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चीन ने कैलाश-मानसरोवर पर हवा में मार करने वाली मिसाइलें कीं तैनात - पूर्वी लद्दाख में गतिरोध

भारत और चीन के बाच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध जारी है. इसी बीच चीन ने एक और नापाक हरकत की है. चीन ने कथित तौर पर झील के किनारे सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कीं हैं. यह झील कैलाश-मानसरोवर का हिस्सा है.

चीन ने फिर की नापाक हरकत,
चीन ने फिर की नापाक हरकत,
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Published : Aug 31, 2020, 7:20 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में तल्खी बढ़ती जा रही है. इसी बीच चीन ने एक और हिमाकत की है. चीन ने कथित तौर पर झील के किनारे सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कीं हैं. बता दें यह झील कैलाश-मानसरोवर का हिस्सा है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मिसाइलों की तैनाती चीन की ओर से आक्रमक उकसावे का एक हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को और अधिक बढ़ा सकता है.

कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, जिसे आमतौर पर कैलाश-मानसरोवर स्थल के रूप में जाना जाता है. चार धर्मों में पूजनीय है और भारत में सांस्कृति और आध्यात्मिक शास्त्रों से जुड़ा हुआ है. हिंदू इस स्थान को शिव और पार्वती का निवास स्थान मानते हैं. तिब्बती बौद्ध लोग इस पहाड़ी को कंग रिपोछ कहते हैं. इतना ही नहीं यह स्थान चार नदियों का उद्गम स्थल भी है. ये नदियां सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली है.

जैन लोग इस पहाड़ी को अस्तपद के नाम से जानते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस स्थान पर जैन धर्म के 24 आध्यात्मिक गुरुओं में से प्रथम ने मोक्ष प्राप्त किया था.

गौरतलब है कि चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को एक बार फिर से वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया.

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की चाल को नाकाम कर दिया. उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने सैन्य और राजनयिक स्तर पर लिए गए सर्वसम्मति का उल्लंघन किया है. उन्होंने यहां पर स्थिति को बदलने का असफल प्रयास किया.

इस पर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं आपस में संवाद कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चीन के सैनिकों ने एलएसी पार नहीं किया है. एक अन्य सवाल के जवाब में झाओ ने कहा कि चीन राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से करीबी संचार बनाए रखता है. विशिष्ट बैठकों और वार्ताओं के अनुसार चीन की ओर से यथासमय सूचना जारी की जाएगी.

पैंगॉन्ग इलाके का क्या है विवाद

लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगॉन्ग त्सो झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील की दूरी का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील के बीच से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में आती है.

गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में तल्खी बढ़ती जा रही है. इसी बीच चीन ने एक और हिमाकत की है. चीन ने कथित तौर पर झील के किनारे सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कीं हैं. बता दें यह झील कैलाश-मानसरोवर का हिस्सा है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मिसाइलों की तैनाती चीन की ओर से आक्रमक उकसावे का एक हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को और अधिक बढ़ा सकता है.

कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, जिसे आमतौर पर कैलाश-मानसरोवर स्थल के रूप में जाना जाता है. चार धर्मों में पूजनीय है और भारत में सांस्कृति और आध्यात्मिक शास्त्रों से जुड़ा हुआ है. हिंदू इस स्थान को शिव और पार्वती का निवास स्थान मानते हैं. तिब्बती बौद्ध लोग इस पहाड़ी को कंग रिपोछ कहते हैं. इतना ही नहीं यह स्थान चार नदियों का उद्गम स्थल भी है. ये नदियां सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली है.

जैन लोग इस पहाड़ी को अस्तपद के नाम से जानते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस स्थान पर जैन धर्म के 24 आध्यात्मिक गुरुओं में से प्रथम ने मोक्ष प्राप्त किया था.

गौरतलब है कि चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को एक बार फिर से वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया.

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की चाल को नाकाम कर दिया. उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने सैन्य और राजनयिक स्तर पर लिए गए सर्वसम्मति का उल्लंघन किया है. उन्होंने यहां पर स्थिति को बदलने का असफल प्रयास किया.

इस पर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं आपस में संवाद कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चीन के सैनिकों ने एलएसी पार नहीं किया है. एक अन्य सवाल के जवाब में झाओ ने कहा कि चीन राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से करीबी संचार बनाए रखता है. विशिष्ट बैठकों और वार्ताओं के अनुसार चीन की ओर से यथासमय सूचना जारी की जाएगी.

पैंगॉन्ग इलाके का क्या है विवाद

लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगॉन्ग त्सो झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील की दूरी का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील के बीच से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में आती है.

गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

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