नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएसएसएस) ने महाराष्ट्र के दुग्ध उत्पादक किसानों द्वारा समन्वय सामिति की वर्किंग कमेटी के सदस्य, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के संस्थापक अध्य्क्ष, पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में किये गए दुग्ध बंद आंदोलन का समर्थन किया है.
किसान संगठन ने केंद्र सरकार से मिल्क पाउडर का आयात तुरंत बंद करने तथा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध उत्पादक किसान को प्रति किलो पर 30 रुपये का प्रोत्साहन देने, दूध से बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों पर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) खत्म करने के साथ-साथ दूध पाउडर की समर्थन मूल्य पर खरीद कर 30 हजार मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाने की मांग की है.
समन्वय समिति ने दूध का रेट पानी की बोतल से भी कम होने को किसानों का अपमान बताते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा राजू शेट्टी के नेतृत्व में किये गए पिछले आंदोलन के बाद पांच रुपये लीटर देने का आश्वासन दिया था, लेकिन किसानों को कोरोना काल में दूध का रेट 35 रुपये प्रति लीटर से घटकर 17 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. समन्वय समिति ने उम्मीद जताई है कि महाराष्ट्र सरकार के साथ दुग्ध उत्पादकों की बातचीत में प्रति लीटर पांच रुपये के अनुदान की किसानों की जायज मांग को स्वीकार कर लिया जाएगा.
समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा है कि केंद्र सरकार ने दूध पाउडर का आयात शुल्क 60 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया है और 10 हजार टन के आयात को भी हरी झंडी दे दी है, जिसके चलते दूध पाउडर का रेट 320 रुपये प्रति किलो से गिरकर 160 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, जबकि देश मे पहले ही डेढ़ लाख टन पाउडर का स्टॉक मौजूद है.
उन्होंने आगे कहा कि यह मुद्दा केवल महाराष्ट्र के किसानों का ही नहीं देशभर के किसानों से जुड़ा हुआ है. सरकारी आंकड़े के अनुसार आठ करोड़ दुग्ध उत्पादक किसानों द्वारा 195 मिलियन मीट्रिक टन दूध का उत्पादन किया जा रहा है.
250 किसान संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी दी है कि महाराष्ट्र के दुग्ध किसानों की मांगें नहीं यदि मानी गई तो नौ अगस्त को देशभर में होने वाले राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध आंदोलन में दुग्ध उत्पादक किसानों के मुद्दे को शामिल कर राष्ट्रव्यापी स्तर पर आंदोलन को तेज किया जाएगा.
किसान नेता वीएम सिंह ने यह भी कहा कि एक तरफ सरकार आत्मनिर्भरता को लेकर नारेबाजी कर रही है. दूसरी तरफ दुग्ध उत्पादक आत्मनिर्भर किसानों को पशु पालन छोड़ने के लिए मजबूर करने वाली नीतियां बनाई जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कुछ डेयरी संचालक कोरोना के नाम पर पशुपालकों से सस्ते में दूध खरीद रहे हैं, लेकिन उसी दूध का दाम उपभोक्ता के लिए बढ़ा देते हैं. किसानों को दुग्ध उत्पाद का सही दाम मिले यह सरकार की जिम्मेदारी है और सरकार इससे इनकार नहीं कर सकती. पुष्पेंद्र सिंह ने मांग की है कि दूध के लिए भी एमएसपी की व्यवस्था लागू की जानी चाहिये.
देश के कई राज्यों से लगातार यह खबरें सामने आई हैं कि दूध की कीमत उन्हें कम मिल रही है. कोरोना महामारी के बीच मांग में भी कमी आई थी जिसके बाद रेट कम हुए लेकिन उपभोक्ताओं तक दूध व अन्य उत्पाद पुराने रेट में ही पहुंचे. ऐसे में निश्चित तौर पर व्यापारी और बिचौलिए परिस्थिति का फायदा उठाते हुए किसानों से तो कम कीमत पर दूध खरीद रहे हैं, लेकिन आगे ज्यादा कीमत में बेच रहे हैं.