नई दिल्ली: 21 मई का दिन कहने को तो साल के बाकी दिनों की तरह 24 घंटे का एक सामान्य दिन ही है, लेकिन 1991 को इस दिन की एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. लिट्टे उग्रवादियों ने इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान ले ली थी. श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज तमिल विद्रोहियों ने तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव पर आत्मघाती हमला किया.
लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे राजीव गांधी के पास एक महिला फूलों का हार लेकर पहुंची और उनके बहुत करीब जाकर अपने शरीर को बम से उड़ा दिया. धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों के मौके पर ही परखच्चे उड़ गए.
राजीव का व्यक्तित्व
एक बार की बात है, राजीव से पूछा गया था कि आप किस रूप में याद किए जाना पसंद करेंगे तो उनका जवाब था, 'एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो भारत को 21वीं सदी में लेकर गया और जिसने उसके माथे से विकासशील देश का लेबल हटाया.'
बता दें, राजीव गांधी ने संचार क्रान्ति लाने समेत कई ऐसे कदम उठाए जो भारत को 21वीं सदी में लेकर गए.
राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी हमेशा उन्हें राजनीति में सक्रीय देखना चाहती थीं. यही नहीं इंदिरा की पहली पसंद भी राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर राजीव ही थे.
राजीव गांधी की बेसिक पढ़ाई देहरादून के दून स्कूल से हुई. इसके बाद वे उच्चस्तरीय पढ़ाई के लिए कैंब्रेज यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग करने गए. कहा जाता है कि साइंस में उनकी रुची थी. राजीव गांधी कमर्शियल पायलट के तौर पर कई वर्षों तक कार्य किए. लोगों का कहना है कि राजीव गांधी पायलट की नौकरी से खुश थे. वो राजनीति में नहीं आना चाहते थे.
राजीव के बारे में लोगों का कहना है कि वो राजनीति में आने को लेकर अनिच्छुक थे, लेकिन 1980 में भाई संजय की मौत और 1984 में मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हालात बदल गए. इस तरह हुई राजीव की राजनीति में एंट्री.
संजय गांधी के निधन के बाद 1981 में राजीव गांधी सांसद चुने गए. 1983 में कांग्रेस महासचिव बने और 1984 में कांग्रेस अध्यक्ष.
राजीव बड़े ही विनम्र और उदार स्वभाव के थे. एक बार वे किसी काम के लिए राम प्रधान को घर बुलाए. रात ज्यादा हो गई काम खत्म होते हुए तो क्या था राजीव खुद उन्हें गाड़ी में बैठा कर घर छोड़ के आए. हमेशा सभा और रैलियों में भी वो सुरक्षा घेरे से बाहर आकर लोगों से मिलने लग जाते थे.
राजीव का राजनीतिक जीवन बहुत अच्छा नहीं रहा. उन पर कई तरह के दाग भी लगते रहे. बोफोर्स मामले में आज तक उनका नाम उछाला जाता है. पारिवारिक जीवन की बात करें तो उन्होंने प्रेम विवाह किया था. सोनिया गांधी से शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए राहुल और प्रियंका.