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इन मेगालिथ पत्थरों के बीच दिखता है अद्भुत खगोलीय नजारा, जुटते हैं कई खगोलशास्त्री

23 सितंबर खगोलीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण दिन के रूप में जाना जाता है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर करवट लेता है. सूर्य के इस करवट को झारखंड के हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड के पखरी बरवाडी स्थित इक्विनॉक्स में देखने को मिलता है. इसे देखने के लिए कई खगोलशास्त्री यहां पहुंचते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

मेगालिथ पत्थर.
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Published : Sep 23, 2019, 4:31 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 5:10 PM IST

हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर बड़कागांव प्रखंड स्थित पंकरी बरवाडी में हर साल दो दिन तक होने वाली अद्भुत खगोलीय घटना इस साल फिर घटित हुई. पहली बार हजारीबाग के शुभाशीष दास ने दुनिया को बताया था कि यहां दो पत्थरों के बीच से सूर्य की बदलती करवट को देखा जा सकता है और समय का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इसके बाद अंतरराष्ट्रीय खगोलविद यहां आए और इसके बारे में विस्तार से अध्ययन भी किया. इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दी गई. 23 सितंबर को सूर्योदय के अद्भुत नजारे को देखने के लिए खगोल प्रेमी समेत हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. यह नजारा 2 मेगालिथ पत्थरों के बीच बने 'V' आकार के खड्डे में दिखाई पड़ता है.

हजारीबाग में इन पत्थरों के बीच दिखता है खगोलीय नजारा, देखें वीडियो

देखा जाए तो यह खगोलशास्त्रियों के लिए खुली वेधशाला है, जहां आकर वो रिसर्च कर सकते हैं. यहां के स्थानीय बताते हैं कि प्राचीन काल में आदिवासी समाज के लोग समय देखने के लिए और सूर्य के उत्तरायण से दक्षिणायन होने के लिए इस पत्थरों का उपयोग किया करते थे.

क्या है एक्विनोक्स
खगोल शास्त्र के अनुसार हर 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन रात बराबर होने के कारण सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर पड़ती हैं. इस कारण पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं. 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में वसंत ऋतु होती है.

जानकारी देते संवाददाता

पृथ्वी की घूर्णन के कारण दिन-रात और ऋतु का परिवर्तन होता है इस कारण 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं, इसलिए सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर करवट लेते दिखता है.

ये भी पढ़ें- धनबाद: विकास का कड़वा सच, आजादी के 70 साल बाद भी ग्रामीणों को एक अदद सड़क का इंतजार

खतरे में है मेगालिथ स्थल
इस ऐतिहासिक और भौगोलिक स्थल के आस-पास के क्षेत्रों में कोयला खदान है. जिसके कारण क्षेत्र के अस्तित्व पर खतरा मंडराता है. इसके साथ ही खुला क्षेत्र होने के कारण कई असामाजिक तत्व रात में दिखते हैं. यहां किसी भी तरह का संरक्षण क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रहा है.

यहां तक की सरकारी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि का भी ध्यान इस क्षेत्र पर नहीं है. कई अधिकारियों ने क्षेत्र का भ्रमण भी किया है और सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन क्षेत्र का संरक्षण अब तक नहीं हुआ है. जरूरत है कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाए.

हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर बड़कागांव प्रखंड स्थित पंकरी बरवाडी में हर साल दो दिन तक होने वाली अद्भुत खगोलीय घटना इस साल फिर घटित हुई. पहली बार हजारीबाग के शुभाशीष दास ने दुनिया को बताया था कि यहां दो पत्थरों के बीच से सूर्य की बदलती करवट को देखा जा सकता है और समय का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इसके बाद अंतरराष्ट्रीय खगोलविद यहां आए और इसके बारे में विस्तार से अध्ययन भी किया. इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दी गई. 23 सितंबर को सूर्योदय के अद्भुत नजारे को देखने के लिए खगोल प्रेमी समेत हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. यह नजारा 2 मेगालिथ पत्थरों के बीच बने 'V' आकार के खड्डे में दिखाई पड़ता है.

हजारीबाग में इन पत्थरों के बीच दिखता है खगोलीय नजारा, देखें वीडियो

देखा जाए तो यह खगोलशास्त्रियों के लिए खुली वेधशाला है, जहां आकर वो रिसर्च कर सकते हैं. यहां के स्थानीय बताते हैं कि प्राचीन काल में आदिवासी समाज के लोग समय देखने के लिए और सूर्य के उत्तरायण से दक्षिणायन होने के लिए इस पत्थरों का उपयोग किया करते थे.

क्या है एक्विनोक्स
खगोल शास्त्र के अनुसार हर 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन रात बराबर होने के कारण सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर पड़ती हैं. इस कारण पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं. 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में वसंत ऋतु होती है.

जानकारी देते संवाददाता

पृथ्वी की घूर्णन के कारण दिन-रात और ऋतु का परिवर्तन होता है इस कारण 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं, इसलिए सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर करवट लेते दिखता है.

