of 12 years, which is the norm
currently, even if they do not possess any document.
         The home minister also asserted that even the cut-off
date for CAB will remain December 31, 2014.
"It is very clear from our side that there will be no
other date and Article 371 along with the Inner Line Permits
(ILP) will not be touched," he added.
The Inner Line Permit (ILP) is an official travel
document issued by the Government of India to grant permission
for inward travel to an Indian citizen into a protected area
for a limited period. It is obligatory for Indians residing
outside those states where the ILP is in force to obtain prior
permission to enter protected areas.
         Shah also asserted that the Centre intends to expel
all illegal immigrants not just from Assam but the entire
country.
         The BJP president also accused successive Congress
governments of having alienated the region from the rest of
the country.
         "Our intention is to expel illegal immigrants from the
entire country and not just Assam," he declared.
         He alleged the prolonged militancy in the northeast
was because the Congress hardly cared for the region.
         "The Congress governments sowed the seeds of strife in
the northeast. The party did not care for the northeast and
because of that militancy flourished. It always believed in
the policy of divide and rule," he alleged.
         Shah also sought to re-emphasise the distinction
between Article 370 of the Constitution pertaining to Jammu
and Kashmir that the Centre revoked to strip the restive state
of its special status, and Article 371.
         "Article 371 is a permanent provision, while Article
370 was temporary," he said.
         "I hope, with these assurances, all apprehensions of
the chief ministers of the northeast regarding the CAB and the
special provisions have been allayed," he said.
         After addressing the conclave, the BJP chief held a
meeting with the chief ministers of all the eight states of
the northeast.
         Speaking to journalists, Assam minister and NEDA
convenor Himanta Biswa Sarma said Shah had addressed many
concerns voiced by the chief ministers.
         He said one of their foremost concerns was about the
Inner Line Permit.
         "Shah made it clear that the new CAB will ensure that
its provisions do not override the 6th schedule of the
Constitution," he said, adding that it effectively meant that
unless a person got the ILP or the 6th Schedule Authority
allowed one to stay in a particular state, nobody from outside
could go there.
Meghalaya Chief Minister Conrad Sangma called the
meeting "very positive" where there was a convergence of view
that both national and regional concerns be addressed.
         "The home minister asked us to go ahead and have
further consultation with local organisations and political
parties so that any kind if misconception regarding the Bill
can be cleared," Sangma said.
         He said no deadline was set for the proposed
reintroduction of the Bill.
         Arunachal Pradesh Chief Minister Pema Khandu said Shah
made it clear that laws protecting indigenous people will not
be touched.
         "In fact, he said, that if needed, these local laws
can even be made more strict," the BJP leader said.
         Arunachal Pradesh is among the northeastern states
where an outsider is required to obtain ILP for a visit.
         The Citizenship (Amendment) Bill will be drafted
keeping in mind these issues, Khandu said. PTI TR DG
SK
SK
09091741
NNNN
Last Updated : Sep 30, 2019, 2:06 AM IST
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