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असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध करेगा ABSU

ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने सरकार द्वारा असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के फैसले के विरोध की बात कही है. एबीएसयू का कहना है कि सरकार जिन समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करना चाह रही है, वे मानदंड को पूरा नहीं करते. पढ़ें पूरी खबर...

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एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोरो
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Published : Dec 5, 2019, 8:52 PM IST

नई दिल्ली : असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ प्रभावशाली ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने मोर्चा खोल दिया है.

एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोरो ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उनका संगठन छह असम समुदायों (कोच राजभोंगशी, ताई अहोम, चुटिया, मटाक, मोरन और टी ट्राईब ) को सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले कदम का विरोध करेगा.

बोरो ने कहा, 'इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की जरूरत नहीं है. वे किसी चीज से वंचित नहीं हैं. वास्तव में, वे समाज की मुख्यधारा में आते हैं.

कोच राजभोंगशी के नेता त्रिलोक्य रे ने की ईटीवी भारत से बात चीत

उन्होंने कहा कि अगर इन छः समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला तो पहले से शामिल अनुसूचित जनजाति समुदायों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.

बता दें कि जनवरी में, भाजपा सरकार ने असम के छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पेश किया था. इस विधेयक में इन छह समुदायों को एसटी कैटेगरी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था.

पढ़ें-राष्ट्रपति कोविंद की राज्यों से अपील - आयुष्मान भारत कार्यक्रम यथाशीघ्र लागू करें

लेकिन उच्च सदन में भाजपा सदस्यों के विरोध और संख्या में कमी के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका.

इस साल की शुरुआत में, बीजेपी की अगुवाई वाली असम सरकार ने इन छह समुदायों की भाषा, संस्कृति और साहित्य को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया है.

हालांकि राज्य मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाले मंत्री समूह ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौपी है.

दूसरी तरफ कोच राजभोंगशी के नेता त्रिलोक्य रे ने कहा कि कोच राजभोंगशी और पांच अन्य समुदायों को एसटी का दर्जा नहीं देने की यह राजनीतिक साजिश है.

रे ने कहा, 'असम विधानसभा में बीपीएफ के 12 विधायक हैं और एक राज्यसभा सांसद हैं . वे भाजपा सरकार के साझेदार हैं. अगर सरकार हमें जल्द से जल्द अनसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देती है, तो उन्हे इसका खामियाजा 2021 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.'

पढ़ें-अब उन्नाव में जिंदा जलाई गई दुष्कर्म पीड़िता

दिलचस्प यह है कि असम के ताई अहोम समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए असम के विद्रोही संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने मांग की है.

अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद इन समुदायों को सरकारी योजनाओं से विशेष लाभ के अलावा शिक्षा, छात्रवृत्ति, नौकरियों में आरक्षण भी मिलेगा.

अनुसूचित जनजाति की मांग करने वाले समुदायों ने यह भी दावा किया कि वे अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लिए आवश्यक सभी मानदंडों को पूरा करते हैं.

राजभोंगशी के नेता रे ने कहा, 'हम एसटी का दर्जा पाने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करते हैं.'

अनुसूचित जनजाति के रूप में एक समुदाय के विनिर्देशन के लिए वर्तमान में दिए गए मानदंड 1. आदिम लक्षणों के संकेत हैं. 2. विशिष्ट संस्कृति, 3. भौगोलिक अलगाव, 4. बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क में शर्म और 5. पिछड़ापन, जैसे सम्याओं से जूझ रहे हैं.

हालांकि, एबीएसयू के साथ-साथ, 19 एसटी समुदाय ने इन छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने का विरोध किया है.

नई दिल्ली : असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ प्रभावशाली ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने मोर्चा खोल दिया है.

एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोरो ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उनका संगठन छह असम समुदायों (कोच राजभोंगशी, ताई अहोम, चुटिया, मटाक, मोरन और टी ट्राईब ) को सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले कदम का विरोध करेगा.

बोरो ने कहा, 'इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की जरूरत नहीं है. वे किसी चीज से वंचित नहीं हैं. वास्तव में, वे समाज की मुख्यधारा में आते हैं.

कोच राजभोंगशी के नेता त्रिलोक्य रे ने की ईटीवी भारत से बात चीत

उन्होंने कहा कि अगर इन छः समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला तो पहले से शामिल अनुसूचित जनजाति समुदायों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.

बता दें कि जनवरी में, भाजपा सरकार ने असम के छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पेश किया था. इस विधेयक में इन छह समुदायों को एसटी कैटेगरी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था.

