नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की आज से शुरुआत हो रही है. राज्यसभा का यह 250वां सत्र है. राज्यसभा का गठन 3 अप्रैल 1952 को हुआ था. इसकी पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई थी.
राज्यसभा संसद का कभी विघटित न होने वाला सदन है और कानून निर्माण में उसकी अहम भूमिका रही है. इतना ही नहीं उच्च सदन ने कानून निर्माण प्रक्रिया में योग्य व उच्चस्तरीय बहस को लेकर हमेशा ही अपनी क्षमता साबित की है.
राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं. इनमें 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति की ओर से नामांकित किये जाते हैं. इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है. अन्य सदस्यों का चुनाव होता है. राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमें एक-तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष रिटायर होते हैं.
किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है. इसी सिद्धांत के चलते भारत में राज्यसभा का गठन हुआ था.
राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है, जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करती है.
पढ़ें - नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने की तैयारी में सरकार
यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी करती है क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं.
गौरतलब है कि जुलाई 2018 से राज्यसभा में सभी 22 भारतीय भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा उपलब्ध करायी गयी. इसके तहत ऊपरी सदन में सांसद 22 भारतीय भाषाओं में भाषण कर सकते हैं.
इस बीच राज्यसभा के 250वें सत्र को यादगार बनाने की रूपरेखा भी तैयार की गयी है। मसलन, इस सत्र के दौरान 250 रुपये का चांदी का सिक्का और पांच रुपये का डाक टिकट जारी किया जाएगा.
पढ़ें : उच्च संसद की विभाग संबंधी समितियों की बैठकों में सदस्यों की गैरहाजिरी चिंतनीय : नायडू
इसके अलावा राज्यसभा के उद्भव और इसके कार्य संचालन पर अंग्रेजी और हिन्दी में 44 लेखों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी होगा.