ETV Bharat / bharat

शिक्षक दिवस : अच्छा काम करने वाले शिक्षकों का सम्मान

author img

By

Published : Sep 5, 2020, 6:33 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 6:40 PM IST

शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशभर के 47 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है. कोरोना संकट के मद्देनजर यह पुरस्कार समारोह वर्चुअल तरीके से आयोजित किया गया. इस दौरान राष्ट्रपति ने शिक्षक के रूप में महिलाओं की निभाई गई भूमिका की सराहना की. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर..

47 teachers honored with National Award
47 शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस के मौके पर पहली बार वर्चुअल तरीके से आयोजित पुरस्कार समारोह में देशभर के 47 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं.

राष्ट्रपति ने शिक्षक के रूप में महिलाओं की निभाई गई भूमिका की सराहना की. राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वह एक दूरदर्शी, राजनेता और इससे भी बढ़कर एक असाधारण शिक्षक थे. शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला उनका जन्मोत्सव राष्ट्र के विकास में उनके योगदान का महज प्रतीक है और पूरे शिक्षक समुदाय के लिए सम्मान की निशानी भी है.

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक राष्ट्र के सच्चे निर्माता हैं, जो बच्चों के चरित्र और ज्ञान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

राष्ट्रपति कोविंद ने कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमारे शिक्षक इस तकनीक का सहारा बच्चों तक अपनी पहुंच बनाने में ले रहे हैं. सभी शिक्षकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में अपने कौशल को बढ़ाएं और इसे अपडेट करें ताकि शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके और छात्रों को भी नई तकनीक में निपुण बनाया जा सके.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने अभिभावकों के लिए शिक्षकों के साथ जुड़ना और बच्चों को सीखने के नए क्षेत्रों में रुचि जगाना अनिवार्य बना दिया है. समाज में डिजिटल सुविधा की गैर-बराबरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि आदिवासी और दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चे भी लाभान्वित हो सकें.

यह भी पढ़ें- सेना को सलाम : तीन चीनी नागरिकों को बचाया, खाना भी खिलाया

राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा, शुरू की गई नई शिक्षा नीति हमारे बच्चों को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करने का एक प्रयास है और इसे विभिन्न हितधारकों की राय पर विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है. अब इस शिक्षा नीति को सफल और फलदायी बनाने की केंद्रीय भूमिका में शिक्षक ही हैं.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाने हेतु सभी प्रयास किए जा रहे हैं और शिक्षा क्षेत्र के लिए अब केवल सबसे अधिक सक्षम लोगों को ही चुना जाएगा. इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे.

गुजरात में तिदना प्राइमरी स्कूल के शिक्षक महिपालसिंह जेतावत ने ‘घंटी मुक्त विद्यालय’ की अवधारण पेश की. उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य बच्चों को नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करना है.

वहीं दिल्ली के माउंट आबू स्कूल की प्राचार्या ज्योति अरोड़ा ने स्कूलों में वैश्विक नागरिकता पाठ्यक्रम पेश किया, ताकि बच्चों को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बारे में जागरूक किया जा सके.

कांजेली प्राइमरी स्कूल के प्राचार्य प्रकाशचंद्र एन सुतार ने वैज्ञानिक अवधारणाओं को सिखाने के लिये अपनी काष्ठ कला कौशल से कम लागत में रोचक किट, प्रारूप और प्रयोग उपकरण बनाये.

मध्य प्रदेश में शिक्षक संजय जैन ने स्कूल के फर्श, दीवार और खुले स्थानों का उपयोग कर उत्साह के साथ पठन-पाठन की सामग्री उपलब्ध की.

सिक्किम के शिक्षक लोमास धुंगेल ने ज्यमिति, बीजगणित और गणितीय अवधारणाओं की कविता, किस्सागोई तथा कला के जरिये शिक्षण के लिये अनूठी पद्धति अपनाई. गौरतलब है कि शिक्षकों से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वयं नामांकन आमंत्रित किया गया था. शिक्षक पुरस्कार 2020 के लिए अंतिम चयन शिक्षा विभाग के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सेवानिवृत्त सचिव के नेतृत्‍व में राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र जूरी ने किया.