पढ़ें-राष्ट्रपति कोविंद की राज्यों से अपील - आयुष्मान भारत कार्यक्रम यथाशीघ्र लागू करें

लेकिन उच्च सदन में भाजपा सदस्यों के विरोध और संख्या में कमी के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका.

इस साल की शुरुआत में, बीजेपी की अगुवाई वाली असम सरकार ने इन छह समुदायों की भाषा, संस्कृति और साहित्य को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया है.

हालांकि राज्य मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाले मंत्री समूह ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौपी है.

दूसरी तरफ कोच राजभोंगशी के नेता त्रिलोक्य रे ने कहा कि कोच राजभोंगशी और पांच अन्य समुदायों को एसटी का दर्जा नहीं देने की यह राजनीतिक साजिश है.

रे ने कहा, 'असम विधानसभा में बीपीएफ के 12 विधायक हैं और एक राज्यसभा सांसद हैं . वे भाजपा सरकार के साझेदार हैं. अगर सरकार हमें जल्द से जल्द अनसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देती है, तो उन्हे इसका खामियाजा 2021 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.'

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दिलचस्प यह है कि असम के ताई अहोम समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए असम के विद्रोही संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने मांग की है.

अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद इन समुदायों को सरकारी योजनाओं से विशेष लाभ के अलावा शिक्षा, छात्रवृत्ति, नौकरियों में आरक्षण भी मिलेगा.

अनुसूचित जनजाति की मांग करने वाले समुदायों ने यह भी दावा किया कि वे अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लिए आवश्यक सभी मानदंडों को पूरा करते हैं.

राजभोंगशी के नेता रे ने कहा, 'हम एसटी का दर्जा पाने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करते हैं.'

अनुसूचित जनजाति के रूप में एक समुदाय के विनिर्देशन के लिए वर्तमान में दिए गए मानदंड 1. आदिम लक्षणों के संकेत हैं. 2. विशिष्ट संस्कृति, 3. भौगोलिक अलगाव, 4. बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क में शर्म और 5. पिछड़ापन, जैसे सम्याओं से जूझ रहे हैं.

हालांकि, एबीएसयू के साथ-साथ, 19 एसटी समुदाय ने इन छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने का विरोध किया है.

Intro:New Delhi: Against Centre's reported move of giving scheduled tribe (ST) status to six communities of Assam, the influential All Bodo Students Union (ABSU) has vouched to oppose such move.


Body:Taking to ETV Bharat, Pramod Boro, president of ABSU said that his organisation will oppose such move of giving ST tag to six Assam communities including Koch Rajbongshi, Tai Ahom, Chutia, Matak, Moran and Tea Tribes.

"These communities does not need ST. They are not depriving of anything. In fact, they're in the mainstream of the society," said Boro.

He said that the move of giving ST status to these six communities, will destroy the identity of the already existing ST communities in the state.

In January, the BJP government had introduced the Constitution (Scheduled Tribes) Order (Amendment) Bill, 2019 in the floor of the Rajya Sabha to grant ST status to six communities of Assam. The Bill proposed the inclusion of these six communities as ST.

But the Bill was not passed due to the protest and lack of numbers of BJP members in the Upper House .

In fact, getting ST status is a long pending demand of the six communities.

Earlier this year, BJP led Assam Government has constituted a Group of Ministers (GoM) to expedite the process of giving safeguard to the language, culture and literature of these six communities. However the GoM minister headed by state minister Himanta Biswa Sharma is yet to submit its report.

"This is a political conspiracy of not giving ST status to Koch Rajbonghshi and five other communities," said Koch Rajbongshi leader Trailokya Ray.

He accused the Bodoland People Front (BPF), an ally of the ruling BJP Governmnet in Assam in 'politicizing' the matter.

"BPF has 12 MLAs in Assam Assembly and one Rajya Sabha MP...they are the partner of the BJP government...if Government can't give us ST at the ealrierst, they will face music ahead of the 2021 Assembly election," said Ray.

Interestingly, granting ST status to Tai Ahom community of Assam is also a demand of the pro-talk faction of United Liberation Front of Assam (Ulfa), a rebel outfit, currently in talks with the government.

The ST status will offer education, scholarships, reservation in jobs, besides special benefits from government schemes.



Conclusion:The communities demanding ST also claimed that they fulfill all the criteria required to get ST.

"We fulfill all the criteria for getting ST status..." said Rajbongshi leader Ray.

The criteria presently followed for specification of a community as a Scheduled Tribe are 1. indications of a primitive traits. 2. distinctive culture. 3. geographical isolation. 4. shyness of contact with the community at large and 5. backwardness.

However, along with ABSU, as many as 19 ST communities have been opposing the ST status to the six communities saying they didn't fulfill the criteria.

end.

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