नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच शनिवार को होने वाली अनौपचारिक शिखर वार्ता पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं. दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के नेता भारतीय संसदीय चुनावों के बाद इस साल तीसरी बार मिलेंगे.
इन सब के बीच बीजिंग का पाकिस्तान के साथ संयुक्त बयान सामने आया है, जिसमें उसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग की है.
बता दें कि इस बयान ने भारत में एक बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है.
इस संबंध में पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उनका मानना है कि चीन, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को खुश करने की कोशिश कर रहा है.
पूर्व राजदूत ने दावा किया है कि चीन ने अपनी पुरानी स्थिति को दोहराया है.
गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान का हर स्थिति का सहयोगी है. इसकी मुख्य वजह यह है कि बीजिंग का पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश है.
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गौरतलब है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है. और यह क्षेत्र बीजिंग के लिए मध्य पूर्व और यूरेशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है.
सबसे अहम बात यह कि चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
2018 में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 95 डॉलर बिलियन को पार कर गया, जबकि चीन लगातार अधिशेष में बना हुआ है, जिससे व्यापार असंतुलन भारत के लिए बहुत चिंता का विषय है.