ETV Bharat / bharat

निजी लैबों में कोरोना संक्रमितों की जांच का खर्च छह से नौ हजार रुपये : एएचपीआई

भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संघ (एएचपीआई) का कहना है कि निजी लैबों में कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति की जांच का खर्च करीब छह से नौ हजार रुपये के बीच में बैठता है. एएचपीआई के महानिदेशक डॉ. ज्ञानी ने कहा कि उन्होंने भारत सरकार को निजी लैबों में संक्रमित व्यक्तियों की जांच कराने की सलाह दी है. पढ़ें पूरी खबर...

एएचपी निदेशक
एएचपी निदेशक
author img

By

Published : Mar 18, 2020, 9:15 PM IST

Updated : Mar 18, 2020, 9:37 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने निजी लैब से अपील की थी कि वे कोरोना वायरस के मामलों की जांच मुफ्त में करें. इसके एक दिन बाद ही भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संघ (एएचपीआई) ने कहा कि निजी लैबों में एक व्यक्ति के जांच का खर्च छह से नौ हजार रुपये तक आएगा और उसने सरकार को निजी लैबों में जांच कराने के लिए सलाह दी है.

एएचपीआई के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत को बताया, 'प्रत्येक परीक्षण में कच्चे माल की लागत लगभग 6000 से 9000 बैठती है, हालांकि हम लैब खोले हुए हैं. सरकारी और निजी लैब के मालिक दोनों वास्तविक लागत का आकलन करने के लिए एक साथ बैठ सकते हैं.'

ईटीवी भारत ने की एएचपीआई महानिदेशक से बात.

डॉ. ज्ञानी ने कहा, 'भारत में 1000 से अधिक निजी लैब हैं. इनमे से कई लैबों में कोरोना वायरस के परीक्षण की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. एएचपी पहले से ही कोरोना वायरस को लेकर सरकार को सहायता की पेशकेश कर चुकी हैं. हमने सरकार को निजी लैबों का प्रयोग करने के लिए कहा है.'

उन्होंने कहा, 'हमने सरकार को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए अलग से अस्पताल बनाने की सलाह दी है. बता दें कि भारत में अधिकतर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का प्रतिनिधित्व एएचपी करती है.'

पढ़ें : निजी लैब में भी होंगे COVID19 परीक्षण, FDA ने दी स्वीकृति

डॉ. ज्ञानी ने कहा कि कोविड-19 को नियत्रिंत करने के लिए भारत सरकार ने कई प्रभावी कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, 'आबादी के हिसाब से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में न के बराबर है, लेकिन हम यह नहीं जानते कि अब तक कितने मामले छिपे हुए हैं और हम यह भी नहीं कह रहे कि हम सामुदायिक प्रसारण के नजदीक पहुंच रहे हैं या नहीं.'

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार द्वारा भी इसके लिए त्वारित एहतियाती कदम उठाए गए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों और स्मारक स्थलों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य सरकार का यह कदम सराहनीय है.

डॉ. ज्ञानी ने कहा, 'अस्पताल में 10 से 15 बेडों को अलग करने से काम नहीं चलेगा. इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा. अब तक हम कोविड-19 और सामान्य मामलों को इलाज एक ही अस्पताल में कर रहे हैं. हमें एयर कंडीशनिंग से लेकर सभी प्रणालियों को कोरोना वायरस के लिए अलग करने की आवश्यकता है. दिल्ली में 37 सरकारी अस्पताल है.'

पढ़ें : कोरोना संक्रमण के दूसरे स्टेज में है भारत, 72 लैबों में हो रही जांच : आईसीएमआर

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और बिहार के उदाहरणों पर विचार किया जाना चाहिए, जहां राज्य सरकारों ने कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लिए एक अस्पताल और होटल अलग कर दिया है.

नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने निजी लैब से अपील की थी कि वे कोरोना वायरस के मामलों की जांच मुफ्त में करें. इसके एक दिन बाद ही भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संघ (एएचपीआई) ने कहा कि निजी लैबों में एक व्यक्ति के जांच का खर्च छह से नौ हजार रुपये तक आएगा और उसने सरकार को निजी लैबों में जांच कराने के लिए सलाह दी है.

एएचपीआई के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत को बताया, 'प्रत्येक परीक्षण में कच्चे माल की लागत लगभग 6000 से 9000 बैठती है, हालांकि हम लैब खोले हुए हैं. सरकारी और निजी लैब के मालिक दोनों वास्तविक लागत का आकलन करने के लिए एक साथ बैठ सकते हैं.'

ईटीवी भारत ने की एएचपीआई महानिदेशक से बात.

डॉ. ज्ञानी ने कहा, 'भारत में 1000 से अधिक निजी लैब हैं. इनमे से कई लैबों में कोरोना वायरस के परीक्षण की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. एएचपी पहले से ही कोरोना वायरस को लेकर सरकार को सहायता की पेशकेश कर चुकी हैं. हमने सरकार को निजी लैबों का प्रयोग करने के लिए कहा है.'

उन्होंने कहा, 'हमने सरकार को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए अलग से अस्पताल बनाने की सलाह दी है. बता दें कि भारत में अधिकतर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का प्रतिनिधित्व एएचपी करती है.'

पढ़ें : निजी लैब में भी होंगे COVID19 परीक्षण, FDA ने दी स्वीकृति

डॉ. ज्ञानी ने कहा कि कोविड-19 को नियत्रिंत करने के लिए भारत सरकार ने कई प्रभावी कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, 'आबादी के हिसाब से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में न के बराबर है, लेकिन हम यह नहीं जानते कि अब तक कितने मामले छिपे हुए हैं और हम यह भी नहीं कह रहे कि हम सामुदायिक प्रसारण के नजदीक पहुंच रहे हैं या नहीं.'

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार द्वारा भी इसके लिए त्वारित एहतियाती कदम उठाए गए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों और स्मारक स्थलों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य सरकार का यह कदम सराहनीय है.

डॉ. ज्ञानी ने कहा, 'अस्पताल में 10 से 15 बेडों को अलग करने से काम नहीं चलेगा. इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा. अब तक हम कोविड-19 और सामान्य मामलों को इलाज एक ही अस्पताल में कर रहे हैं. हमें एयर कंडीशनिंग से लेकर सभी प्रणालियों को कोरोना वायरस के लिए अलग करने की आवश्यकता है. दिल्ली में 37 सरकारी अस्पताल है.'

पढ़ें : कोरोना संक्रमण के दूसरे स्टेज में है भारत, 72 लैबों में हो रही जांच : आईसीएमआर

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और बिहार के उदाहरणों पर विचार किया जाना चाहिए, जहां राज्य सरकारों ने कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लिए एक अस्पताल और होटल अलग कर दिया है.

Last Updated : Mar 18, 2020, 9:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.