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कश्मीर में गतिरोध : अनुच्छेद 370 की समाप्ति के 85 दिन बाद भी प्री-पेड मोबाइल सेवाएं बाधित - कश्मीर में गतिरोध

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के लगभग तीन माह बीतने को हैं और कश्मीर के हालात अब भी सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं. एक ओर जहां कई नेता अब भी नजरबंद हैं, वहीं कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री को व्यापार और करोबार में 10 हजार करोड़ तक का घाटा लग चुका है. इसी क्रम में प्रीपेड मोबाइल सेवाएं अब भी बाधित हैं.

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Published : Oct 28, 2019, 10:02 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से घाटी में उत्पन्न गतिरोध तीन माह बाद भी कायम है. संचार सेवाओं की बात करें तो पोस्ट-पेड वॉयस कॉल बहाल होने के 15 दिन बाद भी राज्य में प्री-पेड मोबाइल कनेक्शनों के फिर शुरू होने के कोई संकेत नहीं हैं, सोमवार को लगातार 85 वें दिन घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा.

सच पूछें तो कश्मीर की अवाम को अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्री-पेड मोबाइल सेवा न शुरू होने से लोगों को असुविधा हो रही है. वहीं ठप यातायात और कारोबार से अब तक जम्मू-कश्मीर को 10000 करोड़ का नुकसान हो चुका है.

अनुच्छेद 370 खत्म होने के 85 दिन बाद भी कश्मीर के हालात असामान्य.

गौरतलब है कि कश्मीर में कम से कम 25 लाख प्री-पेड सेल फोन उपभोक्ता हैं. स्कूल की शिक्षिका आसिया फिरदौस ने इसे भेदभावपूर्ण निर्णय करार देते हुए कहा कि अगर पोस्ट-पेड मोबाइल सेवाओं की बहाली में कोई समस्या नहीं है, तो प्री-पेड सर्विस सुरक्षा का खतरा कैसे पैदा करती है?

आपके बता दें कि केंद्र ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने से एक दिन पहले घाटी में संचार सेवाओं पर पाबंदी लागू कर दी थी.

एसएमएस सुविधा के बिना पोस्ट-पेड सेल फोन को लैंडलाइन खोलने के दो महीने बाद सक्रिय किया गया था.

कई लोगों का मानना ​​है कि प्री-पेड फोन और इंटरनेट सेवाओं के फिर से शुरू होने से व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद मिलेगी.

एक ठेकेदार अब्दुल रहीम ने कहा, 'मैं अपने श्रमिकों से बात नहीं कर पा रहा हूं, क्योंकि मेरे पास प्री-पेड फोन कनेक्शन है. मैं अब पोस्ट-पेड कनेक्शन लेने की सोच रहा हूं.'

उन्होंने कहा, 'मेरे जैसे ठेकेदारों को ऑनलाइन टेंडर दाखिल करने के लिए डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में जाना पड़ता है.'

हालांकि, प्री-पेड ग्राहकों को उम्मीद है कि उनका लंबा इंतजार जल्द ही खत्म हो जाएगा. संचार व्यवस्था पर रोक लगाने की वजह से भी कश्मीर के लोगों में फंसे होने की भावना को बढ़ा दिया है.

लोगों का मानना ​​है कि मोबाइल संचार और इंटरनेट सुविधाओं पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से उठाने से घाटी में सामान्य स्थिति प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी.

सरकार द्वारा स्कूलों और कॉलेजों को खोलने और कश्मीर में पर्यटकों को लुभाने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले जारी यात्रा ए़डवाइजरी को वापस लेने के उपायों का कुछ खास असर नहीं पड़ा है.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से घाटी में उत्पन्न गतिरोध तीन माह बाद भी कायम है. संचार सेवाओं की बात करें तो पोस्ट-पेड वॉयस कॉल बहाल होने के 15 दिन बाद भी राज्य में प्री-पेड मोबाइल कनेक्शनों के फिर शुरू होने के कोई संकेत नहीं हैं, सोमवार को लगातार 85 वें दिन घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा.

