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भारत-पाक, दोनों को खुश करना चाहता है चीन : पूर्व राजनयिक

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर आने वाले हैं. पीएम मोदी के साथ प्रस्तावित उनकी बैठक का इंतजार पूरा देश कर रहा है. इसी बीच बीजिंग का पाक के साथ संयुक्त बयान सामने आया है, जिससे देश में हंगामा खड़ा हो गया है.

पूर्व राजनयिक ने ईटीवी भारत से की बातचीत
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Published : Oct 10, 2019, 11:00 PM IST

नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच शनिवार को होने वाली अनौपचारिक शिखर वार्ता पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं. दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के नेता भारतीय संसदीय चुनावों के बाद इस साल तीसरी बार मिलेंगे.

इन सब के बीच बीजिंग का पाकिस्तान के साथ संयुक्त बयान सामने आया है, जिसमें उसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग की है.

बता दें कि इस बयान ने भारत में एक बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है.

इस संबंध में पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उनका मानना है कि चीन, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को खुश करने की कोशिश कर रहा है.

पूर्व राजदूत ने दावा किया है कि चीन ने अपनी पुरानी स्थिति को दोहराया है.

गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान का हर स्थिति का सहयोगी है. इसकी मुख्य वजह यह है कि बीजिंग का पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश है.

पढ़ें : जिनपिंग-मोदी वार्ता के लिए कड़ी निगरानी के बीच तैयारियां अंतिम दौर में

गौरतलब है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है. और यह क्षेत्र बीजिंग के लिए मध्य पूर्व और यूरेशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है.

सबसे अहम बात यह कि चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

2018 में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 95 डॉलर बिलियन को पार कर गया, जबकि चीन लगातार अधिशेष में बना हुआ है, जिससे व्यापार असंतुलन भारत के लिए बहुत चिंता का विषय है.

नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच शनिवार को होने वाली अनौपचारिक शिखर वार्ता पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं. दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के नेता भारतीय संसदीय चुनावों के बाद इस साल तीसरी बार मिलेंगे.

इन सब के बीच बीजिंग का पाकिस्तान के साथ संयुक्त बयान सामने आया है, जिसमें उसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग की है.

बता दें कि इस बयान ने भारत में एक बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है.

इस संबंध में पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उनका मानना है कि चीन, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को खुश करने की कोशिश कर रहा है.

पूर्व राजदूत ने दावा किया है कि चीन ने अपनी पुरानी स्थिति को दोहराया है.

गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान का हर स्थिति का सहयोगी है. इसकी मुख्य वजह यह है कि बीजिंग का पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश है.

पढ़ें : जिनपिंग-मोदी वार्ता के लिए कड़ी निगरानी के बीच तैयारियां अंतिम दौर में

गौरतलब है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है. और यह क्षेत्र बीजिंग के लिए मध्य पूर्व और यूरेशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है.

सबसे अहम बात यह कि चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

2018 में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 95 डॉलर बिलियन को पार कर गया, जबकि चीन लगातार अधिशेष में बना हुआ है, जिससे व्यापार असंतुलन भारत के लिए बहुत चिंता का विषय है.

Intro:New Delhi: Eyes of the world will be glued on the informal summit between PM Modi and Chinese President Xi Jingping on Saturday. Two biggest leaders of the two largest populated countries of the world will meet for the third time this year since Indian parliamentary elections.


Body:Amid all this, Beijing's joint statement with Pakistan in which it sought for solution of the Kashmir issue through UN charter has created a big uproar in India.

To this, former diplomat Achal Malhotra believes that China is trying to appease both India and Pakistan. On the joint statement, the former envoy claimed China has reiterated its old position.

He then talked about how their foreign office dropped references of the UN Charter and UN resolution just to create right kind of atmospherics on the eve of his visit to India.






Conclusion:China is Pakistan's all weather ally. Beijing has more than $60 bn investment in Pakistan. The controversial China Pakistan Economic Corridor which passes through Pakistan Occupied Kashmir is a gateway for Beijing to middle east and Eurasia region.

Meanwhile, China is India's second largest trading partner. In 2018, the bilateral trade between both countries crossed $95 bn mark. While China continues to remain in surplus, making the trade imbalance a matter of great concern for India.
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