ETV Bharat / bharat

भारत में 62.5 फीसदी बाल मजदूर कर रहे हैं खेतों में कामः क्राई

भारत में बाल मजदूरी एक बेहद गंभीर समस्या है. बच्चों के कल्याण के लिए कार्यकारी एक गैर सरकारी संगठन के ताजा सर्वेक्षण में एक रिपोर्ट सामने आई है. जानें बाल मजदूरी को लेकर रिपोर्ट में हुए खुलासों के बारे में........

कॉन्सेप्ट इमेज
author img

By

Published : Jun 13, 2019, 9:09 AM IST

नई दिल्ली: देश में बाल मजदूरी में फंसे बच्चों में से अधिकतर खेती या उससे जुड़े कामों में लगे हैं. बाल कल्याण पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, खेतों में मजदूरी करने वाले ज़्यादातर बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते.

चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के 62.5 फीसदी बच्चे खेती या इससे जुड़े अन्य व्यवसायों में काम करते हैं.

रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के हवाले से कहा गया कि बाल मजदूरी करने वाले हर 10 में से 7 बच्चे खेती का काम करते हैं. भारत में 60 फीसदी से अधिक बच्चे खेती या इससे अन्य गतिविधियों में काम करते हैं.

पढ़ें- सरकार की नया श्रम कानून लाने की योजना, 44 पुराने कानूनों को 4 श्रेणियों में मिलाया जाएगा

कई राज्यों में खेती में लगे बाल मजदूरों का औसत राष्ट्रीय औसत से अधिक है. हिमाचल प्रदेश में खेती करने वाले बच्चों की संख्या बहुत अधिक 86.33 फीसदी है. छत्तीसगढ़ और नागालैण्ड में यह क्रमशः 85.09 फीसदी एवं 80.14 फीसदी है. बड़े राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश में यह संख्या 78.36 फीसदी, राजस्थान में 74.69 फीसदी, बिहार में 72.35 फीसदी, उड़ीसा में 69 फीसदी और आसाम में 62.42 फीसदी है.

क्राई की निदेशक प्रीति महारा ने कहा, 'बाल मजदूरी के कानूनों के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चे स्कूल के बाद ही अपने परिवार के कारोबार में मदद कर सकते हैं. बच्चों के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो खेतों में मजदूरी करना बच्चों के लिए खतरनाक है.

इस क्षेत्र की अपनी चुनौतियां हैं जैसे कीटनाशकों का छिड़काव, खेती के उपकरणों के इस्तेमाल आदि से बच्चों के विकास में बाधा आ सकती है, उनके शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है.'

नई दिल्ली: देश में बाल मजदूरी में फंसे बच्चों में से अधिकतर खेती या उससे जुड़े कामों में लगे हैं. बाल कल्याण पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, खेतों में मजदूरी करने वाले ज़्यादातर बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते.

चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के 62.5 फीसदी बच्चे खेती या इससे जुड़े अन्य व्यवसायों में काम करते हैं.

रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के हवाले से कहा गया कि बाल मजदूरी करने वाले हर 10 में से 7 बच्चे खेती का काम करते हैं. भारत में 60 फीसदी से अधिक बच्चे खेती या इससे अन्य गतिविधियों में काम करते हैं.

पढ़ें- सरकार की नया श्रम कानून लाने की योजना, 44 पुराने कानूनों को 4 श्रेणियों में मिलाया जाएगा

कई राज्यों में खेती में लगे बाल मजदूरों का औसत राष्ट्रीय औसत से अधिक है. हिमाचल प्रदेश में खेती करने वाले बच्चों की संख्या बहुत अधिक 86.33 फीसदी है. छत्तीसगढ़ और नागालैण्ड में यह क्रमशः 85.09 फीसदी एवं 80.14 फीसदी है. बड़े राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश में यह संख्या 78.36 फीसदी, राजस्थान में 74.69 फीसदी, बिहार में 72.35 फीसदी, उड़ीसा में 69 फीसदी और आसाम में 62.42 फीसदी है.

क्राई की निदेशक प्रीति महारा ने कहा, 'बाल मजदूरी के कानूनों के अनुसार 14 साल से कम उम्र के बच्चे स्कूल के बाद ही अपने परिवार के कारोबार में मदद कर सकते हैं. बच्चों के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो खेतों में मजदूरी करना बच्चों के लिए खतरनाक है.

इस क्षेत्र की अपनी चुनौतियां हैं जैसे कीटनाशकों का छिड़काव, खेती के उपकरणों के इस्तेमाल आदि से बच्चों के विकास में बाधा आ सकती है, उनके शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है.'

Intro:Body:Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.