सच पूछें तो कश्मीर की अवाम को अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्री-पेड मोबाइल सेवा न शुरू होने से लोगों को असुविधा हो रही है. वहीं ठप यातायात और कारोबार से अब तक जम्मू-कश्मीर को 10000 करोड़ का नुकसान हो चुका है.

अनुच्छेद 370 खत्म होने के 85 दिन बाद भी कश्मीर के हालात असामान्य.

गौरतलब है कि कश्मीर में कम से कम 25 लाख प्री-पेड सेल फोन उपभोक्ता हैं. स्कूल की शिक्षिका आसिया फिरदौस ने इसे भेदभावपूर्ण निर्णय करार देते हुए कहा कि अगर पोस्ट-पेड मोबाइल सेवाओं की बहाली में कोई समस्या नहीं है, तो प्री-पेड सर्विस सुरक्षा का खतरा कैसे पैदा करती है?

आपके बता दें कि केंद्र ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने से एक दिन पहले घाटी में संचार सेवाओं पर पाबंदी लागू कर दी थी.

एसएमएस सुविधा के बिना पोस्ट-पेड सेल फोन को लैंडलाइन खोलने के दो महीने बाद सक्रिय किया गया था.

कई लोगों का मानना ​​है कि प्री-पेड फोन और इंटरनेट सेवाओं के फिर से शुरू होने से व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद मिलेगी.

एक ठेकेदार अब्दुल रहीम ने कहा, 'मैं अपने श्रमिकों से बात नहीं कर पा रहा हूं, क्योंकि मेरे पास प्री-पेड फोन कनेक्शन है. मैं अब पोस्ट-पेड कनेक्शन लेने की सोच रहा हूं.'

उन्होंने कहा, 'मेरे जैसे ठेकेदारों को ऑनलाइन टेंडर दाखिल करने के लिए डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में जाना पड़ता है.'

हालांकि, प्री-पेड ग्राहकों को उम्मीद है कि उनका लंबा इंतजार जल्द ही खत्म हो जाएगा. संचार व्यवस्था पर रोक लगाने की वजह से भी कश्मीर के लोगों में फंसे होने की भावना को बढ़ा दिया है.

लोगों का मानना ​​है कि मोबाइल संचार और इंटरनेट सुविधाओं पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से उठाने से घाटी में सामान्य स्थिति प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी.

सरकार द्वारा स्कूलों और कॉलेजों को खोलने और कश्मीर में पर्यटकों को लुभाने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले जारी यात्रा ए़डवाइजरी को वापस लेने के उपायों का कुछ खास असर नहीं पड़ा है.

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Kashmir lockdown: Pre-paid mobile services barred for 85th day

Srinagar, Oct 28 (IANS) A fortnight after post-paid voice calls were restored in Kashmir, there is still no sign of the resumption of pre-paid mobile connections, as normal life remained affected in the Valley for the 85th consecutive day on Monday.



There are at least 25 lakh pre-paid cell phone users in Kashmir.



"This is discriminatory, if there is no problem with the restoration of post-paid mobile services, how does pre-paid service pose a security threat?" asked Asiya Firdous, a school teacher.



The Centre imposed a communication blockade in the Valley, a day before Article 370 was scrapped on August 5.



Post-paid cell phones without SMS facility were activated two months after landlines were opened.



Many people believe that the resumption of pre-paid phone and Internet services will facilitate business activity and help in restoring normalcy.



"I am not able to contact my workers because I have a pre-paid phone connection," said Abdul Rahim, a contractor. "I am thinking of taking a post-paid connection now"



"Contractors like me have to go to the deputy commissioner's office for filing our tenders on line," he said.



However, pre-paid customers are hopeful that their long wait will come to an end soon.



The communication blockade has also heightened the feeling of being under siege in Kashmir after August 5.



Measures by the government like opening of schools and colleges and withdrawal of the travel advisory issued before the removal of Article 370 to woo tourists back to Kashmir have not had the desired effect.



People believe that complete lifting of restrictions on mobile communications and Internet facilities will go a long way in achieving a semblance of normalcy in the Valley.


Conclusion:
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