ये भी पढ़ें- धनबाद: विकास का कड़वा सच, आजादी के 70 साल बाद भी ग्रामीणों को एक अदद सड़क का इंतजार

खतरे में है मेगालिथ स्थल
इस ऐतिहासिक और भौगोलिक स्थल के आस-पास के क्षेत्रों में कोयला खदान है. जिसके कारण क्षेत्र के अस्तित्व पर खतरा मंडराता है. इसके साथ ही खुला क्षेत्र होने के कारण कई असामाजिक तत्व रात में दिखते हैं. यहां किसी भी तरह का संरक्षण क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रहा है.

यहां तक की सरकारी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि का भी ध्यान इस क्षेत्र पर नहीं है. कई अधिकारियों ने क्षेत्र का भ्रमण भी किया है और सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन क्षेत्र का संरक्षण अब तक नहीं हुआ है. जरूरत है कि इस क्षेत्र को संरक्षित किया जाए.

Intro:23 सितंबर खगोलीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण दिन के रूप में जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण से दक्षिण की ओर करवट लेती है। सूर्य के इस करवट को हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड के पखरी बरवाडी स्थित इक्विनॉक्स मे देखने को मिलता है। जिसे देखने के लिए गई खगोल शास्त्री यहां पहुंचते रहे हैं। यह नजारा दो मेगालिथ पत्थरों के बीच बने वी आकार के खड्ड में दिखाई देती है। इसके साथ ही 24 सितंबर से रात लंबी दिन छोटी होने लगती है ।स्थल पर प्राचीन काल से ही पत्थरों के बने हुए हैं सुभाष दास ने किसे मेगालिथ कहां है ।20 पूर्व उन्होंने इस बात का खोज किया था ।इन पत्थरों के माध्यम से आज भी 21 जून, 21 दिसंबर, 21 मार्च ,23 सितंबर को एक्विनोक्स नजारा देखा जा जाता है।


Body:जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर बड़कागांव प्रखंड स्थित पंकरी बरवाडी में हर साल 2 दिन होने वाले इस अद्भुत खगोलीय घटना के बारे में पहली बार हजारीबाग के शुभाशीष दास ने दुनिया को बताया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय खगोल विद यहां आए और इसके बारे में अध्ययन भी किया। जो इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दी। जिले के बड़कागांव प्रखंड के पंकरी बरवाडी स्थित मेगालिथ स्थल में 23 सितंबर को सूर्योदय के अद्भुत नजारे को देखने के लिए खगोल प्रेमी समेत हजारों लोग यहां जुटते हैं। लेकिन हजारीबाग में मौसम इस बार खराब होने के कारण दर्शकों की संख्या कम रही ।


लेकिन जो दर्शक यहां पहुंचे उन्होंने बताया कि सूर्य उत्तरायण और करवट लेते इस पत्थर के बीच से देखा जाता है। जानकारों की मानें तो यह खगोल शास्त्रियों के लिए खुला वेधशाला है। जहां आकर वह अनवेषण कर सकते हैं। यहां के स्थानीय पत्रकार ही बताते हैं कि प्राचीन काल में आदिवासी समाज के लोग समय देखने के लिए और सूर्य के उत्तरायण से दक्षिणायन होने के लिए इस पाषाण का उपयोग किया करते थे। जिससे पता चलता है कि उस काल के लोग की खगोल शास्त्र की जानकारी काफी अच्छी थी।

क्या है एक्विनोक्स..... खगोल शास्त्र के अनुसार हर 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन रात बराबर होने के कारण सूर्य की किरने विश्वत रेखा पर पड़ती है ।ऐसी स्थिति में कोई भी सूर्य की ओर नहीं झुकता है इस कारण पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है ।

पृथ्वी की घूर्णन के कारण दिन-रात और ऋतु का परिवर्तन होता है इस कारण 21 मार्च के दिन और रात बराबर होती है इसलिए सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर करवट लेते दिखाई पड़ता है यह दृश्य बड़कागांव पकरीबरवां डीके मेगालिस पत्रों के बीच से देखा जा सकता है।

byte.... संजय सागर ,स्थानीय पत्रकार
byte.... दीपक सिन्हा, स्थानीय पत्रकार


Conclusion:
खतरे में है मेगालिथ स्थल....

इस ऐतिहासिक एवं भौगोलिक स्थल के आसपास क्षेत्र में कोयला खदान है। जिसके कारण यह क्षेत्र अस्तित्व में खतरा दिख रहा है। साथ ही खुला क्षेत्र होने के कारण कई असामाजिक तत्व वहां रात में दिखते हैं। किसी भी तरह का संरक्षण क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रहा है। जिसके कारण इसके स्थल का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। सरकारी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि का भी ध्यान इस क्षेत्र में नहीं है। पूर्व में कई अधिकारियों ने क्षेत्र का भ्रमण भी किया है और सिर्फ आश्वासन दिया गया। लेकिन क्षेत्र का संरक्षण अब तक नहीं है ।इस कारण शराबियों का भी यहां पर जमावड़ा रात में देखने को मिलता है और पाषाणके साथ भी छेड़छाड़ किया जा रहा है। जरूरत है इस क्षेत्र को संरक्षित करने की।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
Last Updated : Oct 1, 2019, 5:10 PM IST
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