जूरी ने राज्यों और संगठनों द्वारा भेजी गई उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की और नए सिरे से मूल्यांकन किया. इस वर्ष, उम्मीदवार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जूरी के सामने पेश हुए और प्रस्तुतियां दीं. जूरी ने 47 शिक्षकों का चयन किया.

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस के मौके पर पहली बार वर्चुअल तरीके से आयोजित पुरस्कार समारोह में देशभर के 47 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं.

राष्ट्रपति ने शिक्षक के रूप में महिलाओं की निभाई गई भूमिका की सराहना की. राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वह एक दूरदर्शी, राजनेता और इससे भी बढ़कर एक असाधारण शिक्षक थे. शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला उनका जन्मोत्सव राष्ट्र के विकास में उनके योगदान का महज प्रतीक है और पूरे शिक्षक समुदाय के लिए सम्मान की निशानी भी है.

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक राष्ट्र के सच्चे निर्माता हैं, जो बच्चों के चरित्र और ज्ञान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

राष्ट्रपति कोविंद ने कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमारे शिक्षक इस तकनीक का सहारा बच्चों तक अपनी पहुंच बनाने में ले रहे हैं. सभी शिक्षकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में अपने कौशल को बढ़ाएं और इसे अपडेट करें ताकि शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके और छात्रों को भी नई तकनीक में निपुण बनाया जा सके.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने अभिभावकों के लिए शिक्षकों के साथ जुड़ना और बच्चों को सीखने के नए क्षेत्रों में रुचि जगाना अनिवार्य बना दिया है. समाज में डिजिटल सुविधा की गैर-बराबरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि आदिवासी और दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चे भी लाभान्वित हो सकें.

यह भी पढ़ें- सेना को सलाम : तीन चीनी नागरिकों को बचाया, खाना भी खिलाया

राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा, शुरू की गई नई शिक्षा नीति हमारे बच्चों को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करने का एक प्रयास है और इसे विभिन्न हितधारकों की राय पर विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है. अब इस शिक्षा नीति को सफल और फलदायी बनाने की केंद्रीय भूमिका में शिक्षक ही हैं.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाने हेतु सभी प्रयास किए जा रहे हैं और शिक्षा क्षेत्र के लिए अब केवल सबसे अधिक सक्षम लोगों को ही चुना जाएगा. इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे.

गुजरात में तिदना प्राइमरी स्कूल के शिक्षक महिपालसिंह जेतावत ने ‘घंटी मुक्त विद्यालय’ की अवधारण पेश की. उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य बच्चों को नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करना है.

वहीं दिल्ली के माउंट आबू स्कूल की प्राचार्या ज्योति अरोड़ा ने स्कूलों में वैश्विक नागरिकता पाठ्यक्रम पेश किया, ताकि बच्चों को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बारे में जागरूक किया जा सके.

कांजेली प्राइमरी स्कूल के प्राचार्य प्रकाशचंद्र एन सुतार ने वैज्ञानिक अवधारणाओं को सिखाने के लिये अपनी काष्ठ कला कौशल से कम लागत में रोचक किट, प्रारूप और प्रयोग उपकरण बनाये.

मध्य प्रदेश में शिक्षक संजय जैन ने स्कूल के फर्श, दीवार और खुले स्थानों का उपयोग कर उत्साह के साथ पठन-पाठन की सामग्री उपलब्ध की.

सिक्किम के शिक्षक लोमास धुंगेल ने ज्यमिति, बीजगणित और गणितीय अवधारणाओं की कविता, किस्सागोई तथा कला के जरिये शिक्षण के लिये अनूठी पद्धति अपनाई. गौरतलब है कि शिक्षकों से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वयं नामांकन आमंत्रित किया गया था. शिक्षक पुरस्कार 2020 के लिए अंतिम चयन शिक्षा विभाग के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सेवानिवृत्त सचिव के नेतृत्‍व में राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र जूरी ने किया.

जूरी ने राज्यों और संगठनों द्वारा भेजी गई उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की और नए सिरे से मूल्यांकन किया. इस वर्ष, उम्मीदवार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जूरी के सामने पेश हुए और प्रस्तुतियां दीं. जूरी ने 47 शिक्षकों का चयन किया.

Last Updated : Sep 5, 2020, 6:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.