हरिद्वार : उत्तराखंड सरकार द्वारा हरकी पैड़ी पर गंगा स्कैप चैनल का शासनादेश निरस्त करने की घोषणा के बाद सभी की नजरें एनजीटी के उस आदेश पर टिकी हैं, जिसके कारण साल 2016 में ये अध्यादेश लाया गया था. इस आदेश के निरस्त होने के बाद नया कानून जब बनेगा, उसके बाद गंगा किनारे बने भवन होटल और धर्मशालाओं या फिर निर्माणधीन कार्यों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इसको लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
आपको बता दें कि एनजीटी यानि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) कोई भी आदेश जनहित के लिए जारी करती है. गंगा के स्वरूप को बनाये रखने के लिए ही एनजीटी ने गंगा के दोनों तरफ 200 मीटर के दायरे में नए निर्माण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन साल 2016 में हरीश रावत सरकार इस आदेश से बचने के लिए हरकी पैड़ी पर बहने वाली धारा को लेकर स्कैप चैनल वाला अध्यादेश लेकर आई.
अब बढ़ते विरोध प्रदर्शन और मांगों के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने 22 नवंबर 2020 को शासनादेश रद्द करने की घोषणा कर दी. लेकिन अब सवाल उठने लगे हैं कि इस अध्यादेश को निरस्त करने का आदेश जारी करने के बाद एनजीटी के उस आदेश का क्या होगा? ये भी देखना होगा कि उन भवनों का क्या होगा, जो कई दशकों से गंगा किनारे स्थित हैं. फिलहाल, यह अध्यादेश अगर निरस्त हुआ तो एनजीटी का चाबुक गंगा किनारे चल रहे नए निर्माणों पर चलना तय है.
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गंगा स्कैप चैनल शासनादेश को रद्द करने का मुख्य कारण मां गंगा से जुड़ी त्रिवेंद्र सरकार और लाखों लोगों की आस्था है. लंबे समय से शासनादेश निरस्त करने की मांग की जा रही थी. लेकिन कयास लगाए जा रहे थे कि उत्तराखंड सरकार इस शासनादेश को निरस्त नहीं करेगी, क्योंकि होटल अलकनंदा (जिसे यूपी द्वारा अब उत्तराखंड सरकार को सौंपा जा चुका है) के पास उत्तर प्रदेश सरकार का गेस्ट हाउस बन रहा है. यदि त्रिवेंद्र सरकार इस शासनादेश को निरस्त करती तो उसका कार्य रुक जाएगा. फिलहाल भी उस गेस्ट हाउस का कार्य चल रहा है.
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नोटिफिकेशन के बाद ही स्पष्ट होगा
गंगा प्रेमी व कानूनी जानकार बीडी जोशी बताते हैं कि एनजीटी द्वारा लिए गए निर्णय को बदलने के लिए ये शासनादेश लाया गया था. अब शासनादेश को हटा दिया गया है तो देखने वाली बात होगी की गंगा किनारे चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगती है या नहीं. क्योंकि एनजीटी तब से लेकर अपने उस नियम पर डटी हुई है. हालांकि, अभी उत्तराखंड सरकार द्वारा नोटिफिकेशन नहीं आया है. इसलिए यह कहना स्पष्ट नहीं होगा आगे क्या होगा, लेकिन यह साफ कहा जा सकता है कि अब गंगा किनारे कोई भी निर्माण कार्य नहीं किए जा सकते हैं.
वहीं, मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद का कहना है कि शासनादेश निरस्त किया गया है. इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि शासनादेश गलत था. एनजीटी नियम विरुद्ध जितने भी कार्य हुए हैं उन सभी निर्माणों पर खतरा मंडराएगा. हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा किनारे गेस्ट हाउस बना रही है, जिसका कोई औचित्य नहीं है. अब सरकार उसे बचाने के लिए नए नोटिफिकेशन में जोड़-तोड़ करती है, यह देखने वाली बात होगी.
क्या है पूरा विवाद?
दिसंबर 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत ने एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि, 'सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी तक, वहां से हरकी पैड़ी होते हुए डामकोठी तक और डामकोठी के बाद सतीघाट कनखल से होते हुए दक्ष मंदिर तक बहने वाले भाग को स्कैप चैनल माना जाता है.' इसका मतलब ये कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हरकी पैड़ी से पहले और बाद बहने वाली करीब 3 किलोमीटर गंगा नदी का नाम बदलकर 'स्कैप चैनल' कर दिया था.
2017 में हरीश रावत संग कांग्रेस को प्रचंड हार का सामना करना पड़ा. हरीश रावत कुमाऊं से किच्चा और गढ़वाल से हरिद्वार ग्रामीण सीट पर बुरी तरह पराजित हुए. अब जब 2022 का चुनाव सामने है तो हरीश रावत को अपने 'पुराने पाप' का बोध हुआ और उन्होंने गंगा मैय्या ये माफी मांगते हुये दोबारा सत्ता में आने पर पहला काम गंगा को उनके पुराने स्वरूप पर लौटाने की बात कही, लेकिन उससे पहले ही 22 नवंबर 2020 को त्रिवेंद्र सरकार ने घोषणा कर दी कि पुराने शासनादेश को निरस्त कर दिया गया है.
क्या है स्कैप (ESCAPE) चैनल?
आम भाषा में स्कैप चैनल का मतलब होता है वो रास्ता (या चैनल) जो प्रमुख गंगा नदी और नहर को जोड़ता हो. इसे नहर भी कहा जा सकता है.