नई दिल्ली : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव, कश्मीर में आतंकियों और पूर्वोत्तर में विद्रोहियों से चले आ रहे टकराव के बीच सरकार रूस से 7.62 एमएम की एके 203 राइफल की आपूर्ति के लिए जल्द करार करने को इच्छुक है. हो सकता है कि दोनों देशों की सरकारों के बीच यह करार अगस्त के अंत तक अंतिम रूप ले ले.
पिछले साल 18 फरवरी को ही एक अंतर सरकारी करार (आईजीए) हुआ था जो अभी जारी है. बाइ एंड मेक (इंडियन) श्रेणी के तहत अब इस पर औपचारिक रूप से तब करार हो सकता है जब रक्षा सचिव (उत्पादन) 'आर्मी-2020' के लिए रूस के दौरे पर जाएंगे. 'आर्मी-2020' का आयोजन 23 से 29 अगस्त तक मॉस्को के उपनगरीय इलाके अलाबिनो प्रशिक्षण मैदान और कुबिन्का हवाई क्षेत्र में किया जाएगा.
मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की खरीददारी से जुड़ी शीर्ष समिति डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल (डीएसी) ने कुछ मंजूरी दी जिससे एके 203 की खरीद में गति आएगी. इस खरीद से भारत के सशस्त्र बलों के लिए लंबे समय से की जा रही एक आधारभूत असॉल्ट राइफल की दुष्कर तलाश समाप्त हो जाएगी.
आर्मी-2020 रूस सरकार की ओर से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य एवं तकनीकी मंच है, जिसमें सेना के हथियारों और औजारों (हार्ड वेयर) का प्रदर्शन किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय सैन्य एवं तकनीकी सहयोग बढ़ाने और मजबूत करने पर चर्चा करने के लिए इसे एक मंच के रूप में मुहैया कराया गया है. आर्मी-2020 और इंटरनेशनल आर्मी गेम्स एक ही समय में हो रहा है, जिसमें भारत इस बार हिस्सा नहीं ले रहा है.
13 फरवरी 2018 को भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 7 लाख 40 हजार राइफल खरीद सौदे पर आगे बढ़ने की हरी झंडी दी थी जिसकी अनुमानित लागत करीब 12 हजार 280 करोड़ रुपए है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब अक्टूबर 2018 में भारत दौरे पर आए थे, तभी भारत ने अपनी सेना और सुरक्षा बलों के लिए एके-203 राइफल खरीदने की मंशा की घोषणा कर दी थी, लेकिन इसमें आगे की प्रगति 18 फरवरी 2019 को तब रुक गई जब इसकी कीमत और इसके तकनीकी हस्तांतरण और इसके स्थीनीय स्तर पर उत्पादन के मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों में मतभेद सामने आ गए. ईटीवी भारत को जानकारी मिली है कि ये मुद्दे अब सुलझ गए हैं.
करीब एक लाख राइफलें रूस से सीधे खरीदी जाएंगी. उसके बाद प्रति वर्ष 75 हजार के हिसाब से ये राइफलें उत्तर प्रदेश के अमेठी के कोरवा की फैक्ट्री में बनेंगी. ये राइफलें इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) से खरीदी जाएंगी. यह सरकार द्वारा संचालित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) और कलाशिनिकोव कन्सर्न व रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के बीच सहयोग से बना वेंचर है जिसमें भारत का 50.5 फीसद और शेष दोनों क्रमश: 42 फीसद और 7.5 फीसद निवेश करेंगे.
यह पहला अवसर है जब रूस एके 203 के उत्पादन का अधिकार दूसरे देश का हस्तांतरित कर रहा है. यह राइफल भारत में निर्मित इंसास राइफल का स्थान लेगी, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस्तेमाल करने वालों ने बहुत सारी शिकायतें की हैं. यह भारतीय सेना के लिए ग्राउंड जीरो पर एक प्रभावी छोटे हथियार की अत्यावश्यक जरूरत को पूरा करेगी.
एके 203 एके श्रेणी की सबसे उन्नत राइफल है और माना जा रहा है कि दुनिया भर में अपनी तुलना वाले अन्य उत्पादों में बेहतर काम करती है. भारतीय सेना ने इसे एके 103 और एके-15 की जगह पसंद किया है. इसके भारतीय संस्करण राइफल का बट, हैंड गार्ड, मजल और पकड़ असली एके 203 से थोड़ा अलग होगी. इसका वजन करीब 4 किलो होगा और एके-203 से स्वचालित (ऑटोमेटिक) एवं अर्ध-स्वचालित (सेमी-ऑटोमेटिक) दोनों तरह से गोली चलाई जा सकती है. यह एक सेकेंड में 10 गोली चलाने में सक्षम है और इसकी प्रभावी मार करने की क्षमता करीब 500 मीटर है.